Wednesday, July 20, 2022

मिट के ही जायेंगे,गुमां मेरे -सतीश सक्सेना

समझ न पाओगे, बयां मेरे !
मिट के ही जाएंगे, गुमां मेरे !

कैसे दिल से मुझे हटा पाओ 
उसकी हर ईंट पे, निशां मेरे !

तुमने बे घर ,मुझे बनाया था,
कितने दिल में बने, मकां मेरे !

कैसे काबू रखूं , ख्यालों पर 
दिल के अरमान हैं, जवां मेरे !

गर कुरेदोगे, जल ही जाओगे
राख में हैं दबे , जहां  मेरे  !

8 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 21 जुलाई 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

    ReplyDelete
  2. इतनी अच्छी ग़ज़ल! आप तो सचमुच असाधारण प्रतिभा के धनी हैं सतीश जी। आपसे संपर्क जुड़ना मेरा सौभाग्य है।

    ReplyDelete
  3. गर कुरेदोगे जल ही जाओगे
    राख में हैं दबे , जहां मेरे !

    सारे शेर उम्दा बने हैं
    यह कुछ ज्यादा विशेष लगा

    ReplyDelete
  4. वाह!! बेहतरीन ग़ज़ल

    ReplyDelete
  5. वाह!!!
    लाजवाब गजल ।

    ReplyDelete
  6. बेहद सुंदर रचना

    ReplyDelete

एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

Related Posts Plugin for Blogger,