मेरा विश्वास है कि आकर्षक लगने के लिए चेहरा मोहरा कोई ख़ास रोल नहीं निभाता बल्कि उस चेहरे पर आये भाव , वस्त्र एवं बैकग्राउंड का रोल उतना ही महत्वपूर्ण रहता है ! चेहरे पर आयी उस व्यक्ति की एक सहज और गैर बनावटी मुस्कान किसी का भी दिल जीतने के लिए पर्याप्त है , चेहरे का रंग और बनावट चाहे कुछ भी क्यों न हो अफ़सोस यह है कि मुस्कान में सहजता आजकल दुर्लभ हो गयी है , अपने आसपास के तमाम तनाव के कारण लोग उन्मुक्त हंसी छोड़िये मुस्कराना भी भूल गए हैं !
मैं मूलतः एक कवि व्यक्तित्व हूँ , फोटोग्राफर होने के कारण हँसते खिले चेहरे बहुत अच्छे लगते हैं और खुद भी अपनी हंसी और मुस्कान को कभी थकने नहीं देता जबकि समय के साथ कई मित्रों की मुस्कान फीकी हो गयी या गायब हो चुकी है !
अक्सर लोगों की विपरीत परिस्थितियां उनके चेहरे पर आयी उदासी का कारण होती हैं जबकि उन्हें यह तथ्य आत्मसात कर लेना चाहिए कि खुशियां उत्पन्न करने की क्षमता उनके अपने शरीर में हमेशा होती है केवल उस वक्त की सोच हंसती हुई होनी चाहिए कष्ट खुद ब खुद भाग जाएंगे क्योंकि वह एक अस्थायी मानसिक अवस्था है ! अफ़सोस कि हम बहुत कम समय इस पर देते हैं !
लोग अक्सर मुझसे पूछते हैं कि आप 67+ उम्र में दौड़ कैसे पाते हो , मेरा जवाब संक्षिप्त है क्यों कि मेरा दौड़ने का दृढ़ निश्चय , मेरी प्रफुल्ल मानसिक अवस्था लेती है और इस अवस्था को मैं हमेशा ज़िंदा रखता हूँ !
मेरा अनुरोध है कि अपनी बच्चों जैसी हंसी वापस लाइए और बीमारियां भगाइये !
सत्य वचन। पर क्या करें मियां सूरत ही ऐसी है :) :) :)
ReplyDeleteसहज,निर्मल मुस्कान चेहरे का सर्वश्रेष्ठ शृंगार है ,आपकी सहजता ही आपकी बातों को प्रभावशाली बनाती है .
ReplyDeleteआसपास के तमाम तनाव के कारण लोग उन्मुक्त हंसी छोड़िये मुस्कराना भी भूल गए हैं ! सही बात, एक बार फिर प्रेरणादायी पोस्ट!
ReplyDeleteसीधी-सच्ची बात कही है आपने सतीश जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर बात कही आपने
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी बात लिखी सर आपने। खुश रहना एक आदत का विषय भी होना चाहिये।
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