होम्योपैथिक उपचार में उपयोग की जाने वाली शक्तिकृत दवाओं को दवा का दर्जा देना उचित नहीं क्योंकि दवा , एक केमिकल पदार्थ होता है जिसमें केमिकल का होना साबित किया जा सकता है जबकि होमियोपैथी की शक्तिकृत दवाओं में केमिकल गुण मिलने का प्रमाण किसी भी साइंस लैब द्वारा नहीं जाना जा सकता एलोपैथिक सिस्टम की नज़र में यह असंभव है जब वे आर्सेनिक की सूक्ष्मीकृत होम्योपैथिक दवा में आर्सेनिक का टेस्ट करते हैं तो उन्हें नहीं मिलता ! क्योंकि एलोपैथिक लैब एक बूंद केमिकल के एक करोड़ वें भाग को खोजने में असमर्थ है जबकि होम्योपैथिक दवाओं में उससे भी हजारों गुना कम दवा का अंश होता है , जिसे वे उस ड्रग की शक्ति कहते हैं और जिसके होने का प्रमाण आधुनिक संसार खोज नहीं पाता !
जहर ही जहर को मारता है, यही सिद्धांत होमियोपैथी का भी है , बस होमियोपैथी दवाओं में क्रूड मेडिसिन इतनी कम मात्रा में करते जाते हैं कि उसका अंश मिलना भी असम्भव हो जाए ! यही कारण है कि आर्सेनिक एल्बम नामक दवा की 3 शक्ति तक तो आधुनिक लैब बता देगी कि यह दवा आर्सेनिक नामक जहर से बनायी गयी है मगर आर्सेनिक 12, 30 , 200 या अधिक शक्ति की दवा के टेस्ट में उनका रिजल्ट शुद्ध अलकोहल आता है जिसमें आर्सेनिक का नामोनिशान नहीं मिलता मगर यही दवा होमियोपैथी में बेहद कारगर है , जिसे एलोपैथी क्वेकरी का दर्जा देती आयी है !
डॉ जगदीशचंद्र बसु का एक प्रयोग था जिसमें उन्होंने पौधों में जीवन की पुष्टि की थी और उसे विश्व के वैज्ञानिकों ने स्वीकार भी किया था ! उन्होंने प्रूव किया था की उनमें मानव जैसा ही जीवन एवं जनन चक्र है और वे अपने आसपास के वातावरण के प्रभाव का वही असर महसूस करते हैं जैसे कि हम और इसमें सुख दुःख क्रोध भय आदि सबका अहसास शामिल है ! विश्व में लगभग हर पैथी में दवा निर्माण अधिकतर इन्हीं प्लांट के रस, जड़ और पत्तों से होता है , बस उनका बनाने का तरीका और चरित्र भिन्न होता है ! एलोपैथिक तरीके में अधिकतर क्रूड मेडिसिन की सीमित मात्रा उपयोग में लायी जाती हैं , जबकि होमियोपैथी में इसी सिद्धांत का उपयोग करते हुए उस दवा की न्यूनतम मात्रा , इतनी कम कि उसे किसी लैब में तलाश न किया जा सके , का उपयोग करते हैं , जिसे होमियोपैथ उस प्लांट की शक्ति कहते हैं !
होमियोपैथी में दवा निर्माण करने से पहले उसका मानवों पर प्रयोग किया जाता है , उसकी बेहद कम मात्रा की एक खुराक रोज कुछ दिन तक देने के पश्चात उसकी मात्रा को धीरे धीरे बढ़ाया जाता है और उसके परिणाम को मानवों के ऊपर सावधानी से नोट किया जाता है , जहरीली दवा की मात्रा बढ़ाने से जो बीमारियां उस इंसान में उत्पन्न हुईं और उसकी मानसिक दशा में जो बदलाव आये उनका सावधानी पूर्वक लिखा गया विवरण ही दवा बनाने का सिद्धांत है !
होमियोपैथी का यह विश्वास है कि जितने तरह के इंसान दुनिया में पाए जाते हैं उनके व्यवहार से हूबहू मिलते हुए पौधे भी मौजूद हैं , अगर हम किसी इंसान का व्यवहार का सही अध्ययन कर उसी व्यवहार के पौधे की खोज कर लें तब उस पौधे से बनायी गयी होम्योपैथिक औषधि उस व्यक्ति के लिए संजीवनी का कार्य करेगी फिर बीमारी का नाम कुछ भी क्यों न हो !
अब एलोपैथिक सिस्टम के रोने का कारण समझने का प्रयास करते हैं , होमियोपैथी में मान लो बेलाडोना पौधे के रस की एक बूँद दवा को 100 बूंद अलकोहल में मिलाकर जो दवा बनती है उसे बेलाडोना -1 कहा जाता है ! अब बेलाडोना -1 का एक बूंद 100 बूंद एल्कोहल में डालने पर जो दवा बानी उसे बेलाडोना -2 कहा जाएगा , बेलाडोना -2 की एक बूंद 100 भाग शुद्ध अल्कोहल में डालने पर जो दवा बनी उस पर बेलाडोना -3 कहा जाएगा ! इस प्रकार अगर बेलाडोना -3 को किसी लैब में टेस्ट कराने हेतु भेजा जाए तो उसमें वन ड्राप बेलाडोना का 100X100X100 वां हिस्सा ही मिलेगा , मगर इसके बाद इसी प्रकार बनायी गयी बेलाडोना 4 अथवा बेलाडोना 30 में विश्व की कोई लैब उसमें केमिकल पदार्थ नहीं पा सकती ! जब कि क्रोनिक या तथाकथित लाइलाज बीमारियों का इलाज करते समय हमें सबसे बेहतरीन रिजल्ट इन्ही शक्तियों से मिलते हैं !
क्रमश:
सुन्दर जानकारी।
ReplyDeleteआप बहुत ही उपयोगी जानकारी दे रहे हैं सर, मैं खुद एक होमियोपैथी की प्रैक्टिसनर हूं या यूं भी कह सकते है कि भक्त हूं।मेरा पुरा खानदान इस होमियोपैथी दवा पर ही निर्भर है। मैं कब से इस विषय पर लिखना चाहती थी। आपकी बहुत बहुत आभारी हूं जो आप ये श्रृंखला लेकर आए हैं। एलोपैथिक दवाओं के बढ़ते दुष्प्रभाव को देखकर होमियोपैथिक के प्रति लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी हो गया है। एक बार फिर से आपको तहेदिल से शुक्रिया एवं नमन 🙏
ReplyDeleteहोम्योपैथी सुरक्षित चिकित्सा पद्यति है...और आदमी इलाज कराने के लिये तो पैदा होता नहीं...😊
ReplyDeleteहोमिओपैथी निहायत ही सुरक्षित व प्रभावी औषधि हुआ करती है, यह एक निर्विवाद सत्य है। आपका यह ज्ञानवर्धक लेख पाठकों के लिए लाभदायी सिद्ध होगा, इसमें कोई संदेह नहीं। इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद बन्धुवर
ReplyDeleteहोमियोपैथी पर सटीक विस्तृत जानकारी।
ReplyDeleteबचपन से ही इसी विधा के बीच में पली बढ़ी हूँ
घर में दादा पिता चाचा सभी इस की दवाएं दिया करते थे।
अब भाई बहन भतीजे स्वयं मैं सभी इस पद्धति पर बिना डिग्री वाले डाक्टर है शायद जन्म घूंटी में हमें होमियोपैथी वरदान स्वरूप मिली है।
उपयोगी लेख।