इसी तरह से विशाल विश्व में स्वास्थ्य सुधार की तमाम विधाएँ प्रचलित रही हैं , जिनको आधुनिक धनवान मेडिकल व्यवसाय ने, प्रचार के जरिये खा लिया , विश्व में न जाने कितनी खूबसूरत स्वास्थ्य विधाएँ या तो लुप्त हो चुकी हैं या दम तोड़ रही हैं ! ताकतवर एलोपैथी ने होमियोपैथी को समझने की बिना कोशिश किये उसे फेथ हीलिंग का दर्जा दे दिया वे यह भूल गए कि जिन जिन एलोपैथिक डॉक्टर्स ने उसे समझने और आजमाने की कोशिश की वे एलोपैथी को छोड़कर , होमियोपैथी को अपना चुके हैं , बहुत कम लोग जानते होंगे कि होमियोपैथी का जनक खुद एक एलोपैथिक डॉक्टर थे ! इससे बड़ा प्रमाण और क्या होगा कि आज विश्व में हजारों एलोपैथिक प्रैक्टिशनर होमियोपैथी के जरिये अपने रोगियों का उपचार करते हैं मगर एलोपैथिक दवा व्यवसाय इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं क्योंकि उनके व्यवसाय का अस्तित्व ही खतरे में आ जाएगा क्योंकि होमियोपैथी में कोई बीमारी असाध्य नहीं है जबकि एलोपैथी में तमाम बीमारियों यहाँ तक कि जुकाम का इलाज ही नहीं वे सिर्फ एंटीबायोटिक /स्टेरॉयड का उपयोग कर शरीर की जीवाणुओं को मारकर इलाज करते हैं जिसमें शरीर एक बीमारी से मुक्त होकर अन्य बीमारियों का शिकार हो जाता है !
आज से लगभग 42 वर्ष पहले मुझे सर्वाइकल स्पोंडोलाइटिस हुआ था , तमाम एलोपैथिक जांच और इलाज के बावजूद ठीक नहीं हुआ , डॉ विरमानी मशहूर डॉक्टर के अनुसार अब यह बोन डेफ्लेक्शन ठीक होना असंभव है , केवल एक्सरसाइज के जरिये मसल्स मजबूत बनाइये एवं मसल्स कमजोर होने पर अधिक उम्र में कॉलर का उपयोग ताउम्र करना होगा ! उन दिनों रात रात भर दर्द से तड़पता रहता था ! इंफ्रारेड लैंप के जरिये सिकाई करने पर आराम मिलता था मगर बढ़े दर्द के समय इंफ्रारेड लैम्प का अधिक उपयोग करने से गर्दन के पिछले हिस्से में बर्न हो गए थे और स्किन जल कर काली हो गयी थी तब घबरा कर मैंने होमियोपैथी की शरण ली , करोल बाग़ में दो मशहूर डॉक्टर बनर्जी और चटर्जी के पास इलाज कराया जिनके यहाँ लम्बी लाइन में लगने के बाद नंबर आता था ! दो माह में बहुत कम आराम मिला मगर उनकी दुकान से ही लाइन में लगे लगे होमियोपैथी की दो किताबें खरीदी और पढ़ना शुरू किया तो पता चला कि उनकी दी हुई दवाएँ तो होमियोपैथी के मूल सिद्धांत के खिलाफ थीं और इससे मैं कभी ठीक नहीं हो सकता !
अपने जिद्दी स्वभाव के अनुसार मैंने रात रात भर जागकर वो दोनों किताबें ख़त्म कर होमियोपैथी सिद्धांत से अपना इलाज खुद करने का फैसला लिया और अगले दो महीने में पूर्ण स्वस्थ हो गया उसके बाद आज 40 साल बाद भी वह दर्द दुबारा नहीं हुआ !
होमियोपैथी के जरिये अगर कोई डॉ अपनी रोजी रोटी चलाना चाहता है तब यह बहुत मुश्किल होगा कि वह रोगियों के साथ न्याय कर सके क्योंकि होमियोपैथी में एक रोगी पर पहले दिन ही डॉ को बहुत समय देना होगा वह पूरे दिन में मात्र एक या दो रोगियों का उपचार करने हेतु ही समय निकाल पायेगा जिसमें उसका खर्चा निकलना भी असम्भव होगा अगर वह पूरे दिन में 20 या अधिक रोगियों को ठीक करने का प्रयत्न करेगा तब उसे कम से कम 24 घंटे काम करना होगा जो असम्भव होगा और डॉ अपना खर्चा निकालने को यही करते हैं और वे अक्सर आंशिक तौर पर ही रोगी को ठीक करने में कामयाब होते हैं एवं होमियोपैथी का नाम खराब करते हैं !
होमियोपैथी सिद्धांत के अनुसार संसार में हर रोग का इलाज प्रकृति में उत्पन्न पौधों में छुपा है , उनका विश्वास है कि संसार में जितने प्रकार और व्यवहार के मानव, मानवी हैं उतने ही प्रकार या व्यवहार के पौधें हैं जो जाग्रत ,पूर्ण जीवित और इनसान के आचरण के हैं ! अगर इंसानों और पौधों के स्वभाव और आचरण का सही अध्ययन कर लिया जाए तब रोगी के आचरण के पौधे के रस से बनी दवा , उसी आचरण के इंसान के लिए संजीवनी बूटी का काम करेगी चाहे उस रोगी के रोग का नाम कुछ भी क्यों न हो !
ध्यान रहे होमियोपैथी में दवा का नाम नहीं होता , अलग अलग व्यक्तियों में किसी भी बीमारी की दवा, उनके विशेष स्वभाव के अनुसार अलग अलग होगी अतः एक व्यक्ति की कैंसर की कामयाब दवा दूसरे व्यक्ति के कैंसर में काम नहीं आएगी अगर उनका स्वभाव अलग अलग हुआ ! होमियोपैथी रेपर्टरी में मानव के लाखों गुणों का समावेश किया गया है जिससे व्यक्ति विशेष की दवा निकालना संभव है उसके लिए अस्वस्थ इंसान के गुणों का सावधानी से चयन आवश्यक है और असम्भव रोग का इलाज भी !
अपने स्वभाव का अध्ययन कर मैंने अपनी होम्योपैथिक संजीवनी की आसानी से तलाश कर ली , फलस्वरूप 68 वर्ष की आयु में भी मैं रोग मुक्त रहता हूँ काश मित्र लोग होमियोपैथी का अध्ययन करने की सलाह मान लें तो मेरे अधिकांश मित्रों का कल्याण होगा उन्हें किसी डॉ के पास जाने की आवश्यकता नहीं होगी !
https://www.facebook.com/satish1954/posts/pfbid025PsuGnwZvh6fCmmbYneWi5Hm1vK5r1bWaicaqydEmKwcnVAJtWmLzHEoUMfUs3vSl
ReplyDeleteसुन्दर जानकारी
ReplyDeleteस्वयं होम्योपैथी की पुस्तकें पढ़कर उनसे प्राप्त ज्ञान के आधार पर अपनी चिकित्सा करना अत्यंत धैर्य की माँग करता है। आपने यह कार्य सफलतापूर्वक किया, यह अन्य रोगियों हेतु एक आदर्श उदाहरण है सतीश जी। आपके अपना यह अनुभव साझा करने से दूसरे लोग निश्चय ही लाभान्वित होंगे। हार्दिक आभार आपका।
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