Friday, July 22, 2022

अगर परमात्मा, इन्सान होता -सतीश सक्सेना

गरीबों पर बड़ा अहसान होता 
अगर परमात्मा, इन्सान होता !

न जाने कब के हम आज़ाद होते,
भुलाना भी उसे , आसान होता !


पहुँचते उसके दरवाजे भिखारी ,
बगावत का, वहीं ऐलान होता !

दिखाते भूख से,  बच्चे तड़पते 
उसे कुछ भूल का अनुमान होता

नफ़रती अक्षरों को तब तो शायद !
सजा ए मौत का , फ़रमान होता !

5 comments:

  1. अगर इंसान होता तो कब का मार दिया गया होता

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  2. बेहतरीन गीत

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  3. आपने जो कहा, बेख़ौफ़ और दो टूक कहा सतीश जी।

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एक निवेदन !
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- सतीश सक्सेना

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