पिछले माह देर रात मोबाइल पर एक महिला की अधिकार पूर्ण आवाज, पहिचानों कौन बोल रही हूँ ?
"सुनो बाबा ...तुम्हे बड़े मन से , अपनी बेटी के विवाह पर न्योता दे रही हूँ, आना न भूल जाना ...!" यह आवाज और बेहद अपनापन के साथ न्योता दे रही थी , इंदु पुरी गोस्वामी , जिनके बेपनाह स्नेह के कारण अक्सर गूगल बज्ज़ मैं "इंदु माँ " के नाम से संबोधित करते रहा हूँ ! ब्लॉग जगत के आभासी रिश्ते इतने करीब आ सकते हैं ,यह मैंने सिर्फ इनसे ही महसूस किया ! उनके स्नेह पूर्ण आमंत्रण को स्वीकार करते हुए ,काफी देर तक सोचता रहा कि इन दिनों व्यस्ततम दिनों से, समय निकाल कैसे पहुँच पाऊँगा चित्तौड़ गढ़, और इस स्नेहमयी का आमंत्रण टालना मेरे बस की बात नहीं !
और आखिरकार , मैं पूर्व नियोजित कार्यक्रमों की वजह से, चित्तौड़ गढ़ नहीं जा सका ! मगर तिलयार में, जो कुछ वहाँ के बारे में ललित शर्मा ने बताया, वह इनके बारे में, मेरे अंदाज़ से भिन्न नहीं था !
जो ब्लोगर ( पद्म सिंह , ललित शर्मा आदि )वहाँ पंहुचे थे और उनका इस विवाह में, जो आदर सत्कार , भोजन, भेंट ,तिलक किया गया था , उस भरपूर स्नेह और प्यार से अभिभूत ये ब्लागर ,महसूस ही नहीं कर पाए कि इन्दुपुरी को वे , बरसों से नहीं जानते हैं ! शायद ब्लॉग जगत में, प्यार की परिभाषा, सिखाने में वे अग्रणी हैं !
इस स्नेहमयी को, सादर अभिवादन !
अल्ले बाबा!
ReplyDeleteबरसों बाद फिर यहां पहुंच गई. " अल्ले बाबा" बता रहा है कि मैं आई थी. भावुक हूं. जीवन में कभी मिलोगे न तो पकड़ कर गले लगा लूंगी या लग जाऊंगी :) पर ये तो बताइए इन्दु मां कहकर अब काहे नही बुलाते?
Deleteबरसों बाद फिर यहां पहुंच गई. " अल्ले बाबा" बता रहा है कि मैं आई थी. भावुक हूं. जीवन में कभी मिलोगे न तो पकड़ कर गले लगा लूंगी या लग जाऊंगी :) पर ये तो बताइए इन्दु मां कहकर अब काहे नही बुलाते?
Deleteइंदु पुरी जी से मिलवाने के लिए आभार
ReplyDeleteप्यार बाटतें चलो...
ReplyDeleteइन्दु जी के पुत्र को विवाह की ढेर सारी शुभकामनायें!
इंदु जी की ममता मैं भी महेसूस कर चुका हूँ ...बस अब मिलना शेष रह गया है !
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार इस मुलाकात के लिए !
इंदु पुरी जी के बारे मे जानकर अच्छा लगा …………शादी का वर्णन पढा था।
ReplyDeleteसतीश भाई मैने 22 तारी्ख के एक कार्यक्रम के ईर्द गिर्द ही सारे सफ़र का ताना बाना बुन लिया था। जो 15 से प्रारंभ होकर 3 को सम्पन्न हुआ।
ReplyDeleteइसमें सबसे पहले ईंदु जी से ही मिलना तय हुआ। अगर किसी ने प्रेम और स्नेह बरसते नहीं देखा हो,तो वह निम्बाहेड़ा ईंदु जी के यहाँ अवश्य जाए। वहाँ कान्हा के साथ राधा और मीरा भी मिल जाएगी।
अभिभूत हूँ आज तक।
राजस्थान वाले ऐसे ही प्रेम करते हैं। इस प्रेम को अनमोल समझ कर झोली में बांध लीजिए।
ReplyDeleteसतीश भाई ...."इंदु" जी का स्नेह कौन भूल सकता है ...मेरे ब्लॉग पर एक टिप्पणी क्या कर दी ....मुझे झिंझोड़ कर रख दिया ....लिखा था "लिखते हो या जीते हो" ....आपको नमन है ....शुक्रिया
ReplyDeleteस्नेहमयी इंदुजी से मिलवाने के लिए धन्यवाद...अच्छा लगा जानकर...वाकई में ब्लॉग के रिश्ते दिल को छूने वाले हैं...लगता ही नहीं कि अजनबी हैं....
ReplyDeletehttp://veenakesur.blogspot.com/
100%sach...
ReplyDeleteबिलकुल सही कहा सतीश जी। ये आभासी दुनिया बाकी दुनिया से बहुत अच्छी है। बस ये स्नेह बना रहे। शुभकामनायें।
ReplyDeleteमधुरतम अनुभूति...
ReplyDeleteइंदु जी की टिप्पणियों को देखते हुए आपकी बात १००% ठीक लगती है.
ReplyDeleteबहुत आभार.
इन्दु पुरी जी से आप माध्यम बने मिलने का ...अच्छा लगा इनका परिचय और स्नेहिल छवि ..।
ReplyDeleteसतीश जी,
ReplyDeleteइंदु पुरी जी से मिलवाने के लिए धन्यवाद !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
तीलियार में भी इन्दु पूरी जी के बारे में काफी बाते हुई थी |आज आपने इस पोस्ट के माध्यम से उनके बारे में बताया बहुत अच्छा लगा | ब्लोगिंग में प्यार की ही कमाई ब्लोग्गर करता है |
ReplyDeleteइंदु जी के बारे में बहुत सुना है...महफूज़ को लेकर उनकी चिंता भी देखी है... (टिप्पणियों के रूप में)वाक़ई इंदु जी बहुत अच्छी हैं... आपका शुक्रिया... और इंदु जी को शुभकामनाएं...
ReplyDeleteमतलब धारावाहिक ला रहे हो
ReplyDeleteस्वागत है सतीश भाई।
बिलकुल सही कहा सतीश जी।
ReplyDeleteऐसी ही एक और ममतामयी हस्ती हैं-आदरणीय अर्चना चावजी... वे भी सबसे बहुत स्नेह करती हैं... उनसे बात करके हमेशा सुकून मिलता है...
ReplyDeleteइंदू जी से पहली बार फ़ोन पर बातचीत हुई तो ऐसा लगा ही नही कि पहली बार बात हो रही है. ऐसे आत्मिय व्यक्तित्व कम ही देखने में आते हैं. बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
इंदू जी से पहली बार फ़ोन पर बातचीत हुई तो ऐसा लगा ही नही कि पहली बार बात हो रही है. ऐसे आत्मिय व्यक्तित्व कम ही देखने में आते हैं. बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
ब्लॉग परिवार धीरे धीरे फल फूल रहा है । लेकिन बढ़ते परिवार के साथ जिम्मेदारियां बढ़ना भी लाज़िमी है ।
ReplyDeleteऐसे ही स्नेह बनाए रहें
ReplyDelete... behad aakarshak va prabhaavashaalee post !!!
ReplyDeleteइंदु पुरी जी से मिलवाने के लिए आभार!
ReplyDeleteस्नेहमयी प्रणाम।
ReplyDeleteआप हैं ही इस लायक :)
ReplyDeleteबच के रहना इन्दुपुरी जी से इन्होने एक स्कूल खोला है जो प्यार करना नहीं सीखता उन्हें डंडे से पीटती हैं.
ReplyDeleteऔर डा.अजित जी क्या आप सच कह रही हैं ?
:):):):)
इंदु जी से बात हुई थी - दुनिया की सबसे लम्बी चेट (मिसफ़िट सीधीबात पर)...गीतों की शौकीन और जानकार है वे....बस मुलाकात का इंतजार है..और ये फ़िरदौस भी न....(ममतामयी हस्ती)क्या-क्या लिख देती है... हा हा हा
ReplyDeleteफिर उस चैट का क्या हुआ? क्या उसे दुनिया की सब से लम्बी चैट का दर्ज़ा मिला?
Deleteइंदु जी को हार्दिक बधाई अपनी पुत्र-वधु को अंगना में लाई हैं.
ReplyDeleteसतीश जी, आप वो है जो दिल को दिलों से बांधते हैं. इस (आभासी) जगत का आप पर स्नेह का यही कारण है.
@ दीपक बाबा,
ReplyDeleteअक्सर यहाँ अपनापन के अर्थ उल्टा ही लगाया जाता है ! भाई लोग आसानी से हंस कर बात भी नहीं करते, मुस्काते हैं तो लगता है जैसे अहसान कर दिया हो :-)
हर ऐसी पोस्ट जो एक करने और मित्रता के आवाहन लिए होती है उस पर शक किया जाता है ,बची खुची कसर उस पर आये कमेन्ट पूरी कर देते हैं ! और तो और जिसके लिए पोस्ट समर्पित होती है उन्हें भी उसकी नियत पर शक ही रहता है !
खैर ,
नए शक्तिशाली शक्ति पूंज आ चुके हैं और उम्मीद है वे ऐसे नहीं होंगे !
आप उनमें से एक हैं दीपक बाबा !
शुभकामनायें आपको
अरे वाह,
ReplyDeleteब्लॉग जगत नाम के बेनामी का प्रवचन तो जोरदार है… शुद्ध और मारक हिन्दी में… :) :)
badhiya post..
ReplyDeleteसतीश जी आज आपके लेख के माध्यम से मैंने इंदु पूरी जी कि पोस्टों को पढ़ा. इससे पहले तो मुझे उनके फोटो में उनका अंदाज ही पसंद था पर अब कहूँगा कि इंदुजी अच्छा लिखती भी हैं.
ReplyDeleteसतीश जी इंदु जी को हम ने भी धन्यवाद कहना हे,
ReplyDeleteअभी पद्मसिंहजी की पोस्ट पढ़कर आ रहे हैं, नमन है इंदु जी (ऐसीच्च हूँ ब्रांड है इनका) :)
ReplyDelete.
ReplyDelete.
.
हाजिर थे श्रीमान,
कहेंगे कुछ नहीं...
...
हमम.. जारी रखिए.
ReplyDeleteबेहद संवेदनशील व्यक्तित्व है इंदु 'नानी' का। पक्की शैतान की नानी है। पहले चरणों का पता-ठिकाना पूछती है फिर उन्हें पकड़ कर उल्टा लटका देती हैं। रोते हुए को हँसाना और हंसते हुए को रूला देना उनके बाएँ हाथ की कनिष्ठा की हरकत का मामूली सा काम है। कहती है अपने-आप को आफ़त की पुड़िया लेकिन है पूरी स्नेहमयी गुड़िया।
ReplyDeleteआवाज़ पर शुरू हुई प्रतिद्वन्दता कब भाई-बहन के बंधन में बदल गई पता ही नहीं चला। आवाज़ पर की गई हम दोनों की शरारतें बताऊँ तो सजीव सारथी मेरा भुरता बना देंगें :-)
ममतामयी इंदु जी से आमने-सामने मिलने के क्षण भले ही टल गए हैं लेकिन पिछले माह संकट के क्षणों में उनकी भावनात्मक कसमसाहट देख-सुन अब उनका सामना करने में डर लगने लगा है।
ईश्वर उन्हें स्वस्थ, सानंद, हंसमुख बनाए रखे
आभार आपका भी सतीश जी
@ Suresh Chiplunkar ji
ReplyDeleteब्लॉग जगत नाम के बेनामी का प्रवचन सतीश पंचम जी की पोस्ट से टीपा गया है
इन्दू जी का प्रेम उनकी बातों में साफ़ झलक जाता है ... सरल ह्रदय भोले अंदाज़ से लिखी उनकी बातें उनकी शक्सियत बयान करती हैं ..
ReplyDelete1. चित्तोड़ गढ़ भी होकर आना चौधरी !
ReplyDeleteऔर वहां जाओ तो इंदु माँ ( इंदु पूरी ) से मिलना नहीं भूलना उन्हें मेरा राम राम कह देना और अगर मेरा नाम सुनकर गालियाँ दें दो मेरी और से खा लेना ! इस वात्सल्यमयी से मिलकर तुम्हें अच्छा लगेगा ! शुभकामनायें
2. दुष्ट! उदयपुर से चित्तोड ज्यादा दूर नही था. अब मिलना कभी जो उलटा ना लटकाया तो नाम बदल देना.????? तुम्हारा रे.
दूसरे वाली टिप्पणी मेरे यहां गूगल बज में इंदु जी ने लिखी है। मैं तो सोच रहा हूं कि कभी चित्तौड जाऊंगा तो पहले से ही उल्टा होकर जाऊंगा। कम से कम दोबारा सीधा तो हो जाऊंगा।
इन्दुपुरी जी के बारे में कल ही ललित जी के ब्लॉग में पढ़ा था ... काफी अच्छा लगा जानकर ... ममतामयी व्यक्तित्व को प्रणाम .... आभार
ReplyDelete@ नीरज जाट ,
ReplyDeleteशाबाश चौधरी ,
हा...हा...हा....हा.....हा....हा.....हा...हा.......
आज तो आनंद आ गया नीरज, जरा ऊपर पाबला जी के कमेन्ट देखो !
वाह सा'ब ! परिचय कराने का शुक्रिया !
ReplyDeleteअच्छा है कि आपकी इस श्रृंखला से उपेक्षित वात्सल्य भाव अनुप्राणित होगा ! अगले अंकों की प्रतीक्षा !
जी मुझे भी किसी ने बताया...
ReplyDeleteमेरा भी अभिवादन...
कुछ लोग होते ही ऐसे हैं कि आप पर अपना हक बना लेते हैं और आप को भी यह अच्छा लगता है।
ReplyDelete.सतीश जी, आप वो है जो दिल को दिलों से बांधते हैं. इस (आभासी) जगत का आप पर स्नेह का यही कारण है.
ReplyDeletebaba ji ki baat 100% satya hai.
कुछ तो सीखें लोग इस अनुकरणीय व्यक्तित्व से !
ReplyDeleteहालाँकि इन्दु जी को कभी पढने या इनसे संवाद का कोई अवसर तो नहीं मिल पाया, किन्तु गूगल बज पर इनकी हल्की-फुल्की मजाकिया टिप्पणियाँ जरूर देखी हैं...आज आपके माध्यम से इनके बारे में अच्छे से जानने का मौका मिला..उनका व्यक्तित्व प्रभावित करता है.
ReplyDelete:) yah apnapan khud ba khud ho jata hai.. :) rishte wahi nibhte hain.. jo nibh sakte hain... agar nibhaana pade to kuch gadbad hai... indu jee ko unke bete kee shadi ke liye badhayi...
ReplyDeleteaur apka bahut bahut shukriya aise vyaktitva se parichay karane par... :)
इंदु जी हैं ही ऐसी प्यार लुटाती....उनकी टिप्पणियाँ उर्जा से भर देती हैं...
ReplyDeleteअपन लोग की तो यूनिवर्सल बुवा हैं.. वो तो बस ऐसिच हैं...... :)
ReplyDelete