Monday, December 6, 2010

हिंदी ब्लॉग जगत में वात्सल्यमयी महिलायें- - सतीश सक्सेना

पिछले माह देर रात मोबाइल पर एक महिला की अधिकार पूर्ण आवाज, पहिचानों कौन बोल रही हूँ ? 
"सुनो बाबा ...तुम्हे बड़े मन से , अपनी  बेटी के विवाह पर न्योता दे रही हूँ, आना न भूल जाना ...!" यह आवाज और बेहद अपनापन के साथ न्योता दे रही थी , इंदु पुरी गोस्वामी , जिनके बेपनाह स्नेह के कारण अक्सर गूगल बज्ज़  मैं  "इंदु माँ " के नाम से संबोधित करते रहा हूँ ! ब्लॉग जगत के आभासी रिश्ते इतने करीब आ सकते हैं ,यह मैंने सिर्फ इनसे ही महसूस किया ! उनके स्नेह पूर्ण आमंत्रण को स्वीकार करते हुए ,काफी देर तक सोचता रहा कि  इन दिनों व्यस्ततम दिनों  से, समय निकाल कैसे पहुँच पाऊँगा चित्तौड़ गढ़, और इस स्नेहमयी का आमंत्रण टालना मेरे बस की बात नहीं !
और आखिरकार , मैं पूर्व नियोजित कार्यक्रमों की वजह से, चित्तौड़ गढ़ नहीं जा सका ! मगर तिलयार में, जो कुछ वहाँ के बारे में  ललित शर्मा ने बताया, वह इनके बारे में, मेरे अंदाज़ से भिन्न नहीं था !
जो ब्लोगर ( पद्म सिंह , ललित शर्मा  आदि )वहाँ पंहुचे थे और उनका इस विवाह में, जो आदर सत्कार , भोजन, भेंट ,तिलक किया गया था , उस भरपूर स्नेह और प्यार से अभिभूत ये ब्लागर ,महसूस ही नहीं कर पाए कि इन्दुपुरी को वे , बरसों से नहीं जानते हैं !  शायद ब्लॉग जगत में,  प्यार की परिभाषा, सिखाने में वे अग्रणी हैं !
इस स्नेहमयी को, सादर अभिवादन  !

58 comments:

  1. अल्ले बाबा!

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    1. बरसों बाद फिर यहां पहुंच गई. " अल्ले बाबा" बता रहा है कि मैं आई थी. भावुक हूं. जीवन में कभी मिलोगे न तो पकड़ कर गले लगा लूंगी या लग जाऊंगी :) पर ये तो बताइए इन्दु मां कहकर अब काहे नही बुलाते?

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    2. बरसों बाद फिर यहां पहुंच गई. " अल्ले बाबा" बता रहा है कि मैं आई थी. भावुक हूं. जीवन में कभी मिलोगे न तो पकड़ कर गले लगा लूंगी या लग जाऊंगी :) पर ये तो बताइए इन्दु मां कहकर अब काहे नही बुलाते?

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  2. इंदु पुरी जी से मिलवाने के लिए आभार

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  3. प्यार बाटतें चलो...
    इन्दु जी के पुत्र को विवाह की ढेर सारी शुभकामनायें!

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  4. इंदु जी की ममता मैं भी महेसूस कर चुका हूँ ...बस अब मिलना शेष रह गया है !

    आपका बहुत बहुत आभार इस मुलाकात के लिए !

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  5. इंदु पुरी जी के बारे मे जानकर अच्छा लगा …………शादी का वर्णन पढा था।

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  6. सतीश भाई मैने 22 तारी्ख के एक कार्यक्रम के ईर्द गिर्द ही सारे सफ़र का ताना बाना बुन लिया था। जो 15 से प्रारंभ होकर 3 को सम्पन्न हुआ।

    इसमें सबसे पहले ईंदु जी से ही मिलना तय हुआ। अगर किसी ने प्रेम और स्नेह बरसते नहीं देखा हो,तो वह निम्बाहेड़ा ईंदु जी के यहाँ अवश्य जाए। वहाँ कान्हा के साथ राधा और मीरा भी मिल जाएगी।

    अभिभूत हूँ आज तक।

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  7. राजस्‍थान वाले ऐसे ही प्रेम करते हैं। इस प्रेम को अनमोल समझ कर झोली में बांध लीजिए।

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  8. सतीश भाई ...."इंदु" जी का स्नेह कौन भूल सकता है ...मेरे ब्लॉग पर एक टिप्पणी क्या कर दी ....मुझे झिंझोड़ कर रख दिया ....लिखा था "लिखते हो या जीते हो" ....आपको नमन है ....शुक्रिया

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  9. स्नेहमयी इंदुजी से मिलवाने के लिए धन्यवाद...अच्छा लगा जानकर...वाकई में ब्लॉग के रिश्ते दिल को छूने वाले हैं...लगता ही नहीं कि अजनबी हैं....

    http://veenakesur.blogspot.com/

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  10. बिलकुल सही कहा सतीश जी। ये आभासी दुनिया बाकी दुनिया से बहुत अच्छी है। बस ये स्नेह बना रहे। शुभकामनायें।

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  11. मधुरतम अनुभूति...

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  12. इंदु जी की टिप्पणियों को देखते हुए आपकी बात १००% ठीक लगती है.
    बहुत आभार.

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  13. इन्‍दु पुरी जी से आप माध्‍यम बने मिलने का ...अच्‍छा लगा इनका परिचय और स्‍नेहिल छवि ..।

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  14. सतीश जी,
    इंदु पुरी जी से मिलवाने के लिए धन्यवाद !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  15. तीलियार में भी इन्दु पूरी जी के बारे में काफी बाते हुई थी |आज आपने इस पोस्ट के माध्यम से उनके बारे में बताया बहुत अच्छा लगा | ब्लोगिंग में प्यार की ही कमाई ब्लोग्गर करता है |

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  16. इंदु जी के बारे में बहुत सुना है...महफूज़ को लेकर उनकी चिंता भी देखी है... (टिप्पणियों के रूप में)वाक़ई इंदु जी बहुत अच्छी हैं... आपका शुक्रिया... और इंदु जी को शुभकामनाएं...

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  17. मतलब धारावाहिक ला रहे हो
    स्‍वागत है सतीश भाई।

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  18. बिलकुल सही कहा सतीश जी।

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  19. ऐसी ही एक और ममतामयी हस्ती हैं-आदरणीय अर्चना चावजी... वे भी सबसे बहुत स्नेह करती हैं... उनसे बात करके हमेशा सुकून मिलता है...

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  20. इंदू जी से पहली बार फ़ोन पर बातचीत हुई तो ऐसा लगा ही नही कि पहली बार बात हो रही है. ऐसे आत्मिय व्यक्तित्व कम ही देखने में आते हैं. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  21. इंदू जी से पहली बार फ़ोन पर बातचीत हुई तो ऐसा लगा ही नही कि पहली बार बात हो रही है. ऐसे आत्मिय व्यक्तित्व कम ही देखने में आते हैं. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  22. ब्लॉग परिवार धीरे धीरे फल फूल रहा है । लेकिन बढ़ते परिवार के साथ जिम्मेदारियां बढ़ना भी लाज़िमी है ।

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  23. ऐसे ही स्नेह बनाए रहें

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  24. ... behad aakarshak va prabhaavashaalee post !!!

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  25. इंदु पुरी जी से मिलवाने के लिए आभार!

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  26. आप हैं ही इस लायक :)

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  27. बच के रहना इन्दुपुरी जी से इन्होने एक स्कूल खोला है जो प्यार करना नहीं सीखता उन्हें डंडे से पीटती हैं.

    और डा.अजित जी क्या आप सच कह रही हैं ?

    :):):):)

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  28. इंदु जी से बात हुई थी - दुनिया की सबसे लम्बी चेट (मिसफ़िट सीधीबात पर)...गीतों की शौकीन और जानकार है वे....बस मुलाकात का इंतजार है..और ये फ़िरदौस भी न....(ममतामयी हस्ती)क्या-क्या लिख देती है... हा हा हा

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    1. फिर उस चैट का क्या हुआ? क्या उसे दुनिया की सब से लम्बी चैट का दर्ज़ा मिला?

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  29. इंदु जी को हार्दिक बधाई अपनी पुत्र-वधु को अंगना में लाई हैं.

    सतीश जी, आप वो है जो दिल को दिलों से बांधते हैं. इस (आभासी) जगत का आप पर स्नेह का यही कारण है.

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  30. @ दीपक बाबा,
    अक्सर यहाँ अपनापन के अर्थ उल्टा ही लगाया जाता है ! भाई लोग आसानी से हंस कर बात भी नहीं करते, मुस्काते हैं तो लगता है जैसे अहसान कर दिया हो :-)

    हर ऐसी पोस्ट जो एक करने और मित्रता के आवाहन लिए होती है उस पर शक किया जाता है ,बची खुची कसर उस पर आये कमेन्ट पूरी कर देते हैं ! और तो और जिसके लिए पोस्ट समर्पित होती है उन्हें भी उसकी नियत पर शक ही रहता है !

    खैर ,
    नए शक्तिशाली शक्ति पूंज आ चुके हैं और उम्मीद है वे ऐसे नहीं होंगे !
    आप उनमें से एक हैं दीपक बाबा !

    शुभकामनायें आपको

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  31. अरे वाह,
    ब्लॉग जगत नाम के बेनामी का प्रवचन तो जोरदार है… शुद्ध और मारक हिन्दी में… :) :)

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  32. सतीश जी आज आपके लेख के माध्यम से मैंने इंदु पूरी जी कि पोस्टों को पढ़ा. इससे पहले तो मुझे उनके फोटो में उनका अंदाज ही पसंद था पर अब कहूँगा कि इंदुजी अच्छा लिखती भी हैं.

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  33. सतीश जी इंदु जी को हम ने भी धन्यवाद कहना हे,

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  34. बेहतरीन पोस्ट लेखन के बधाई !

    आशा है कि अपने सार्थक लेखन से,आप इसी तरह, ब्लाग जगत को समृद्ध करेंगे।

    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है-पधारें

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  35. अभी पद्मसिंहजी की पोस्ट पढ़कर आ रहे हैं, नमन है इंदु जी (ऐसीच्च हूँ ब्रांड है इनका) :)

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  36. .
    .
    .
    हाजिर थे श्रीमान,
    कहेंगे कुछ नहीं...


    ...

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  37. हमम.. जारी रखिए.

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  38. बेहद संवेदनशील व्यक्तित्व है इंदु 'नानी' का। पक्की शैतान की नानी है। पहले चरणों का पता-ठिकाना पूछती है फिर उन्हें पकड़ कर उल्टा लटका देती हैं। रोते हुए को हँसाना और हंसते हुए को रूला देना उनके बाएँ हाथ की कनिष्ठा की हरकत का मामूली सा काम है। कहती है अपने-आप को आफ़त की पुड़िया लेकिन है पूरी स्नेहमयी गुड़िया।

    आवाज़ पर शुरू हुई प्रतिद्वन्दता कब भाई-बहन के बंधन में बदल गई पता ही नहीं चला। आवाज़ पर की गई हम दोनों की शरारतें बताऊँ तो सजीव सारथी मेरा भुरता बना देंगें :-)

    ममतामयी इंदु जी से आमने-सामने मिलने के क्षण भले ही टल गए हैं लेकिन पिछले माह संकट के क्षणों में उनकी भावनात्मक कसमसाहट देख-सुन अब उनका सामना करने में डर लगने लगा है।

    ईश्वर उन्हें स्वस्थ, सानंद, हंसमुख बनाए रखे

    आभार आपका भी सतीश जी

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  39. @ Suresh Chiplunkar ji

    ब्लॉग जगत नाम के बेनामी का प्रवचन सतीश पंचम जी की पोस्ट से टीपा गया है

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  40. इन्दू जी का प्रेम उनकी बातों में साफ़ झलक जाता है ... सरल ह्रदय भोले अंदाज़ से लिखी उनकी बातें उनकी शक्सियत बयान करती हैं ..

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  41. 1. चित्तोड़ गढ़ भी होकर आना चौधरी !
    और वहां जाओ तो इंदु माँ ( इंदु पूरी ) से मिलना नहीं भूलना उन्हें मेरा राम राम कह देना और अगर मेरा नाम सुनकर गालियाँ दें दो मेरी और से खा लेना ! इस वात्सल्यमयी से मिलकर तुम्हें अच्छा लगेगा ! शुभकामनायें

    2. दुष्ट! उदयपुर से चित्तोड ज्यादा दूर नही था. अब मिलना कभी जो उलटा ना लटकाया तो नाम बदल देना.????? तुम्हारा रे.

    दूसरे वाली टिप्पणी मेरे यहां गूगल बज में इंदु जी ने लिखी है। मैं तो सोच रहा हूं कि कभी चित्तौड जाऊंगा तो पहले से ही उल्टा होकर जाऊंगा। कम से कम दोबारा सीधा तो हो जाऊंगा।

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  42. इन्दुपुरी जी के बारे में कल ही ललित जी के ब्लॉग में पढ़ा था ... काफी अच्छा लगा जानकर ... ममतामयी व्यक्तित्व को प्रणाम .... आभार

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  43. @ नीरज जाट ,
    शाबाश चौधरी ,
    हा...हा...हा....हा.....हा....हा.....हा...हा.......
    आज तो आनंद आ गया नीरज, जरा ऊपर पाबला जी के कमेन्ट देखो !

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  44. वाह सा'ब ! परिचय कराने का शुक्रिया !
    अच्छा है कि आपकी इस श्रृंखला से उपेक्षित वात्सल्य भाव अनुप्राणित होगा ! अगले अंकों की प्रतीक्षा !

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  45. जी मुझे भी किसी ने बताया...
    मेरा भी अभिवादन...

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  46. कुछ लोग होते ही ऐसे हैं कि आप पर अपना हक बना लेते हैं और आप को भी यह अच्छा लगता है।

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  47. .सतीश जी, आप वो है जो दिल को दिलों से बांधते हैं. इस (आभासी) जगत का आप पर स्नेह का यही कारण है.
    baba ji ki baat 100% satya hai.

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  48. कुछ तो सीखें लोग इस अनुकरणीय व्यक्तित्व से !

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  49. हालाँकि इन्दु जी को कभी पढने या इनसे संवाद का कोई अवसर तो नहीं मिल पाया, किन्तु गूगल बज पर इनकी हल्की-फुल्की मजाकिया टिप्पणियाँ जरूर देखी हैं...आज आपके माध्यम से इनके बारे में अच्छे से जानने का मौका मिला..उनका व्यक्तित्व प्रभावित करता है.

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  50. :) yah apnapan khud ba khud ho jata hai.. :) rishte wahi nibhte hain.. jo nibh sakte hain... agar nibhaana pade to kuch gadbad hai... indu jee ko unke bete kee shadi ke liye badhayi...
    aur apka bahut bahut shukriya aise vyaktitva se parichay karane par... :)

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  51. इंदु जी हैं ही ऐसी प्यार लुटाती....उनकी टिप्पणियाँ उर्जा से भर देती हैं...

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  52. अपन लोग की तो यूनिवर्सल बुवा हैं.. वो तो बस ऐसिच हैं...... :)

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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