Monday, December 23, 2013

गिरगिट जैसी चमड़ी वाले , रंग बदलते गंदे लोग -सतीश सक्सेना

नेता बनकर बाहर निकले, देश लुटाते गंदे लोग !
जनमानस में आग लगाने, घर से जाते गंदे लोग !

राजनीति में चोर बताया जाए, अच्छे लोगों को !
अपना माल छिपा,गंदे आरोप लगाते,गंदे लोग !


सभी जानते भले लोग,जनमानस के दिल में बैठे
स्वच्छ छवि को मैला करने भ्रम फैलाते गंदे लोग !


जेल दूसरा घर होता है, चोर उचक्के लोगों का
नेता बनकर, घोटाले कर, जेल न जाते गंदे लोग !

चोर डकैती में तो ख़तरा, बड़ा झेलना पड़ता है !
राजनीति में आसानी से, माल कमाते गंदे लोग !




28 comments:

  1. खद्दर पहन कर वो
    उधर को निकल रहा है
    इधर कोई उसको देख कर
    यहाँ भी कपड़े बदल रहा है
    वो उधर सँभाल रहा है
    ये इधर खंगाल रहा है !

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  2. सुन्दर रचना । पढ-कर मज़ा आ गया । आप कितना अच्छा लिखते हैं । कैसे लिख लेते हैं ?

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  3. सब कहते हैं नेता बनकर , नोट कमाए जाते हैं !
    वोट माँगने अब आयेंगे , लालच देते, गंदे लोग !
    बहुत खूब !

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  4. अब राजनीति स्वार्थ नीति होकर रह गई है

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  5. ओसे लोड तो अब हमारे रहनुमा बन गए हैं ...
    टॉक टिप्पणी है आपकी इस जमात पर ...

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  6. आज की राजनीति पर तीखे व्याग कसती आपकी ये रचना....
    कभी पधारिए हमारे ब्लॉग पर भी.....
    नयी रचना
    "एहसासों के "जनरल डायर"
    आभार

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  7. बहुत ही सुन्दर और प्रभावी कविता।

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  8. सटीक रचना है, नए वर्ष में कुछ अच्छा हो शायद !
    आशा की एक किरण तो दिखायी दे रही है !

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  9. चोर डकैती में तो ख़तरा, बड़ा झेलना पड़ता है !
    राजनीति में आसानी से, माल कमाते गंदे लोग !

    बहुत खूब ! सुंदर अभिव्यक्ति,..!
    =======================
    RECENT POST -: हम पंछी थे एक डाल के.

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  10. चोर डकैती में तो ख़तरा है...राजनीति में आसानी से, माल कमाते गंदे लोग...अति सुन्दर...

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  11. माल कमाने ही आये राजनीति में गंदे लोग , इसलिए ही राजनीति गन्दी हुई।
    शुद्धिकरण की कुछ उम्मीद तो बंधी है !

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  12. कविता के शीर्षक से लग रहा था कि आप संगीता रिचर्ड पर अपना गुस्सा निकल रहे हैं :-))

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  13. कविता के शीर्षक से लग रहा था कि आप संगीता रिचर्ड पर अपना गुस्सा निकल रहे हैं :-))

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    Replies
    1. संगीता रिचर्ड भी खादी पहनती है ? :)

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  14. जेल दूसरा घर होता है ,चोर उचक्के लोगों का
    खद्दर पहने, घोटाले कर, जेल में जाते गंदे लोग !

    नकाब खोलता लोगों के अंतर्मन का चित्रण

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  15. मगर आपसे तो बड़ी आशा है

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  16. आपके गीतों की बात तो अलग ही है, लेकिन आपका यह रंग सचमुच प्रभावशाली है!!

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  17. गंदे लोग गन्दी राजनीति। .... गन्दी बात :-)

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  18. अब तो लोग गा गाकर भी कहने लगे हैं...तेरे संग करुंगा में गन्‍दी बात...

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  19. यथार्थ का दर्शन कराती बढ़िया प्रस्तुति.
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ सतीश भाई.

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  20. नए साल की मंगल कामना
    नचिकेता

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  21. Raajniti se acha koi business nahi hai na isliye yeh sab hota hai :)
    badhaai ho is rachna ke liye..
    Nav-Varsh ki shubhkamnayein..
    Please visit my Tech News Time Website, and share your views..Thank you

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  22. अब अच्छे लोग भी राजनीति में सक्रिय भागीदारी कर रहे हैं। शुभ संकेत मिलने शुरू हो चुके हैं।

    कविता पढ़कर राजनीति से भाग जायेंगे गंदे लोग।:)

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  23. यही लोग जब माननीय बन जाते है तब देखो इनके जलवे ...बहुत सटीक ..
    आपको सपरिवार नववर्ष की मंगलकामनाएं

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  24. सब तरफ़ यही गंदे लोग तो भरे पडे हैं. कभी तो अच्छे कोग भी आयेंगे ही, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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