कूड़ा साफ़ करें बरसों का,नौजवान झाड़ू वाले !
घर को दीमक मुक्त कराने आये हैं झाड़ू वाले !
जलते घर में ठंडक लाने,जल लाये,झाड़ू वाले !
देशवासियों,बाहर आयें ,द्वार खड़े झाड़ू वाले !
हर बस्ती, निगरानी करने, जायेंगे झाड़ू वाले !
महिलाओं को रखें सुरक्षित,ठान रहे झाड़ू वाले !
मंदिर मस्जिद,चर्च बुहारेंगे आकर झाड़ू वाले !
राम,अली,ईसा मसीह को,आदर दें,झाड़ू वाले !
सारे धर्मों का सुख लेंगे, एक साथ, झाड़ू वाले !
आम आदमी साथ जियेंगे साथ मरें झाड़ू वाले !
शातिर चोर उचक्कों से, लड़ने आये झाड़ू वाले
मत घबराओ टूटी कुटिया , छाएंगे झाडू वाले !
परिवर्तन की अलख जगाते गीत
ReplyDeleteसुप्रभात संग प्रणाम
सुन्दर कविता, स्पष्ट बदलाव का संकेत, भारतीय राजनीति के लिये।
ReplyDeleteसुन्दर सामयिक रचना
ReplyDeleteबेटे ने लिखी है तो शाबाश
नीचे कचरा साफ़ करे और ऊपर का जाला
झाड़ू वाला आया देखो लगता है मतवाला
आमीन...भारतीय राजनीति के दिन फिरने ही वाले हैं..बधाई आपको और नन्हे कवि को भी
ReplyDeleteबढ़िया-
ReplyDeletebahut khubsurat......kash dimak mukt ho jaaye puraa desh par sambhav hain nahi yah
ReplyDeleteआज हर मनुष्य परिवर्तन चाहता है,काश ऐसा ही हो ,
ReplyDeleteझाड़ू की महिमा हर मनुष्य स्वीकार कर ले तो
निश्चित ही देश में हम सुशासन की उम्मीद कर सकते है
उम्मीदों का दामन पकड़े ताक रहे सब इनकी ओर
ReplyDeleteझाड़ू की हर सींक कलम बना नई इबारत लिखते लोग। ।
बहुत सुन्दर ! परिवर्तन का संकेत.
ReplyDeleteनई पोस्ट : कोरे ख़त आते रहे
काश के झाड़ू वाले कुछ सफाई कर ही दें सच कहा आपने ये एक स्वप्न है |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...आशा बनी रहे...
ReplyDeleteआज के नौजवान को झाड़ू से परहेज़ नही तो गंदगी की खैर नही ......
ReplyDeleteबधाई और शुभकामनायें!
उम्मीद पर दुनिया कायम है इन्हें भी परखें .....बहुत बढ़िया लिखा है बधाई आपको
ReplyDeletepita ke gun bete me bhi aaye hain bahut sunder likha hai beta bahut bahut badhai sada khush raho
ReplyDeletesneh
Rachana
सन्नाट!!
ReplyDeleteझाडू वाले इस समय लुभान उड़ा रहे हैं...कि न तुमको खड़ा होने देंगे न खुद खड़ा होंगे...खूब छींको
सफ़ाई तो झाडू से ही संभव है.
ReplyDeleteरामराम.
आदर्श पेश करती रचना स्वप्न साकार हो सके--बेहतरीन
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