Tuesday, April 6, 2010

याद तो फिर भी आओगे - सीमा गुप्ता !

                                पंकज सुबीर की पहचान शक्ति की तारीफ़ करनी होगी !  सीमा गुप्ता के  कविता संकलन  की पहली लाइनें ही दिल छू गयीं और इस लेख का शीर्षक बन गयीं  ! कुछ लम्हे पर  पंहुचते ही महसूस हो जाता है कि आप किसी असीमित क्षमता के धनी ,भावुक कलाकार के घर आये हैं  ! इस रचना में उठाया विषय बिछड़ों के बारे में हैं ,क्या हमारे जीवन से दूर चले जाने वाले हमारे अपने, कभी भी हमारी यादों से धूमिल हो पाते हैं ? 
  
"ह्रदय के जल थल पर अंकित 
चित्र  ! धूमिल कर  जाओगे !
याद  तो फिर भी  आओगे  !"


हँसना रोना ,  गीत  पुराना  !
सुर सरगम का साज बजाना 
शब्द ताल ही ले जाओगे ...
याद तो , फिर भी आओगे  !


सूनी राहें दिल थाम के चलना 
साथ  बिठाये पलों का  छलना 
यही,  खाली  कर  जाओगे ...
याद तो ,  फिर भी  आओगे   ! 


                                  अपनों से दूर होने की व्यथा की ऐसी गहरी अभिव्यक्ति और बिछड़ गए इन अपनों से, यह उदास शिकायत, शायद हर संवेदनशील ह्रदय के जीवन का एक भाग होगी ,जिसे हम व्यक्त नहीं कर पाए  और सीमा ने बेहद खूबसूरती से व्यक्त कर दिया ....

14 comments:

  1. आदरणीय सतीश जी , आप सभी के आशीर्वाद से ही ये काव्य संग्रह जन्म ले पाया और आप सभी के सहयोग और स्नेह से ये संग्रह अपनी जगह बनाने में कामयाब हो रहा है. पंकज जी के आशीर्वाद और शिवना प्रकाशन की टीम की मेहनत इस संग्रह में स्पष्ट नजर आ रही है, उसके लिए मै शिवना प्रकाशन का जितना शुक्रिया अदा करूं कम है.
    सतीश जी काव्य संग्रह की पहली ही रचना को लेकर जो विचार आपने इतने अच्छे और सराहनीय तरीके से व्यक्त किये हैं और आपने मुझे अपने ब्लॉग पर ये सम्मान दिया उसके लिए मै दिल से बेहद आभारी हूँ
    regards

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  2. सीमा जी को बधाई
    एवं आपको भी शुभकामनाएं

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  3. हमारी तरफ़ से भी सीमा जी...और आपको भी शुभकामनाएं...

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  4. सीमा जी की कविताओं में एक प्रकार की सेडनेस है जो इन दिनों कम ही लेखकों की रचनाओं में होती है । यही सेडनेस उनकी कविताओं को खास बनाती है । सतीश जी आपको आभार पुस्‍तक पर चर्चा करने के लिये ।

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  5. सीमा जी को बधाई
    shekhar kumawat

    http://kavyawani.blogspot.com/

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  6. सीमा जी की कविताओं का मुख्य स्वर विरह का है -उन्हें लगता है की सुख संयोग की स्थाई चाहना तो सभी को होती है मगर कोई विरह वियोग के दुःख को भी तो अपनाए और तद्जनित पीड़ा को रचनात्मक बनाते हुए एक उत्कट जीजिविषा से जीवन की राहों पर बढ़ता जाये -यह सीमा जी ने खुद के जीवन में चरितार्थ कर दिखाया है .
    मैं भी इस अप्रतिम रचनाकार को इन दिनों पढ़ रहा हूँ -

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  7. हमारी तरफ़ से भी सीमा जी...और आपको भी शुभकामनाएं...

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  8. सीमा जी के भाव गहरे हैं और उतनी गहराई से मन को छू जाते हैं ।

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  9. यादों पर तो बस चलता ही है।
    सुन्दर रचना । अच्छी प्रस्तुति ।

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  10. सीमाजी की कविताएं विरह भाव का सृजन करती हैं. यह सब बात उनके पाठक भलिभांति जानते हैं. पर आश्चर्य की बात कि वो विरह उनके निजी स्वभाव मे कहीं नही है. वो कमेंट मे ha..ha...ha..का जैसा भाव प्रदर्शित करती हैं ठीक वैसी ही उन्मुक्त और निश्चल हंसी उनसे बातचीत मे नजर आती है.

    वाकई लगता है कि रचना कर्म करते समय उन पर मां सरस्वती की असीम अनुकंपा रहती है. ये कृपा बनी रहे. उनको बहुत शुभकामनाएं. और आपका इस समीक्षा के लिए बहुत आभार.

    रामराम.

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  11. badhai seema jee ko.
    shubhkamnayein

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  12. Seemaji ko badai.... Bahut sunder rachna... satishji appko aabar.

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  13. rakesh kaushik07 April, 2010 11:48

    Hello Madam,
    Congratulation for getting so much positive review on ur book.
    It's really incredible to have this kind of feed back. And it is fine enough to encrough to write another Fantastic edition.

    Many Many Congratulation n Best wishes for the future,


    Rakesh Kaushik
    9268225947

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  14. सीमा जी को शुभकामनाएं !!

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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