Tuesday, April 13, 2010

होमिओपैथी और आपकी असाध्य बीमारियाँ -सतीश सक्सेना

          
आदरणीय दिनेश राय द्विवेदी द्वारा लिखित क्या होमिओपैथी अवैज्ञानिक है ? पोस्ट पर बड़ी मनोरंजक प्रतिक्रियाएं पढने को मिलीं कुछ लोगों को होमिओपथी पर भरोसा था और कुछ इसे नितांत झोला छाप विद्या बता रहे थे !

                 कल यही मैंने अपने मित्र आदरणीय डॉ अमर कुमार , को कहने का प्रयत्न किया था कि जब आप एलोपैथ हो तो उस पैथी से, जिसपर आपका विश्वास ही नहीं है , नाराज क्यों हो ? एक एलोपैथिक डॉ की नाराजी स्वाभाविक है, जब उनके रोगी, उस बीमारी से स्वस्थ होने की खबर उन्हें देते हैं, जो एलोपैथिक नज़रिए से असाध्य है ! तो एक सबसे अधिक पढ़े लिखे आदमी ( एम् बी बी एस , एम् एस ) का झल्ला जाना स्वाभाविक है :-)

               जहाँ तक वैज्ञानिक विवेचना का सम्बन्ध है, तो आज तक विज्ञान ईश्वर शब्द पर ही भरोसा नहीं कर पाया है, तो उसकी बनाई शक्तियों को कैसे पहचानेगा सिर्फ उनके अहसास होने पर, अपने आपको चमत्कृत ही पाता है ! मैंने यहाँ कुछ सज्जनों को बिना समझे ही, होमिओपैथी का मज़ाक बनाते देखा है ! सबूत और इनामी राशि देने की बात कही जा रही है.....

               कम से कम, मैं जो एक होमियोपैथी श्रद्धालु और ३० साल से इन पुस्तकों का एक विद्यार्थी मात्र हूँ, इस मूर्खता पूर्ण बहस को, और चैलेन्ज को स्वीकार नहीं करूंगा, डरने के कारण नहीं बल्कि विद्वान् मगर इस महान वैकल्पिक चिकित्सा के प्रति,नासमझ लोगों की जमात के सामने, अपने आपको खड़ा करने में झिझक के कारण !

              अब आप मेरी शौक से मज़ाक उड़ाइए ... बेहतरीन विश्वासों की ऐसी मज़ाक हज़ारों सालों से, आधुनिक वैज्ञानिकों द्वारा उड़ाई जाती रही हैं सो मैं होमिओपैथी की मज़ाक उड़ाने पर, आपको मुस्कराते हुए शुभकामनायें  देता हूँ !

             आरोप लगने से, पहले मैं बता दूं कि बचपन से अंधविश्वासों और अंध धार्मिक आस्थाओं का घोर विरोधी रहा हूँ ! सवाल सिर्फ अपनी अपनी शिक्षा का और समझ का है !

             मैं एलोपैथिक मत पर विश्वास रखता हूँ परन्तु एलोपैथिक डॉ से बहुत डरता हूँ क्योंकि अक्सर वे भयभीत रोगी से पहला सवाल " क्या करते हो " का ही करते हैं, और बदकिस्मत रोगी अगर सर्जन के सामने हो तो भगवान् ही मालिक है  :-)

            मेरे एक सर्जन मित्र जो एक मशहूर क्लिनिक में कार्य करते थे इस लिए नौकरी छोड़ने को विवश होना पड़ा क्योंकि उन्होंने एक रोगी को, बिना आपरेशन ही ठीक कर दिया था ! आज से लगभग २६-२७ वर्ष पहले दिल्ली के मशहूर आर्थो स्पेशलिस्ट डॉ विरमानी ने मुझे गले में कालर लगाना और मोटर साइकिल छोड़ना अति आवश्यक बताया था ! उस समय स्पोंडलाइटिस के दर्द से कराहते हुए, मैंने अपनी इच्छा शक्ति को चैलेन्ज करते हुए, अपने आपको बिना किसी डॉ से सहायता लिए, ३ महीने में इसी होमिओपैथी से ठीक किया था और तब से आज तक अपने परिवार का ही लाखों रुपया डॉ को देने से और अपने शरीर को गिनी पिग बनाने से बचा लिया !

            मैं यहाँ यह जरूर बताना चाहता हूँ, सैकड़ों गरीबों और जरूरत मंदों की अनगिनत भयानक बीमारियाँ मैंने खुद निशुल्क ठीक की हैं उनमें गैंग्रीन, जिसमें पैर कटाने की तारीख मिल चुकी थी, स्पाइनल स्लिपडिस्क जिसमें ३ ओपरेशन बताए गए थे, आदि बहुत उदाहरण हैं ! इस वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के के कारण मैंने पिछले २५ वर्षों में मैंने अपने परिवार पर, एलोपैथिक डॉ को कोई पैसा नहीं दिया :-)

           अफ़सोस यह है कि होमिओपैथी को जानने वाले सैकड़ों जगह जगह मिल जायेंगे और बीमारी का नाम सुनकर ही दवाएं देने वाले भी हर जगह मौजूद हैं (जिनके कारण होमिओपैथी बदनाम है ) !अतः होमिओपैथी का इलाज़ करते समय डॉ का चुनाव बहुत अहम् है !


          मेरा विश्वास है कि अगर कोई होमिओपैथिक डॉ आपके मानसिक व्यव्हार को भली भांति जानता है तो और आपको ठीक करना चाहता है तो भयानक और असाध्य बीमारियों को भी आसानी से ठीक कर सकता है !

          अगर आप सही समझ के साथ पिछले १० वर्षो से होमिओपैथी के प्रभाव में हैं तो यकीन करें कि आपकी उम्र, सामान्य से १० वर्ष अधिक होगी !

          होमिओपैथी एक आश्चर्यजनक विधा है और कुशल डॉ की देख रेख में ,बेहद खतरनाक बीमारियों से तुरंत आराम दिलाती है !

13 comments:

  1. मेरा विश्वास है कि अगर कोई होमिओपैथिक डॉ आपके मानसिक व्यव्हार को भली भांति जानता है तो और आपको ठीक करना चाहता है तो कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों को भी आसानी से ठीक कर सकता है !
    ...... Vishwas hi wah kadhi hai jo rogi ko bahut had tak uske rog se mukti dilati hai...
    Angreji dawaon ke side effect ko dekhte hue aaj होमिओपैथिक ki aur logon ka rujhan badh raha hai..
    Achhi post ke liye aabhar..

    ReplyDelete
  2. anubhav hee shikshak ban sakta hai ise kshetr me .Aksar maine sab taraf se nirash vyakti ko hee ise aur jhukte dekha hai.

    aaj ke jamane me ye vyvsay ban gaya hai insaan chikitsak ke changul me fasana hee nahee chahta aise log bhee homeopathy kee aur aakarshit hote hai .
    aastha vishvas kee buniyad par hee swasthy labh tika hai aisa mera bhee manna hai....

    ReplyDelete
  3. एलोपैथी , होम्योपैथी, आयुर्वेदिक --ये सभी चिकित्सा पद्धतियाँ भारत में मान्यता प्राप्त है सरकार द्वारा।

    बेशक एलोपैथी वैज्ञानिक प्रयोगों और अनुसंधान द्वारा अर्जित किये गए ज्ञान पर आधारित है। अक्युट इलनेस और सर्जिकल कंडीशंस में इसका कोई विकल्प नहीं । लाइफ सेविंग पद्धति सिर्फ यही है।

    लेकिन कुछ क्रोनिक यानि पुराने , लम्बी अवधि वाले रोगों में कभी कभी लाभदायक नहीं रहती।

    ऐसे में होम्योपैथी या आयुर्वेदिक दवाएं काम आ जाती हैं। कोर्न्स , वार्ट्स और कैलोसिटिज में थूजा २०० का प्रभाव ड्रामैटिक है । इसी तरह गले के क्रोनिक या बार बार होने वाले संक्रमण को आयुर्वेदिक दवा -सेपतिलिन द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है। ये मैं अपने अनुभव से बता रहा हूँ। मुहांसों का कोई खास इलाज़ एलोपैथी में नहीं है , लेकिन होम्योपैथी में बहुत बढ़िया इलाज़ है।

    इस तरह सबकी अपनी अपनी अहमियत है । देखा जाये तो ये एक दुसरे के पूरक ही हैं।

    लेकिन सावधान रहने की ज़रुरत भी है क्योंकि हमारे यहाँ और भी कई तरह के डॉक्टर्स इलाज़ करते हैं जैसे पहलवान , बाबा , झाड फूंस और अनेकों पीर सिद्ध भगवान कहलाने वाले पाखंडी ।

    ReplyDelete
  4. सत्य कहा आपने....
    कोई भी पथ/विज्ञान यदि यह दावा करे की वही सबकुछ है,बाकी सब कचरा है,तो इसीको तो दंभ कहते हैं...
    प्राचीन चिकित्सयीय पद्धति चाहे वह आयुर्वेद हो या होमियोपैथ जितना समृद्ध है,एलोपैथ अभी तक वहां पहुंचा नहीं है...
    हाँ,यह अवश्य है कि चूँकि अधकचरे ज्ञान वाले लोग आयुर्वेद तथा होमियोपैथ डाक्टर होने का दावा करते हुए बहुतेरे रोगियों को मौत के मुंह तक पहुंचा देते हैं,इसलिए यह पूरा पैथ ही बदनाम हो गया है और रही सही कसर एलोपैथ को ही अंतिम और सफल चिकित्सा पद्धति बतलाने ठहराने वाले लोगों की मार्केटिंग स्ट्रेटेजी ने पूरा कर दिया...

    ReplyDelete
  5. इस लेख में कहीं भी कुछ गंभीर नहीं है -थोथे सा है ,सार तो कुछ मिला नहीं !
    वह तो धन्य मानिये डॉ दयाल ने कुछ जोड़ कर सरस बना दिया है

    ReplyDelete
  6. अगर विषय का अनुभवी डाक्टर हो तो सब बढिया ही रहता है. पर आज कल नीम हकीम खतराये जान भी बहुत घूमते हैं. हां होम्योपैथी कुछ खास बात तो है और कुछेक असाध्य रोगों मे भी इसे कारगर पाया गया है.

    बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  7. @ अरविन्द मिश्र !
    आपके आने से ही सरस हो गया यह लेख ! शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  8. आकिर होम्योपेथी के जनक हेनीमेन भी तो एलोपेथ डा. थे | जब उन्होंने एलोपेथ में दवाओं के साइड इफेक्ट देखे तो उनका एलोपेथ से भरोसा उठ गया और उन्होंने होम्योपेथ का अविष्कार कर डाला |
    हालाँकि एलोपेथ का अपना महत्व है पर होम्योपेथ व आयुर्वेद को कोई नकार नहीं सकता | इसनी मजाक उड़ने वालों को मैं तो बेवकूफ ही कहूँगा | जिन बिनारियों के लिए एलोपेथ डा. दुनिया भर के महंगे लेब टेस्ट करवाते है फिर भी सही बीमारी का उन्हें पता नहीं चलता वही हमारे आयुर्वेद वाले नाडी देख बीमारी बता देते है ,
    -----------
    मेरे एक सर्जन मित्र जो एक मशहूर क्लिनिक में कार्य करते थे इस लिए नौकरी छोड़ने को विवश होना पड़ा क्योंकि उन्होंने एक रोगी को बिना आपरेशन ही ठीक कर दिया था !

    @ मशहूर अस्पतालों में डा. की योग्यता नहीं देखि जाती , सिर्फ यह देखा जाता है कि वह मरीज से कितना पैसा हड्फ़ कर अस्पताल को दिलवाता है | फोर्टिस जैसे अस्पतालों में तो हमने ऐसे कई मरीज देखे है जो इलाज के लिए गए तो पैरों पर चल कर थे , पर लौटे अर्थी पर |

    ReplyDelete
  9. सतीश जी, आप का आलेख भावनात्मक अधिक है। वास्तव में इसे तथ्यात्मक होने की आवश्यकता है। इस के लिए नियमित होमियोपैथ चिकित्सकों को आगे आना चाहिए।
    आप का इस पद्धति पर दृढ़ विश्वास देख कर चकित हूँ। इसी पद्धति ने मेरे दोनों बच्चों को आज तक स्वस्थ रखा है और रख रहे हैं।

    ReplyDelete
  10. आपने बहुत अच्छी जानकारी दी है...
    होम्योपैथी का मूल मंत्र है- "लोहे को लोहा काटता है..."
    हमने इस पर काफ़ी काम किया है...
    आपको एक जानकारी देना चाहेंगे, जो बहुत कम लोग जानते हैं...
    कहा जाता है कि होम्योपैथी की दवाओं का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता... जबकि यह बात ग़लत है... होम्योपैथी दवाओं का भी साइड इफेक्ट हो सकता है, लेकिन यह जल्दी से सामने नहीं आता, जैसे एलोपैथी का आ जाता है...

    ReplyDelete
  11. बाप रे ! आपके सामने मैं तो कुछ भी नहीं .अभी तो शायद ' क ' भी ठीक से नहीं जाना है .असाध्य बिमारियों से ज्यादा वास्ता नहीं पड़ा है.कृपया मुझे मार्गदर्शन करें . लोगों का काम है कहना..मुझे भी कभी-कभार दवा का चमत्कार दिखता ही रहता है.तो आस्था कैसे नहीं होगी ? वो भी मेरे हाथों ...ह्रदय से धन्यवाद निकलता है उपरवाले के लिए .. जिसने थोडा-बहुत हुनर दिया है...अब उसे निखारते रहना है...

    ReplyDelete

एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

Related Posts Plugin for Blogger,