Wednesday, July 14, 2010

दर्द दिया है तुमने मुझको, दवा न तुमसे मांगूंगा - सतीश सक्सेना

आहत स्वाभिमानी मन का छलकता गर्व, महसूस करें ! लगभग 25 साल पहले लिखी यह रचना आपकी नज़र है !   

समझ प्यार की नही जिन्हें 
है,समझ नही मानवता की !
जिनकी अपनी ही इच्छाएँ
तृप्त , नही हो पाती हैं  !
दुनिया चाहे कुछ भी सोंचे ,

कभी न हाथ पसारूंगा ?
दर्द दिया है तुमने मुझको , दवा न तुमसे मांगूंगा !

चिडियों का भी छोटा मन है

फिर भी वह कुछ देती हैं !
चीं,चीं करती दाना चुंगती
मन को , हर्षित करती हैं !
राजहंस का जीवन पाकर,

क्या भिक्षुक से मांगूंगा ?
दर्द दिया है तुमने मुझको , दवा न तुमसे मांगूंगा !

विस्तृत ह्रदय मिला ईश्वर से
सारी दुनिया ही, घर लगती
प्यार,नेह,करुणा औ ममता
मुझको दिए , विधाता ने  !
यह विशाल धनराशि प्राण !

अब क्या में तुमसे मांगूंगा ?
दर्द दिया है  तुमने मुझको , दवा  न  तुमसे  मांगूंगा  !

जिसको कहीं न आश्रय 
मिलता, 
मेरे दिल में रहने आये !
हर निर्बल की रक्षा करने
का वर मिला , विधाता से !
दुनिया भर में प्यार लुटाऊं, 

क्या लोभी से मांगूंगा ?
दर्द दिया है तुमने मुझको , दवा न तुमसे मांगूंगा !


परपीड़ा देने को अक्सर 
करता ह्रदय,निष्ठुरों का,
जंजीरों से ह्रदय और मन
बंधा रहे ,  गर्वीलों  का  ,
मैं हूँ फक्कड़ मस्त कवि, 

क्या गर्वीलों से मांगूंगा ?
दर्द दिया है तुमने मुझको, दवा न तुमसे मांगूंगा !

43 comments:

  1. कवि ही नहीं , मूलतः आप कवि ह्रदय भी हैं -मगर यह कविता आपको खाटी का कवि साबित कर देती है ! (कवि होना एक हुनर है मगर कवि( स) ह्रदय विरले ही होते हैं -)

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  2. विस्तृत ह्रदय मिला ईश्वर से
    सारी दुनिया ही घर लगती
    प्यार नेह करुना और ममता
    मुझको दिए , विधाता ने !

    बहुत सुन्दर भाव हैं । बिल्कुल आपके व्यक्तित्त्व का आइना है ।

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  3. bahut achchhi kavitaa ....badhai

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  4. जिसको कहीं न आश्रय मिलता
    मेरे दिल में , रहने आये
    !ise soch ko naman.....
    bahut sunder hrduysparshee bhavliye anupam abhivykti.......
    aabhar.

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  5. आह!! वाह!! बहुत ही उम्दा, सतीशा मेरे भाई!!! जिओ!

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  6. राजहंस का जीवन पाकर क्या भिक्षुक से मांगूंगा !
    दर्द दिया है तुमने मुझको दवा न तुमसे मांगूंगा
    बेहद प्रसंशनीय अभिव्यक्ति..
    regards

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  7. मैं हूँ फक्कड़ मस्त कवि, क्या गर्वीलों से मांगूंगा !
    दर्द दिया है तुमने मुझको दवा न तुमसे मांगूंगा !
    मांगने से पाया तो क्या पाया? बहुत सुन्दर भाव हैं शुभकामनायें

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  8. प्रत्‍येक शब्‍द दिल से निकला है, बहुत ही श्रेष्‍ठ रचना है सतीशजी, बधाई।

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  9. बहुत सुन्दर रचना है...

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  10. हमें अपने पिताश्री की याद हो आई जिन्होंने मृत्यु पूर्व लिखी कविता में प्रभु से आग्रह किया था की यदि पुनर्जन्म देना हो मुझे एक पेड़ बना देना. आपकी भावनाओं को नमन.

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  11. जिसको कहीं न आश्रय मिलता
    मेरे दिल में , रहने आये !
    हर निर्बल की रक्षा करने
    का वर मिला विधाता से
    दुनिया भर में प्यार लुटाऊं क्या निर्धन से मांगूंगा !
    दर्द दिया है तुमने मुझको , दवा न तुमसे मांगूंगा !
    wah! wah!
    kavita ka har paragraph itna achha laga ki prashnsha ke liye shabd nahi hai mere pas....

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  12. bahut bahut bahut sundar bhav bhari kavita .
    shubhkamnaye

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  13. एक संवेदनशील व्यक्ति की संवेदनशील रचना
    बड़ा अच्छा लगता है मुझे आपको पढ़ना.
    एकदम सच कह रहा हूं यह बात.

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  14. चिडियों का भी छोटा मन है
    फिर भी वह कुछ देती हैं
    चीं चीं करती दाना चुंगती
    मन को हर्षित करती हैं
    राजहंस का जीवन पाकर क्या भिक्षुक से मांगूंगा !
    दर्द दिया है तुमने मुझको दवा न तुमसे मांगूंगा !
    raajhans to raajhans hi hai...bahut badhiyaa

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  15. Part 1of 4

    बहुत दिनों से एक विचार मेरे मन की गहराइयों में हिलोरे खा रहा था लेकिन उसे मूर्त रूप प्रदान करने के लिए आप सबका सहयोग चाहिए इसलिए उसे आप सबके समक्ष रखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था की पता नहीं कहीं वो असफल और अस्वीकार ना हो जाए लेकिन तभी ये विचार भी आया की बिना बताये तो स्वीकार होने से रहा इसलिए बताना ही सही होगा .

    दरअसल जब भी मैं इस देश की गलत व्यवस्था के बारे में कोई भी लेख पढता हूँ, स्वयं लिखता हूँ अथवा किसी से भी चर्चा होती है तो एक अफ़सोस मन में होता है बार-2 की सिर्फ इसके विरुद्ध बोल देने से या लिख देने से क्या ये गलत व्यवस्थाएं हट जायेंगी , अगर ऐसा होना होता तो कब का हो चुका होता , हम में से हर कोई वर्तमान भ्रष्ट system से दुखी है लेकिन कोई भी इससे बेहतर सिस्टम मतलब की इसका बेहतर विकल्प नहीं सुझाता ,बस आलोचना आलोचना और आलोचना और हमारा काम ख़त्म , फिर किया क्या जाए ,क्या राजनीति ज्वाइन कर ली जाए इसे ठीक करने के लिए ,इस पर आप में से ज़्यादातर का reaction होगा राजनीति !!! ना बाबा ना !(वैसे ही प्रकाश झा की फिल्म राजनीति ने जान का डर पैदा कर दिया है राजनीति में कदम रखने वालों के लिए ) वो तो बहुत बुरी जगहं है और बुरे लोगों के लिए ही बनी है , उसमें जाकर तो अच्छे लोग भी बुरे बन जाते हैं आदि आदि ,इस पर मेरा reaction कुछ और है आपको बाद में बताऊंगा लेकिन फिलहाल तो मैं आपको ऐसा कुछ भी करने को नहीं कह रहा हूँ जिसे की आप अपनी पारिवारिक या फिर अन्य किसी मजबूरी की वजह से ना कर पाएं, मैं सिर्फ अब केवल आलोचना करने की ब्लॉग्गिंग करने से एक step और आगे जाने की बात कर रहा हूँ आप सबसे

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  16. हमारे इस common blog में प्रत्येक प्रस्ताव एक हफ्ते के अंदर अंदर पास किया जायेगा , Monday को मैं या आप में से इच्छुक व्यक्ति अपना प्रस्ताव पोस्ट के रूप में डाले ,Thursday तक उसके Plus और Minus points पर debate होगी, Friday को वोटिंग होगी और फिर Satuday को votes की गणना और प्रस्ताव को पास या फिर reject किया जाएगा वोटिंग के जरिये आये हुए नतीजों से

    आप सब गणमान्य ब्लोग्गेर्स को अगर लगता है की ऐसे कई और ब्लोग्गेर्स हैं जिनके बौधिक कौशल और तर्कों की हमारे common ब्लॉग को बहुत आवश्यकता पड़ेगी तो मुझे उनका नाम और उनका ब्लॉग adress भी अवश्य मेल करें ,मैं इस प्रस्ताव को उनके पास भी अवश्य भेजूंगा .

    तो इसलिए आप सबसे एक बार फिर निवेदन है इसमें सहयोग करने के लिए ताकि आलोचना से आगे भी कुछ किया जा सके जो की हम सबको और ज्यादा आत्मिक शान्ति प्रदान करे
    इन्ही शब्दों के साथ विदा लेता हूँ

    जय हिंद

    महक

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  17. आप सबसे यही सहयोग चाहिए की आप सब इसके मेम्बर बनें,इसे follow करें और प्रत्येक प्रस्ताव के हक में या फिर उसके विरोध में अपने तर्क प्रस्तुत करें और अपना vote दें
    जो भी लोग इसके member बनेंगे केवल वे ही इस पर अपना प्रस्ताव पोस्ट के रूप में publish कर सकते हैं जबकि वोटिंग members और followers दोनों के द्वारा की जा सकती है . आप सबको एक बात और बताना चाहूँगा की किसी भी common blog में members अधिक से अधिक सिर्फ 100 व्यक्ति ही बन सकते हैं ,हाँ followers कितने भी बन सकते हैं
    तो ये था वो सहयोग जो की मुझे आपसे चाहिए ,
    मैं ये बिलकुल नहीं कह रहा हूँ की इसके बदले आप अपने-२ ब्लोग्स लिखना छोड़ दें और सिर्फ इस पर ही अपनी पोस्ट डालें , अपने-2 ब्लोग्स लिखना आप बिलकुल जारी रखें , मैं तो सिर्फ आपसे आपका थोडा सा समय और बौद्धिक शक्ति मांग रहा हूँ हमारे देश के लिए एक बेहतर सिस्टम और न्याय व्यवस्था का खाका तैयार करने के लिए


    1. डॉ. अनवर जमाल जी
    2. सुरेश चिपलूनकर जी
    3. सतीश सक्सेना जी
    4. डॉ .अयाज़ अहमद जी
    5. प्रवीण शाह जी
    6. शाहनवाज़ भाई
    7. जीशान जैदी जी
    8. पी.सी.गोदियाल जी
    9. जय कुमार झा जी
    10.मोहम्मद उमर कैरान्वी जी
    11.असलम कासमी जी
    12.राजीव तनेजा जी
    13.देव सूफी राम कुमार बंसल जी
    14.साजिद भाई
    15.महफूज़ अली जी
    16.नवीन प्रकाश जी
    17.रवि रतलामी जी
    18.फिरदौस खान जी
    19.दिव्या जी
    20.राजेंद्र जी
    21.गौरव अग्रवाल जी
    22.अमित शर्मा जी
    23.तारकेश्वर गिरी जी

    ( और भी कोई नाम अगर हो ओर मैं भूल गया हों तो मुझे please शमां करें ओर याद दिलाएं )

    मैं इस ब्लॉग जगत में नया हूँ और अभी सिर्फ इन bloggers को ही ठीक तरह से जानता हूँ ,हालांकि इनमें से भी बहुत से ऐसे होंगे जो की मुझे अच्छे से नहीं जानते लेकिन फिर भी मैं इन सबके पास अपना ये common blog का प्रस्ताव भेजूंगा
    common blog शुरू करने के लिए और आपको उसका member बनाने के लिए मुझे आप सबकी e -mail id चाहिए जिसे की ब्लॉग की settings में डालने के बाद आपकी e -mail ids पर इस common blog के member बनने सम्बन्धी एक verification message आएगा जिसे की yes करते ही आप इसके member बन जायेंगे
    प्रत्येक व्यक्ति member बनने के बाद इसका follower भी अवश्य बने ताकि किसी member के अपना प्रस्ताव इस पर डालते ही वो सभी members तक blog update के through पहुँच जाए ,अपनी हाँ अथवा ना बताने के लिए मुझे please जल्दी से जल्दी मेरी e -mail id पर मेल करें

    mahakbhawani@gmail.com

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  18. बहुत खूब सक्सेना जी बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आने का समय मील पाया लेकिन आते ही लाजवाब रचना पढने को मीली बहुत खूब

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  19. गर्व सदा ही खंडित करता
    रहा कल्पनाशक्ति कवि की
    जंजीरों से ह्रदय और मन
    बंधा रहे , गर्वीलों का ,
    मैं हूँ फक्कड़ मस्त कवि, क्या गर्वीलों से मांगूंगा ..

    सच है कवि का आत्मसम्मान ऊँचा रहे तभी श्रेष्ट रचना का जनम होता है ....
    अच्छी कविता के लिए बधाई सतीश जी ...

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  20. २० साल पहले लिखी ............पर आज भी ताजा....(पॉडकास्ट का मन बन गया है).....

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  21. खूबसूरत विचार।
    वाकई गर्व करने लायक भावनायें।
    आभार।

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  22. आप हमेशा मुझे अतिसम्वेदनशील कहकर चेताते रहते हैं..लेकिन स्वयम् कम नहीं हैं... आपका यह गीत इसका एक जीवंत प्रमाण है...

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  23. सुन्दर रचना और अर्चना जी की पोडकास्टिंग मिलेगी तो सुरमय हो जायेगी ! आभार !

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  24. आज गुरूजी, आप अपना ब्लॉग का सिर्सक के हिसाब से गीत लिखे हैं... एगो पठक आपसे सिकायत भी किये थे कुछ दिन पहिले कि आपका ब्लॉग का नाम मेरे गीत है, लेकिन आप लिखते नहीं हैं… उनका भी सिकायत दूर हो गया होगा... एतना सेंटिमेंटल गीत लिखिएगा त हमरे लिए पढना मोस्किल हो जाएगा...

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  25. धुर निट्ठल्ले मूड से एक टिप्पणी देने का विचार है ।
    अब यदा कदा ही ऎसा शुभ लग्नेश आया करता है
    कविता की तारीफ़ें तो बहुत हो चुकी अब तक
    इसकी दो लाइनें वैसे मैं भी कॉपी-पेस्ट करूँगा
    मैं हूँ फक्कड़ मस्त कवि, क्या गर्वीलों से मांगूंगा !
    दर्द दिया है तुमने मुझको दवा न तुमसे मांगूंगा

    लेकिन इसके आगे इस दिमाग में कौंधा कि..
    क्योंकि सामने मेरे आलमारी होम्यो-दवा की
    औ’ दबा बगल में मेटेरिया मेडिका गुटका है ।


    आज मस्त-फक्कड़ सलामत कोई रँज न करेंगे,
    मॉडरेशन ज़ज़्बों को अमोडरेटेड शुभकामनायें

    ReplyDelete
  26. maloom nahi thaa , aap itna sundar likhte hain...waise kehte hain ki...tumhi ne dard diya hai, tumhi dawa dena .

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  27. जिसको कहीं न आश्रय मिलता
    मेरे दिल में , रहने आये !
    यह उद्गार या यह भाव कवि हृदय में ही पल सकता है. आपसे रूबरू होने का अवसर इसी तरह की रचनाओं से ही हो पाती है.
    बहुत सुन्दर और प्रेरक भी

    ReplyDelete
  28. जिसको कहीं न आश्रय मिलता
    मेरे दिल में , रहने आये !
    हर निर्बल की रक्षा करने
    का वर मिला विधाता से


    चाचा जी ये भी बेहतरीन..चाहे गीत प्रस्तुत कीजिए या की आलेख या की संस्मरण प्रस्तुति कमाल की होती है...सब के पीछे सुंदर भावनाएँ जो होती है....प्रणाम

    ReplyDelete
  29. बहुत ही सुन्दर गीत है ...

    ReplyDelete
  30. बहुत सुन्दर भावों से सजी है यह रचना...खूबसूरत अभिव्यक्ति...

    ReplyDelete
  31. बेहद उम्दा पोस्ट...

    ReplyDelete
  32. चिडियों का भी छोटा मन है
    फिर भी वह कुछ देती हैं
    चीं चीं करती दाना चुंगती
    मन को हर्षित करती हैं
    राजहंस का जीवन पाकर क्या भिक्षुक से मांगूंगा !
    दर्द दिया है तुमने मुझको दवा न तुमसे मांगूंगा !
    ...मन मोहक पंक्तिय़ाँ।

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  33. 20 saal main bhee badle nahin aap?

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  34. कविता चाहे बीस साल पहले की हो ,इसमें आपका व्यक्तित्व प्रतिबिंबित हो रहा है.अपनी ये विशेषताएं जैसे अब तक सँभालकर रखी हैं ,आगे भी धारण करे रहें और अपनी अनुभूतियां इसी प्रकार बाँटते रहें !

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  35. चाहे बीस साल पहले की हो ,कविता में आपका व्यक्तित्व प्रतिबिंबित हो उठा है.ये विशेषताएँ,जिन्हें अब तक आप धारण किए हैं आगे भी यथावत् बनी रहें और अपने अनुभव-अनुभूतियाँ यों ही सबसे बाँटते रहें !

    ReplyDelete
  36. खूबसूरत विचार।
    वाकई गर्व करने लायक भावनायें।

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  37. समझ प्यार की नही जिन्हें
    है, समझ नही मानवता की'

    - मानव धर्म मनुष्यमात्र को प्यार करना सिखाता है. इस अर्थ में हिन्दू धर्म मानव धर्म है , क्योंकि वह मानव मात्र की चिंता करता है -
    सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया.

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  38. विस्तृत ह्रदय मिला ईश्वर से
    सारी दुनिया ही घर लगती
    प्यार नेह करुना और ममता
    मुझको दिए , विधाता ने
    बहुत सुन्दर रचना है.खूबसूरत विचार।धन्यवाद

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  39. Maaf kijiyga kai dino bahar hone ke kaaran blog par nahi aa skaa

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  40. "मैं हूँ फक्कड़ मस्त कवि,
    क्या गर्वीलों से मांगूंगा"
    सादर

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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