जिस शिल्पकार ने यह बुरी तरह घायल कर, मारे गए शेर की यह प्रतिकृति बनाई है, वह वन्दनीय है ! अपने वर्ग में ऐसी कला, कम से कम मेरी निगाह से आज तक नहीं गुज़री !
लायन आफ लयूजर्न के नाम से मशहूर यह कलाकृति , अपनी जीवंत बनावट के कारण , पूरे विश्व में सर्वाधिक पसंद की जाने वाली, शिल्प कला का बेहतरीन उदाहरण है ! अगर आपने बोलती हुई शिल्पकला को महसूस करना है तो चारो तरफ से घेर कर मारे गए, इस घायल शहीद शेर के चेहरे और शरीर के भाव पढ़ें !
घेर कर मारे गए स्विस सैनिकों की याद दिलाता ,यह शेर ,बुरी तरह से घायल होने के बावजूद , अपनी पूरी शक्ति के साथ, दुश्मनों से, लड़ता हुआ शहीद हुआ है !
इसकी पीठ में गहरा घुपा हुआ, टूटा भाला होने के बाद भी, राजघराने के चिन्ह की रक्षा करते ,इसके चेहरे पर कष्ट की कोई शिकन नहीं है !
उपरोक्त शीर्षक मार्क ट्वैन का दिया हुआ है जिसमें उन्होंने इस शहीद घायल शेर की मूर्ति को "विश्व की सबसे अधिक कष्टकारक और ह्रदय विदारक मूर्ति "कहा था !
यह मृत शेर उन स्विस सैनिकों की याद में बनाया गया है जिनको फ्रेंच रेवोलयूशन के दौरान १७९२ में घेर कर मार दिया गया था ! यह स्मारक स्वित्ज़रलैंड के लयूसर्न शहर में ,स्विस सैनिकों की बहादुरी और वफादारी याद दिलाने के लिए बनाया गया है !
aapke blog ke through bahut kuchh ek dum nayee jankaari milti hai, dhanyawad!!
ReplyDeleteaapke blog ke through bahut kuchh ek dum nayee jankaari milti hai, dhanyawad!!
ReplyDeleteअनूठा शिल्प ...
ReplyDeleteरोचक जानकारी ...!
अच्छी जानकारी मिली है । हमने तो पहली बार देखा है इसे । आभार ।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी....
ReplyDeleteबहुत सुंदर जानकारी मिली इस पोस्ट द्वारा. शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम
बड़ी अनूठी शहीद स्मारक!
ReplyDeleteचित्र के साथ आपकी कमेंट्री सचमुच संघातिक है -अद्भुत शिल्प कृति !
ReplyDeleteRochak aur saarthak jaankari ke liye aabhar
ReplyDeleteकितना पीडादायक एहसास है ये कि किसी को घेर कर पहले मार दिया जाए....फ़िर उसकी मूर्ती बनाई जाए ...और फ़िर ..........उसे विश्व में सर्वाधिक पसंद किया जाए.....
ReplyDeleteशेर दिल .
ReplyDeleteघेर कर मरे गए सैनिकों के सम्मान में मूर्तिशिल्प का बेहतरीन नमूना. इस बेजोड़ शिल्पकारी के दर्शन करवाने के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति एक अच्छी जानकारी
ReplyDeleteअनूठा शिल्प ...
ReplyDeleteरोचक जानकारी ...
अनूठा शिल्प ...
ReplyDeleteरोचक जानकारी ...
एक और बेहद सार्थक पोस्ट पर नमन आपको और उस शिल्पकार को भी जिस ने यह प्रतिकृति बनाई है !
ReplyDeleteअद्भुत कलाकृति
ReplyDeleteरोचक विवरण
आभार, एक नई जानकारी हेतु
बी एस पाबला
चित्र को काफी बड़ा करके देखा.. असहनीय दर्द झलक रहा है लेकिन मूक समर्पण नहीं.. वीरोचित सौंदर्य है चेहरे पर शहीद होने पर..
ReplyDeleteवैसे मुझे थोडा बढ़ा चढ़ा कर पेश की गयी कलाकृति लगती है ये. वैसे महान कलाकृति है इसमें दो राय नहीं.
ReplyDeleteपीठ टूटे हुए भले का नुकीला फल.
ReplyDeleteकितना तडप तडप के मर होगा ना?
हमारे यहाँ एक न्यू बोर्न बेबी को कोई फैंक गया.सूअरों ने उसके दोनों पैर घुटनों के उपर तक और एक हाथ पूरा खा लिया था.कई घ्न्तोंत्क उसे मौत नही आई. उसकी मूर्ति किसी ने नही बनाई सतीश!
ये शेर कितना भाग्यशाली है.
कला वही सफल है जो बोलने लगे
ReplyDeleteअनूठे शिल्प से परिचय कराने के लिये आभार
अद्भुत,
ReplyDeleteसच में शिल्प कला का एक बेहतरीन नमूना..ऐसी संवेदनाओं को शिल्प में उतारने वाले शिल्प कार को नमन है..
एक नई जानकारी के लिए आभार चाचा जी
बहुत ही अच्छी जानकारी!
ReplyDeleteयह जानकारी मेरे लिये बिल्कुल नई है। धन्यवाद!
वास्तव में ही सजीव वास्तुकला है यह.
ReplyDelete
ReplyDeleteसतीश यार, आज तो आपने मेरे ज़रनल नोलेज़ को धता बता दिया,
यह कृति मेरी जानकारी में अब तक नहीं थी । वास्तव में इसे देख कर बेहतरीन, उत्कर्ष, सर्वश्रेष्ठ जैसी उपमायें बौनी पड़ जाती हैं ।
जो श्रेष्ठ है, उसको देश काल की सीमाओं से मुक्त रहना ही चाहिये । अच्छा लगा, इतना गहन-अँकण कि इसके सम्मुख सैकड़ों पन्नों में दर्ज़ ब्यौरे गौण हैं । आपकी पारखी नज़रों का कायल हुआ ।
ReplyDeleteऔर.. हाँ, आज मॉडरेशन-विलास क्यों नहीं है ?
:)
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteराजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
रोचक जानकारी और अद्भुत शिल्प
ReplyDeleteबढिया पोस्ट। रोचक जानकारी।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी....
ReplyDeleteवाह .....सतीश जी सचमुच अद्भुत ......!!
ReplyDeleteशुक्रिया हम तक पहुँचाने का .....!!
उत्कृष्ट कला. रोचक जानकारी.
ReplyDelete..आभार.