Thursday, December 2, 2010

अनूप शुक्ल और डॉ अरविन्द मिश्र की नोकझोंक उर्फ़ जुगलबंदी - सतीश सक्सेना

लगभग एक माह के बाद अनूप शुक्ल जी ने बापस आकर आखिर एक लेख लिख ही डाला , उसे तथा टिप्पणिया पढ़ते हुए, बहुत दिन बाद खूब हंसा  ! सो दिल किया ब्लॉगजगत के दो महा गुरुओं के बीच की, टिप्पणिया प्रति टिप्पणियां आपसे साझा की जाएँ  !
अनूप भाई ने अपना कष्ट बड़े मार्मिक भाव से सुनाया है, आप भी इसका आनंद लें !  अरे रे रे आनंद नहीं उनकी तकलीफ सुनकर, आपका  ब्लागिंग से मन ही हट जाएगा ...
"इस बीच कलकत्ते गये थे। वहां सोचा शिवकुमार मिसिरजी से चर्चा करेंगे अपने ब्लॉग का स्तर उठाने के लिये लेकिन उनको लगता है कि हमारे आने की भनक लग गयी थी सो वे बचने के लिये इलाहाबाद सरक गये। जित्ते दिन हम कलकत्ता में रहे उत्ते दिन वे बाहर रहे कलकत्ता को प्रियंकर जी के हवाले करके। हम प्रियंकर जी से मिलने गये तो वे मंच पर चढ़कर भाषण देने लगे और हमसे कट लिये। हम अनमने से बने रहे और ब्लॉग लिखने से जी उचाट हो गया।"

शिव जी 
हमेशा की तरह अनूप भाई ने अपने लेख में थोडा साहित्यकार होने का चूरन डालते हुए, नागार्जुन को पेल दिया कि उन्हें उनकी रचना याद आ गयी " कौवे ने खुजलाई पांखें बहुत दिनों के बाद " यह भी बताया कि वे ब्लागिंग कैसे करते हैं !और साथ में तुर्रा यह कि सारे ब्लागर ऐसे ही हैं   "जब आप अपने किसी विचार को बेवकूफी की बात समझकर लिखने से बचते हैं तो अगली पोस्ट तभी लिख पायेंगे जब आप उससे बड़ी बेवकूफी की बात को लिखने की हिम्मत जुटा सकेंगे " 
नतीजा डॉ अरविन्द मिश्र ताव खा गए और उनकी टिप्पणी थी कि ....( कृपया ध्यान से पढ़ें )
  1. आप इत्ते दिनों बाद लिक्हे तो हम भी इत्मीनान से पडधे…शब्द दर शब्द ..
    बस इत्ता बता दीजिये कि कौए ने किस चीज से पांखे खुजलाये ? तब हम जान जायं कि सचमुच वजन है आपकी समझ में .न जाने काहें ये डाउट ससुरा बना ही रहता है आपको लेकर !
    दुसरे कई और प्राणी गायब हैं ….जो हम सरीखे बिचारों के विचारों को तरह तरह कुरेदता है …….
अनूप भाई का पांसा देखिये ...
अरविन्द मिश्र ने भी एक धोबीपाट मारने कि कोशिश कि 
  1. मैं जानता था कि आप यही गलत सलत जवाब देगें क्योंकि अबके कवि कोई बाबा तुलसी या नागार्जुन नहीं हैं जो प्रकृति ,पशु पक्षियों का सूक्ष्म निरीक्षण करते हैं -कौए ने अपनी चोंच से पंख खुजाये …..आप कौए को भी भैंस समझ गए :) कुत्ता होता तो वह अपने दायें पैर खुजाता ….थोड़ा पशु पक्षियों के भी हाव भाव निहारा करिए न शुकुल जी ..केवल ब्लॉग जगत पर ही गिद्ध दृष्टि ठीक नहीं .. :) हा हा
अबकी बार गुरुदेव समझ गए कि अरविन्द मिश्र चाहते क्या है नतीजा गंभीर होकर चश्मा पहन कर जवाब दिया 
ब्लागिंग में निर्मल हास्य  लिखने वाले  ताऊ रामपुरिया और अनूप शुक्ल ही हैं जिनके ब्लॉग पर जाकर हंसने का दिल करता है ! लगता है कुछ लोग यहाँ हैं जो अपने खुद पर व्यंग्य कर सकें ख़ास तौर पर ऐसी जगह ( हिंदी ब्लॉग जगत पर ) जहाँ भाई लोग उसे आसानी से सच ही मान लेंगे ! 
;-)

26 comments:

  1. शुकुल जी के नहले पे मिसिर जी का दहला, वह भी कौवे की खुजली को लेकर ....हां..हां...हां....मजा आ गया सतीश जी !
    वैसे मिसिर जी की बातों में दम है के कौवे ने चोंच से खुजयाई पांखें !

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  2. ....इस पोस्ट को पढ़कर यह ज्ञान हुआ कि ताली तीन हाथ से और भी अच्छी बजती है।

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  3. धन्यवाद रवीन्द्र प्रभात जी ,
    आप लोगों के अथक प्रयासों के बावजूद, भाई लोग हास्य को हास्य समझना नहीं सीख पाए हैं ! इस विशुद्ध हास्य पोस्ट पर मोडरेशन लगाने को वाध्य हूँ ....

    फिर भी आशा है कि एक दिन सब साथ बैठ कर, उन्मुक्त हंस पायेंगे !

    आपका आगमन अच्छा लगा !

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  4. अरे साहब ये तो उपरी हवाएं हैं हमारे जैसे ग्रास रूट लेवल के आदमी इन्हें कहाँ पकड़ सकते हैं.

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  5. वैसे ये बताएं आज रेड अलर्ट है क्या जो बेरिकेड लगा दिया.

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  6. आप की बदौलत अनूप जी व अरविन्द जी से मिल पाया

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  7. अनूप जी व अरविन्द जी से आप की बदौलत मिल पाया

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  8. देवेन्द्र जी से सहमत।

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  9. खोंचूपीर अमर कुमार का मन इस आख़्यान को बाँच कर अति हरसित होता भया,
    तथा उनके हृदय से हठात मुखरित हुआ कि यदि आगँतुक जनों की सर्वसम्मति बने तो,
    टेढ़ी मार के पिस्तौल कारखाने वाले श्री अनूप शुक्ल को ब्लॉग-पँडा घोषित किया जाय ।
    एवँ ब्लॉगर-घिसिर-पिसिर अरविन्द मिसिर डॉक्टर-ए-साइँस को एतद्वारा ब्लॉगर-दुम-मरोड़क की अस्थायी उपाधि प्रदान की जाती है ।
    ब्लागर-शाँति-मँत्रोच्चारक श्री ( डॉ. ) सतीश सेक्सेना जी अगले आदेश तक ब्लागर-पुरोहिताई के कार्यभार का निर्वहन करेंगे ।
    आज्ञा से - श्री पाँचको सरकार ब्लागर खोंचूपीर

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  10. खोंचूपीर अमर कुमार जी,

    उपरोक्त लेख में टिप्पणियों की चर्चा में लिखा गया जिसका उद्देश्य लोगों को हास्य में आनंद देना मात्र है ! कुछ भाई लोग फिक्स नंबर का चश्मा उतार अगर इसे पढ़ें तो निस्संदेह मस्ती की इन टिप्पणियों में आनंद आएगा !

    मगर थानेदार लोगों को और कुछ नज़र ही नहीं आता ! :-(
    हर लेख में उद्देश्य न ढूँढा जाये तो मेरे लिए आप बड़ा भला करेंगे

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  11. ये सब महाविद्वानों की बाते हैं, महाविद्वान ही जानें...

    हां सतीश भाई, एक बात मैं अच्छी तरह जानता हूं कि शोले में धर्मेंद्र ने नहीं अमिताभ बच्चन ने बसंती से कहा था- तुम्हारा नाम क्या है बसंती...

    जय हिंद...

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  12. पोस्ट के अंतिम पैराग्राफ से पूरी तरह सहमत हूँ| बहुत बढ़िया लिखा है | आभार |

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  13. सतीश भाई ,गंभीर बातों को हंसी मजाक में लेना ठीक बात नई.....
    मैं तो बस एक व्यंगकार के प्राणी व्यवहार का सामान्य ज्ञान चेक करना चाह रहा था ...
    जिसमें ब्लॉगर व्यंगकार औधे मुंह आ गिरा ....
    नागार्जुन ने बिना देखे नहीं लिखा होगा की कवे ने अपने पंख कैसे खुजाये होंगे ...
    जब आप किसी रचनाकार की पंक्ति उद्धृत करते हैं तो उसे शिद्दत से समझकर ही ऐसा क्ल्रते हैं ऐसा माना जाता है ..
    बहरहाल ,कौवा चोंच से ,कुत्ता अपने दाहिनी टांग से और भैंस किसी सहारे से शरीर रगड़ अपनी खुजली मिटाते हैं ..दो पाए अपनी चोंच से और चौपाये अपनी एक टांग से खुजाते हैं ...और इस दौरान वे तीन टांगों पर खड़े रहकर एक 'ट्राइ पाड' बनाते हैं
    -हां मनुष्य लोग एक दूसरे की पीठ खुजाते हैं (अलंकारिक !) डॉ अमर सरीखे गुरु (घंटाल ) टांग खींचते हैं ..उन्हें पीठ खुजानी नही आती -प्राणियों का यह स्क्रैचिंग बिहैवियर बहुत रोचक है ..मगर अफ़सोस एक ब्लागीय व्यंगकार इसे नहीं जानता..जाहिर है वह दोयम दर्जे का व्यंगकार है किसी तरह अपनी शान पट्टी बनाए हुए है ...
    अब अप भी मुझे गुरु घंटाल बनाने में लग गए हैं और यही वह बात है जिससे मैं हेट करता हूँ !

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  14. इस जुगलबन्दी का आनन्द ब्लॉग पर जाकर ले चुके हैं। साहित्यजनित सूक्ष्म अवलोकन, और कहाँ कहाँ गिद्ध दृष्टि है इन योद्धाओं की।

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  15. कल मौसम वाकई खुशनुमा था......

    सतीश जी, आपने सही कहा है "अनूप शुक्ल और डॉ अरविन्द मिश्र की नोकझोंक उर्फ़ जुगलबंदी"

    आनंददायक पोस्ट

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  16. सुन्दर संकलन टिप्पणियों का. नहलों का. और दहलों का भी.

    सहमत होने के फैशन को एक बार फिर वापस लाते हुए कहना चाहूँगा कि;

    डॉक्टर साहब से सहमत.

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  17. चलो अच्छा है ये पोस्ट पढ़ लिया ..

    अभी 4 दिसम्बर को मिश्र जी से मुलाकात करनी है सावधान रहूँगा

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  18. pahile aapko itti bari khus-khabri
    ke liye dhanyabad.................

    blogwood ke is mihir-sishir ko ek sath itne unmukt tarike se bandhne
    ke liye sukriya...................

    hame poorn viswas hai....apke prayas se bhai-logon ka chasma bhi utrega..

    duniya me do hi chije hain...gyan aur khusi jo batne se samridh hota
    hai..............

    pranam.

    ReplyDelete
  19. pahile aapko itti bari khus-khabri
    ke liye dhanyabad.................

    blogwood ke is mihir-sishir ko ek sath itne unmukt tarike se bandhne
    ke liye sukriya...................

    hame poorn viswas hai....apke prayas se bhai-logon ka chasma bhi utrega..

    duniya me do hi chije hain...gyan aur khusi jo batne se samridh hota
    hai..............

    pranam.

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  20. तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
    क्या गम हैं जिस को छिपा रहे हो

    ब्लॉग पर हा हा ही ही ठा ठा करने वालो को प्रणाम
    सत्य से जब रुबुरु होती उनके
    दया और करुणा उपजती हैं
    उनके झूठ पर

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  21. मासूम सी नोक झोक

    खाने के बाद मुखवास सम

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  22. ठीक है, पढ़ लिया.

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  23. भाई पहले तो यह बताएं की क्या आप का नाम सतीश है? पढने मैं मज़ा आया. अब धीरे धीरे समझने लगा हूँ बहुत कुछ.

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  24. हमने तो जी हास्य को हास्य की नजर से ही लिया....और अब टिप्पणी देकर यहाँ से हँसते-हंसते ही जा रहे हैं :)

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  25. अरे, शिवकुमार मिश्र ने आपको महान नहीं बताया, प्रणाम भी नहीं ठेला!
    वैरी बैड़!

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  26. @ डॉ अरविन्द मिश्र ,
    मेरी तो एक ही दिली इच्छा है कि परिहास हो अवश्य मगर मृदुलता के साथ ...
    अफ़सोस है कि हम लोग हँसना नहीं सीख पाते ...आप दोनों नायक हैं लोग सम्मान के साथ आप दोनों को यूं ही हँसते देखते रहे तो ब्लागिंग में आनंद तो बढ़ता ही है !
    @ रचना ,
    हम उम्मीदें क्यों छोड़ें ...पूरी दुनियां को सबक नहीं सिखाया जा सकता !
    @ ज्ञानदत्त पाण्डेय ,
    भाई जी शिव भाई सरल प्रकृति हैं ! अब आप छेड़ दोगे तो चिढना स्वाभाविक है ! आप से वे नाराज हुए तो हम आपके फालोवर हैं हमें महँ कौन कहेगा ! :-)
    आपकी सक्रियता के लिए प्रणाम ! ( यह असली है शिव भाई वाला नहीं )

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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