Wednesday, July 27, 2022

होमियोपैथी एक मज़ाक़ या चमत्कारिक औषधि ? -सतीश सक्सेना

आजकल के ताकतवर एलोपैथिक व्यवसाय के प्रभाव में, होमियोपैथी एक मज़ाक़ बनकर रह गयी है और इसके लिए जिम्मेदार कोई और नहीं इसके चिकित्सक खुद हैं जो अपने आपको विद्वान तो होमियोपैथी का बताते हैं मगर खुद रोगी का इलाज गलत तरीके से करते हैं शायद उनके बस का ही नहीं कि इसका सही उपयोग कर, किसी को रोग मुक्त कर पाना और अगर वे प्रयास भी करें तब इसके लिए समुचित समय नहीं उनके पास ! 

जब कोई रोगी होमियोपैथ के पास आता है तब होमियोपैथ का सबसे पहला उद्देश्य रोगी के गहरे मानसिक व्यवहार के मुख्य मुख्य पहलू जानना और उनकी लिस्ट बनाना होता है जैसे रोगी की खानपान की आदतें ,उसका अन्य लोगों के प्रति व्यवहार , उसकी पसंद नापसंद , रहन सहन के तौर तरीके , उसके शरीर पर गरमी, जाड़े और बरसाती मौसम का प्रभाव , समुद्र तट और पहाड़ों पर शरीर की प्रतिक्रिया ,  गुस्सा , बेचैनी , झूठ और सत्य के प्रति रुझान , लापरवाह , खुशमिजाज या दुखी ,हिम्मती या डरपोक , भयभीत या निडर, भुलक्कड़ ,आलसी , मेहनती , जलन ,झगड़ालू , जिद्दी आदि जानकारी इकट्ठे कर इन गुण / अवगुणों के आधार पर उसे मटेरिया मेडिका से इन्ही गुण दोषों वाली (drugpicture) होमियोपैथी औषधि ढूंढनी पड़ती है ! इस उद्देश्य के लिए होमियोपैथी उन महान  एलोपैथ्स चिकित्सकों की शुक्रगुज़ार है जिन्होंने अपना पूरा जीवन, होमियोपैथी दवाओं की मानवों पर प्रूविंग कर ,उसके असर को लिपिबद्ध कर, रिपर्टरी की रचना की ! आज की होमियोपैथी में योगदान करने वाले चिकित्सक ढूंढे भी नहीं मिलते हाँ अगर हैं तो उस योगदान से धन कमाने की असफल कोशिशें जिसके लिए होमियोपैथी बनी ही नहीं !

किसी भी भयानक एवं जीर्ण रोग के इलाज के लिए , एक चिकित्सक को सबसे पहले रोगी का भरोसा जीतते हुए उसका मानसिक अवस्था का सही आकलन करना होता है , और इस कार्य में उसे अपना काफी समय देना होता है , उसके बाद सावधानी से चुने गए महत्वपूर्ण मानसिक लक्षणों , के आधार पर एक एक करके उसकी ड्रग पिक्चर वैल्यूज तलाश करनी होगी और अंत में हजारों दवाओं में से , टॉप दस दवाओं पर अपना ध्यान केंद्रित कर , उनमें उसके रोग लक्षण तलाश करने होंगे ! जिस दवा में रोगी के अधिक मानसिक लक्षण मिलेंगे वही उसकी मुख्य दवा मानी जायेगी ! उसके बाद उस दवा की शक्ति का चुनाव बेहद सावधानी से किया जाता है , और इस प्रकार सही शक्ति की सही दवा की मात्र एक बूंद, उस भयानक बीमारी का नामोनिशान मिटाने में सक्षम होती है !

मगर इतना समय एक चिकित्सक अगर एक रोगी को देगा तब पूरे दिन में वह मात्र दो रोगी ही देखने का समय निकाल सकता है ! हमारे देश में होमियोपैथ की कदर न के बराबर है उनका खर्चा निकलना भी मुश्किल होता है इस मेहनतकश प्रैक्टिस में ! सो वे अधिकतर रोगियों को दवा देने में 10-15 मिनट लगाते हैं और दिन में कम से कम 30 रोगी आसानी से देख लेते हैं ! इन रोगियों को वे होमियोपैथी के निर्देशानुसार इलाज न करके , क्रूड मेडिसिन उनके कॉम्बिनेशन द्वारा करते हैं जो आजकल आसानी से बाजार में उपलब्ध हैं , साथ ही बायोकेमिक दवाओं को साथ देते हैं ताकि जैसे तैसे ही सही मगर रोगी को कुछ आराम तो हो ताकि कुछ दिन उसकी चिकित्सा द्वारा खर्चा निकलता रहे !

होमिओपैथी की शक्ति, उनकी शक्तिकृत सिंगल दवाओं में ही निहित है , मगर उनका सिलेक्शन करना एक मुश्किल और बेहद एकाग्रचित्त होकर करने वाला कार्य है अन्यथा असफल होने की गुंजायश अधिक रहती है , और यह अकेली दवा , एक साथ शरीर को अधिकतर बीमारियों से मुक्ति दिलाने में समर्थ होती है !

उदाहरण के रूप में मैं नक्स वोमिका का मानवीय चित्र दे रहा हूँ ऐसा मानव /मानवी जो तेज तर्रार , नेता, बड़े ओहदे पर , आधुनिक व्यसनों सिगरेट , शराब का शौक़ीन , आलसी , धनी , अपने क्षेत्र में प्रसिद्ध, चालाक , कुर्सी पर बैठकर काम करने वाला , गैस्ट्रिक, कब्ज आदि का शिकार व्यक्ति के अधिकतर रोग , नक्स वोमिका के कुछ डोज़ से गायब हो जाते हैं ! होमियोपैथी में किसी भी दवा की ड्रग पिक्चर को पढ़ने से लगेगा कि किसी इंसान के चरित्र को पढ़ रहे हैं ! इसी लिए अगर कोई व्यक्ति खुद इसे समझने का प्रयास करेगा तब आसानी से वह अपने को रोग मुक्त कर पायेगा !

 
 

2 comments:

  1. मतलब थोड़ी नक्स वोमिका हम भी ले सकते है हा हा सुन्दर जानकारी

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  2. होमियोपैथिक से जुड़ी इस विस्तृत जानकारी को साझा करने के लिए हृदयतल से धन्यवाद सर 🙏

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- सतीश सक्सेना

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