Monday, March 16, 2015

निकलो बंद मकानों से जंग लड़ो बेईमानों से - सतीश सक्सेना

निकलो बंद मकानों से, जंग लड़ो बेईमानों से !
सावधान रहना भक्तों के, राष्ट्रभक्ति के गानों से !

बड़ी बड़ी गाडी में घूमें झंडा लगा गुमानों का 
मूर्ख बनी है जनता कबसे खादी के शैतानों से 

चर्बी चढ़ी है गद्दारों को, नोट कमाने निकले हैं 
भारत माँ को खतरा ऐसे, राष्ट्रभक्त हनुमानों से !

राष्ट्रभक्ति से अरबपति, बन बैठे हैं आसानी से
कानों को न सुनाई पड़ता, स्पर्धा धनवानों से ! 

खद्दरधारी दीमक सुर में, देशभक्ति का गान करें, 
देश हमारा शर्मिन्दा है, दसलक्खा परिधानों से !

6 comments:

  1. इनसे ज्यादा खतरनाक
    इनके मोहर लगे चमचे हैं
    जो हमारे आपके चारों ओर
    गहरा खूँटा गाड़ कर बैठे हैं
    लड़ने में आमादा हर किसी को
    देश के दुश्मन का नाम दे बैठे हैं
    वो कर रहे हैं मनचाहा सभी कुछ
    करे धरे के ऊपर इन्ही की
    बड़ी बड़ी फोटो लगा रहे हैं ।

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  2. बड़ी बड़ी गाडी में घूमें झंडा लगा गुमानों का
    मूर्ख बनी है जनता कबसे खादी के शैतानों से
    चर्बी चढ़ी है गद्दारों को,नोट कमाने निकले हैं
    भारत माँ को खतरा ऐसे,राष्ट्रभक्त हनुमानों से
    ...
    जागरूक कराती सार्थक ,सटीक गंभीर चिंतन कराती प्रस्तुति ..

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  3. बहुत खूब ! इन्हे ही सफेदपोश कहते हैं ...

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  4. बेईमानी कर,चर्बी चढ़ा बेसुध सोये हैं ,काहे सोबत निन्दिया जगाय--चेतना जगाती सुन्दर गीत

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  5. इन दीमकों से छुटकारा पाना बहुत ज़रूरी है - आवेशपूर्ण सोद्दश्य कविता !

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  6. बहुत खूब ... ऐसे सफेदपोश लोगों से सावधान रहने की जरूरत है ...
    सार्थक रचना है ...

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- सतीश सक्सेना

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