कुछ दिनों से अपनी समझ के प्रति मोह भंग हुआ है, जिन लोगों को बेहतरीन मानता रहा हूँ वे अपनी असलियत बता गए ! अब तो अपनी समझ पर ही तरस आने लगा है ! अपनी उम्र के घिसे हुए लोगों से शिकायत नहीं है , कष्ट नयी कोंपलों से है जिनपर इस विश्व में, अपनी खूबसूरती और अस्तित्व का अहसास कराते हुए, एक नयी शक्ति का संचार करने का दायित्व है !
भारतीय नाम की गरिमा समस्त विश्व में बिखेरते यह शक्तिपुंज, वाकई आदर योग्य है ! इनकी इच्छा शक्ति और ज्ञान पर आज विश्व नतमस्तक है और इनकी अगुआई में आज हमारा देश, विश्व में धन के साथ साथ सम्मान भी अर्जित कर रहा है ! आज ब्लाग जगत में ऐसे कई युवा कार्यरत हैं जो देश और विदेश में अपने कार्य क्षेत्र के सिद्धहस्त विद्वान् हैं ! हिंदी ब्लाग जगत में, इनके क्षेत्र ( वैज्ञानिक तकनीक ) से हट कर ,अपना नाम कमाने की इच्छा में, विभिन्न विषयों और समाज पर लिखते लच्छेदार और घाघ लेख पढ़कर, यह सीधे साधे प्रतिभाशाली युवा आसानी से भ्रमित और मोहित किये जा सकते हैं !इन युवाओं से अपना गुणगान करवा लेना, हम जैसे घाघों के लिए यह बहुत आसान है !और यह फायदा इन दिनों खूब उठाया जा रहा है !
किसी भी लेख अथवा रचनाकार के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर, निष्छल मन से तारीफ़ करते यह युवा मन यह नहीं समझ पाते कि वे सामान्य तारीफ़ करने की वजाय,जोश में परम चाटुकारिता की सीमा लांघ चुके हैं !और ऐसा कर वे एक चालाक, अवसरवादी कलम को घमंड की धार देकर और घातक बना रहे हैं !
इन मासूम युवा विद्वानों को, अपने दुश्मनों के खिलाफ प्रेरित करना बड़ा आसान है , केवल अपना रंजिश या ईर्ष्या से दुखता दिल दिखाने की जरूरत भर है , ये युवा लेख़क स्वाभाविक जोश में ,किसी भी ईमानदार को चोर, देशभक्त को गद्दार, विद्वान को मूर्ख और चरित्रवान को लम्पट लिख देने में देर नहीं लगायेंगे ! मगर मेरा विश्वास है कि देर सवेर ऐसे भ्रमित करते ,विद्वानों की औकात इन नवजवानों को पता चल जायेगी यह और बात है कि तब तक नुकसान हो चुका होगा !
प्रोत्साहन में बड़ी शक्ति होती है ! बहुत शक्तिशाली कलम भी प्रोत्साहन के अभाव में लडखडाने लगती है यहाँ अच्छे लेख और सद्भावना पूर्ण लेखों पर भी गाली देने वालों की कमी नहीं होती ! ईर्ष्या अथवा गुटबंदी के कारण, दुर्भावना युक्त ब्लाग महारथी अपने पीछे ताली बजाती भीड़ के कारण,अच्छे से अच्छे ब्लाग लेख़क को,हतोत्साहित करने में समर्थ हैं ! और इस चोट के कारण शक्तिशाली वैचारिक प्रतिभा के धनी लोग भी, चुटकियों में दम तोड़ देंगे ! इस निष्ठुर ब्लाग जगत में से कोई उसकी कब्र पर दो फूल अर्पित करने आएगा इसमें मुझे संदेह है !जहाँ एक तरफ अच्छे और उचित लेखों के लिए पाठकों की प्रतिक्रियाएं, वातावरण में सौहार्दपूर्ण मिठास घोलने कार्य करेंगी वहीँ नाज़ुक विषयों पर अनजाने और बिना सोचे समझे की गयी प्रतिक्रियाएं समाज का सत्यानाश कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है !
और इसी प्रकार तात्कालिक जोश में एक सामान्य उत्साही ब्लागर द्वारा, तालियाँ बजाते हुए की गयी तारीफ़ पर, विद्वान् ( चालाक ),पथभ्रष्ट और अति उत्साहित लेखनी, समाज का वह विनाश करेगी जिसकी कोई कल्पना भी न कर सके ! आज आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों और ध्यान आकर्षित करने वाले लेखों पर प्रतिक्रिया देते समय, लेख़क की निष्पक्षता ,उद्देश्य और ईमानदारी के प्रति सावधान रहें !
बात मुझ अल्पबुद्धि की समझ नही आयी जी
ReplyDeleteप्रणाम
आप किन लोगों कि बात कर रहे हैं अगर ये स्पष्ट रूप से कह देते तो मुझे भी अपनी राय देने का मौका मिलता.
ReplyDeleteसतीश भाई जी,
ReplyDeleteआज अंगूली पकड के तेरी, तुझे मैं चलना सिखलाऊं।
कल हाथ पकडना मेरा, जब मैं बूढा हो जाऊं।
तूं (ब्लोग)मिला तो मैने पाया जीने का नया सहारा।!!
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteऔर जब पुराने और जाने माने लोग अझेल आचरण करने लगे तो क्या किया जाए ? चुप रहे या उनको यह बताया जाए कि आप की यह हरकते ना काबिल ऐ बर्दास्त है ?
ReplyDeleteसतीश भाई साहब, यह उंगलियाँ बहुत गद्दार किस्म की होती है ..... जब हम को लगता है कि हम किस पर एक उंगली उठाये हुए है तब पता चलता है ३ अपनी ओर भी उठी हुयी है ! पिछले दिनों में ब्लॉग जगत के प्रति मेरा भी काफी भर्म टूटा है .... शायद कभी बात हो तो चर्चा भी होगी !
5.5/10
ReplyDeleteसार्थक पोस्ट
सामयिक उचित चिंतन
पोस्ट में चित्र लगाना आवश्यक न था.
बहुत अच्छा आलेख है। बहुत पहले शायद मैने आपको आगाह भी किया था। इस ब्लागजगत के धुरन्धरों के प्रति। हो सकता है मेरा और आपका नज़रिया अलग अलग लोगों के प्रति हो मगर ऐसे लोग ब्लागजगत मे अधिक हैं\ अच्छा लगा आपका आलेख। धन्यवाद। शुभकामनायें।
ReplyDeleteसतीश भाई , हमें तो कुछ समझ नहीं आया । आप किन युवा लेखकों की बात कर रहे हैं ? ज़रा खुल कर लिखो तो पता चले कि मामला क्या है ।
ReplyDeleteकुछ हिंट तो देते, आपका इशारा किस की ओर है, समझ नहीं आ रहा…
ReplyDeleteआपके सद्वचन अवश्य ही नए ब्लागर्स का मार्ग दर्शन करेंगे ऐसी आशा है।
ReplyDeleteसुंदर पोस्ट बांच कर धन्य हुए हम।
@ उस्ताद जी ,
ReplyDeleteजबरदस्ती उस्ताद बन गए सबके ...वाकई उस्ताद हो ! अब इस पोस्ट पर जहाँ एक नंबर देना चाहिए वहां दिल खोल दिया ! लगता है दोस्तों को नंबर अच्छे देते हो :-))
@ सुरेश चिपलूनकर एवं डॉ दराल ,
टिप्पणिया देते समय लोग ईमानदार रहें...सोंच समझ कर तारीफ़ करें तभी टिप्पणियों का महत्व होता है ! किसी का अपमान करना मेरा उद्देश्य कभी नहीं रहा अतः नाम लेना उचित नहीं लगता ! अगर हमारे युवा सार्थक भूमिका निभाएं तो ब्लाग लेखन पाठन में आनंद आ जाए ! शातिर लोग अपने नाम चमकाने के लिए युवाशक्ति को दिग्भ्रमित न कर सकें, यही सार है इस लेख का !
सतीश भाई ,
ReplyDeleteबडी सुन्दर फोटो लगाई हैं आपने ! वैसे समझ में तो कुछ आया नहीं पर लगता है कि...
हम युवाओं को फोटो वाले बन्दों से सावधान रहना चाहिये :)
हिंदी ब्लॉग जगत की भलाई के लिए आपसे निवेदन है कि उन शातिर लोगो का नाम जरूर बताये जो युवाशक्ति को दिग्भ्रमित कर रहे है ताकि सब लोग सावधान हो सकें ! यहाँ मामला मान अपमान का नहीं नीयत का है !
ReplyDeleteअली साहब,
ReplyDeleteआप जैसे युवाओं को इन फोटुओं से सावधान रहना चाहिए ...
काश मैंने आपके कथन के बारे में फोटो लगाने से पहले सोंचा होता ! अब क्या करूँ ??? फोटू हटा दूं ....??
:-))
दिए गए चित्रों का लेख से कोई सम्बन्ध नहीं है, ब्लाग आधारित विषय के कारण कुछ मशहूर लोगों के उपलब्ध चित्र, जिनके लेखों का मैं प्रसंशक हूँ , लगाये हैं ताकि यह लेख कुछ आकर्षक :-) हो जाए )
ReplyDeleteLABELS: नफरत, पाखंड, ब्लागर, संवेदना, संस्मरण
सर पोस्ट भी पढी और उसके नीचे लगा क्लेमर डिस्क्लेमर भी और उसके भी नीचे लगा लेबल्स भी .....अब कुल मिला कर समझा क्या ..ये यहां नहीं समझा सकता । सिर्फ़ अभी ये कहने का ही मन है कि ..यहां सबका अपना एक नज़रिया है ...और एक नज़रिया वो है जो सबने दूसरों के लिए बनाया हुआ है ...जाहिर है कि ..उनके लिखे को पढ देख कर ही बनाया होगा ..वर्ना कौन किसको भीतर तक जानता है । शुक्र इस बात का है कि ....जिन शातिर लोगों से युवाओं को बचने की सलाह दी गई ..वे युवाओं में से तो नहीं ही हैं ....मगर यदि युवा उनसे बचे ही रहेंगे तो देर सवेर उनके शातिराना अंदाज़ को देख परख कैसे पाएंगे सर । हा हा हा हा जाने क्या समझा और क्या समझेंगे आने वाले
अरे नहीं सतीश भाई प्लीज , फोटो मत हटाईयेगा वर्ना घाघ लोगों की पहचान मुश्किल हो जायेगी :)
ReplyDelete"हम जैसे घाघों..." लिखकर आपने , हम तो डूबेंगे सनम तुम को भी ले डूबेंगे की तर्ज़ पर , अपने साथ कई और निपटा दिये :)
[ खैर हास्य बोध एक तरफ रखते हुए आपको आश्वस्त कर रहा हूं कि लेख को लेख जैसा ही पढा गया है कोई फ़ोटो किसी भी तरह से बदगुमान नही करती निश्चिंत रहियेगा ]
@शुक्रिया अली भाई !
ReplyDeleteडिस्क्लेमर लगाने का कोई औचित्य नहीं क्योंकि यहाँ कोई भरोसा नहीं करता ! व्यंग्य, कटाक्ष और अपने से बड़ों की मज़ाक उड़ाना यहाँ आम बात है , मुझे यकीन था कि यहाँ इन चित्रों को लगाने से लोग अपने अपने अनुमान लगायेंगे ! शुक्रिया आपके कारण मामला कुछ कुछ साफ़ हो गया ...
बात तो गूढ़ है बहुत पर कोई क्यों सुधरे?
ReplyDeleteअपने हाथों से ही आपने कुछ अरसा बाद का अपना खुद का हाल लिख दिया है कि देर सवेर भ्रमित करते विद्वानों की औकात पता चल जायेगी और तब तक नुकसान हो चुका होगा!
ReplyDeleteअभी भी वक्त है ऐसे लोगों के चंगुल से निकल जाने का
चित्र ल्गाने का बहुत बहुत धन्यवाद।कई बातें खुद अपनी कहानी कह गई।
नवयुवकों के बारे में लिख दिया अब घाघ लोगों पर भी जरा कुछ हो जाये
:-)
ReplyDeleteसतीश भाई यह पोस्ट लगाकर आपने जैसे मेरे मन की बात कह दी है। मुझे तो लगता है क्या युवा और क्या बुजुर्ग। अधिकांश ब्लागरों में एक तरह की यह प्रवृति है कि बस कमेंट करना है। और कमेंट भी वही रचना अच्छी है,सुंदर है,सशक्त है,आदि आदि। विमर्श के लिए बहुत कम तैयार होते हैं। न तो ब्लाग लेखक आलोचना सुनना चाहते हैं और न किसी की आलोचना करना।
ReplyDeleteहम सबको इस पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। शायद इसमें किसी को बरगलाने की बात नहीं है, पर पोस्ट लेखकों को भी इस पर ध्यान देना चाहिए कि उनकी पोस्ट पर किस तरह की टिप्पणी आ रही हैं।
बात तो बहुत ज्ञान की करी है , फोटुओं पर थोडा कैप्सन और लगा देते तो हम भी जान लेते सबके नाम !
ReplyDeleteसहनशीलता और उदारता - अधजल गगरी में नहीं पूरे भरे बर्तन में ही दिखती है इसलिए महान लोग आलोचना को दर्पण की तरह देखते हैं और बाकी हम जैसे लोग दंभ में कुएं का मेंढक बने ऐंठते रहते हैं !
आपसे सहमत हूँ कि ब्लॉगजगत में कुछ ........कुछ ......... को बुरी तरह से .......... रहे हैं । एसा करना ........ नहीं है । इससे ........ चाहिये ।
ReplyDelete
ReplyDeleteलाख लाख शुक्र है ख़ुदा का,
कि मैं युवाओं में नहीं गिना जाता ।
और मेरा फोटू भी यहाँ नहीं है...
यह निर्भर करता है, कि हम क्या देखना चाहते हैं,
सवाल यह भी ठीक है कि, हतोत्साहित करना उचित नहीं,
पर एक और बात, हठात प्रोत्साहन बाँटते रहना किसी लेखक
या ब्लॉगर याकि पेन्टर को भविष्य की क्या दिशा दे सकती है ?
होमवर्क करते समय यदि अपने लिये येन केन प्रकारेण वेरी गुड,
अति-उत्तम इत्यादि का जुगाड़ कर लेना विद्यार्थियों के लिये घातक होगा ।
क्या, ठकुरसुहाती से गदगदायमान होकर बरबस गाल बजाते रहना ही आख़िरी स्टेशन है ?
क्या ब्लॉगिंग केवल सयानों और घाघों से ही ग़ुलज़ार है, अरे नहीं... अईसा नहीं है, सतीश भईया ।
हमहूँ डिस्क्लेमर लगऊबे
कि मैंनें लेख को पढ़ लिया है
और मेरी प्रतिक्रिया अपनी समझ से समाज व देश के लिए ईमानदार मानी जा सकती है ।
यह नफ़रत एवँ दुर्भावना बाँटने के उद्देश्य से भी नहीं लिखी गयी है, सादर !
सही कहा जी आपने, युवाओं को बैन कर देना चाहिये। फ़िर भी न मानें तो और कड़ी कार्रवाई करनी चाहिये। अब जब आपने नाम ही नहीं बताये तो आप से यह पूछना भी फ़िजूल ही होगा कि युवा से अभिप्राय क्या है? उम्र का पैमाना चलेगा या ब्लॉग सक्रियता का?
ReplyDeleteआपका लेख भी आजकल के ट्रैंड के हिसाब से बहुत शानदार है। पिछले कुछ दिनों से ये फ़ैशन बहुत चलन में है कि पोस्ट निकाल दी जाये, राय मांग ली जाये, दुआयें मांग ली जायें या अनुरोध कर लिया जाये लेकिन क्या बात है, किसकी बात है इस बारे में चुप्प।
अगर बात को पब्लिक नहीं कर सकते तो फ़िर ऐसी पोस्टस निकालकर शायद ब्लॉगर धर्म का पालन ही हो रहा है। अगर ऐसी पोस्ट्स सैलेक्टेड लोगों के लिये है तो ऐसा इशारा भी कर देना चाहिये, अब सब तो परिपक्व नहीं हो सकते कि खुद ही समझ जायें कि कमेंट करना चाहिये या नहीं।
सार्थक टिप्पणी का मतलब सिर्फ़ वाहवाही वाली टिप्पणी से ही होता है।
आप चाहें तो नाराज हो सकते हैं और वही जवाब दे सकते हैं जो कुछ पोस्ट पहले आपने ’सम्वेदना के स्वर’ की टिप्पणी पर दिया था(जिनकी फ़ोटो आपने लगाई है और साथ में डिस्क्लेमर भी नीचे लगाया हुआ है)। अपने को कोई आश्चर्य नहीं होगा, धीरे धीरे ही सही कुछ तो सीख ही रहे हैं।
धन्यवाद।
@ मो सम कौन ,
ReplyDeleteमुझे लगता है कि आप कुछ और समझे जबकि मैं कह कुछ और रहा हूँ ! अगर यह स्थिति आप जैसे मित्रों की है जिन्हें मैं अपने से अधिक समझदार मानता हूँ तो निस्संदेह गलती मेरे लिखने में ही है !
टिप्पणियों के बारे में सुझाव देते समय चित्रों का चयन में कुछ भी नहीं सोचा गया और वे चित्र भी उन लोगों के हैं जिन्हें मैं अपना मित्र मानता रहा हूँ और जिन्हें पढना मुझे हमेशा अच्छा लगता है !
बस !
सादर
टिप्पणिया देते समय लोग ईमानदार रहें...सोंच समझ कर तारीफ़ करें तभी टिप्पणियों का महत्व होता है !इसी इमानदारी की कमी , इस हिंदी ब्लॉगजगत मैं खलती है सतीश भाई . अच्छा और सच्चा दोस्त वही है जो, प्रशंसा और आलोचना मैं भी इमानदारी बरते.
ReplyDeleteसक्सेना साहब,
ReplyDeleteशर्मिंदा न करें। पढ़ने में, समझने में और खासकर ’बिटवीन द लाईंस’ समझने में मैं ही गलती करता हूँ, बहुत से लोग यह बात जानते भी हैं और मानते भी हैं(including myself)।
आपसे हर मामले में छोटा हूँ(समझदारी में तो बहुत ज्यादा), बड़ा बनने की कतई मंशा या शौक नहीं है। अन्यथा न लें। निकल रहा था बस घर से तो आपके प्रतिकमेंट पर नजर पड़ गई, शाम को या रात को फ़िर चैक कर लूंगा।
सादर
संजय।
बहुत संवेदित दिख रहे हैं.अब इतना कुछ नहीं हुआ भाई कि मुंह लटका के बैठ जाएँ !
ReplyDeleteहा...हा...हा...हा....
ReplyDeleteइस टिप्पणी की बहुत आवश्यकता थी यार .........
कैसे समझाऊँ ...??
मेरे तो सिर के ऊपर से ही सब कुछ निकल गया...फोटो आपने ऐसे लगाई कि मुझे लगा, पूरे ब्लॉग जगत में महा घाघ समीर जी ही हैं...सीधा प्रहार लग रहा है...मैं इस फोटो से सहमत नहीं हूँ....आपकी बात बिल्कुल सही है...परन्तु आपको उन टिप्पणियों को भी उधृत करना चाहिए था ...ताकि लोगों को उदाहरण भी मिल जाता ....और दूसरे भी ऐसी ग़लती नहीं दोहराते ....बात तो मुझे बिकुल भी समझ में नहीं आई...शायद मैं न तो वरिष्ठ हूँ न ही कनिष्ठ...गरिष्ठ हूँ शायद...:):)..लेकिन एक बात कहूँगी ...आपको समीर जी कि तस्वीर नहीं लगानी चाहिए थी....इसे आपको हटाना चाहिए था....क्यूंकि आपकी पोस्ट के विषय का विशेषण इनके व्यक्तित्व से सर्वथा भिन्न है....
ReplyDeleteआशा है मैं अपनी बात कह पाई हूँ..
ये शहर है अमन का, अमन का,
ReplyDeleteयहां की फिज़ा निराली है,
यहां पे सब शांति-शांति है,
यहां राग है, यहां फाग है,
यहां दिल में बस प्यार है,
यहां दोस्ती, यहां ज़िंदगी,
दुश्मन यहां यार है,
यहां चाहतें, यहां राहतें,
यहां चांद तारे मिले,
यहां सर्दियां, यहां गर्मियां,
यहां सारे मौसम खिले,
ये शहर है अमन का, अमन का,
यहां की फिज़ा निराली है,
यहां पे सब शांति-शांति है,
मक्खन आज गाने के मूड में है...
जय हिंद...
@ अदा जी ,
ReplyDeleteआप ध्यान से लेख और टिप्पणियों में मेरा उत्तर एक बार फिर पढ़ लें ! समीर भाई मेरे लिए परम आदरणीय हैं, मैं ऐसा सोच भी नहीं सकता....
"कुछ दिनों से अपनी समझ के प्रति मोह भंग हुआ है, जिन लोगों को बेहतरीन मानता रहा हूँ वे अपनी असलियत बता गए"
ReplyDeleteऐसा इसलिए हुआ , क्यूँ की इस ब्लॉग जगत मैं, जो लिखा जाता है , उसपे चला नहीं जाता. और यह इस समाज की दिक्क़त है. हम लेखों मैं तो बड़ी बड़ी बातें करते हैं, लेकिन उसको अपने जीवन मैं , नहीं उतार पाते.
वक़्त ही सच्चे इंसान की पहचान करवा देता है. एक बार फिर जोश के साथ , लिखें और आप पाएंगे , की आप के आस पास कुछ नहीं बदला. बहुत से बढ़िया साथी , ब्लॉग जगत मैं मौजूद हैं. हाँ समीर जी को मैं भी पसंद करता हूँ.
और यह फायदा इन दिनों खूब उठाया जा रहा है !
ReplyDeleteकिसी भी लेख अथवा रचनाकार के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर, निष्छल मन से तारीफ़ करते यह युवा मन यह नहीं समझ पाते कि वे सामान्य तारीफ़ करने की वजाय,जोश में परम चाटुकारिता की सीमा लांघ चुके हैं !और ऐसा कर वे एक चालाक, अवसरवादी कलम को घमंड की धार देकर और घातक बना रहे हैं !
यह बात संवेदनशील तो लग रही है पर समझ नहीं आ रही ...वैसे मुझे लगता है कि हम स्वयं कि ओर न देख कर यही देखते हैं कि दूसरा क्या कर रहा है ...
सतीश जी चिट्ठाजगत कि लिस्ट में आपकी पोस्ट के आगे सिर्फ ६ कमेंट्स देखकर मैं दुबारा आपके ब्लॉग पर आया और यहाँ पर ३० से ज्यादा कमेंट्स हैं. ये क्या माजरा है समझ नहीं आया पर चलिए इसी बहाने कुछ मजेदार कमेंट्स पढने को मिल गए.
ReplyDeleteवैसे आपको बता दूँ कि जब तक मैं आपके लेख के अंत तक नहीं पंहुचा था जहा आपने लिखा है कि लेख पर लगी तस्वीरों का लेख से कोई सम्बन्ध नहीं है तब तक मेरी स्थिति भी कुछ कुछ अदा जी जैसी ही थी. बस मुझे लग रहा था कि युवाओं को संबोधित लेख में आपने "उम्र से बुजुर्ग" लोगों के फोटो लगा कर उनका सम्मान ही बढाया है.
अपने लिखा कि
"आज ब्लाग जगत में ऐसे कई युवा कार्यरत हैं जो देश और विदेश में अपने कार्य क्षेत्र के सिद्धहस्त विद्वान् हैं ! हिंदी ब्लाग जगत में, इनके क्षेत्र ( वैज्ञानिक तकनीक ) से हट कर ,अपना नाम कमाने की इच्छा में, विभिन्न विषयों और समाज पर लिखते लच्छेदार और घाघ लेख पढ़कर........"
इसके साथ अपने समीर जी कि तस्वीर लगाई... मुझे लगा ये विदेशी युवा हैं
अरविन्द मिश्रा जी कि तस्वीर देखकर लगा कि ये युवा वैज्ञानिक तकनीक से हटाकर वाला है.
अनूप शुक्ल देसी युवा...
@ मो सम कौन ,
ReplyDeleteधन्यवाद संजय , आप जैसे लोगों से ही परिवार ( समाज ) को उम्मीदें होती हैं ! मैं एक बेहद लापरवाह इंसान और ब्लागर हूँ... और अक्सर लिखते समय नफा नुक्सान की परवाह किये बिना लिखता हूँ ! यह लेख मेरे द्वारा लिखे लेखों में सबसे अच्छा लेख है जो काफी लोगों की समझ नहीं आया ! साधारण मगर महत्वपूर्ण सन्देश लिए एक लेख पर, निर्दोष भावना से लगाये गए अपने कुछ मित्रों के चित्र, लोगों के मन में तरह तरह के शक पैदा कर सकते हैं, अफसोसजनक प्रवृत्ति है लोगों की ...
परस्पर अविश्वास हमें एक दूसरे पर विश्वास नहीं करने देता ! ब्लाग जगत में द्वेषभावना जगजाहिर है !
खेद तब होता है जब व्यक्तिगत तौर पर जो मुझे बिलकुल नहीं जानता वह भी जाते समय पत्थर फेंक कर जाता है ! क्योंकि उसे यह यकीन ही नहीं होता कि कोई इंसान निर्दोष या सद्भावी हो सकता है !
भाई विचार शून्य जी,
ReplyDeleteकृपया संजय के लिए लिखी टिप्पणी अपने लिए भी माने , अब मैंने चित्रों का क्रम बदल दिया है ! चित्रों का क्रम बदलने के बाद ताऊ सबसे ख़राब हो गए होंगे :-)))
ताऊ हैं भी सबसे छटे हुए कलाकार ...
:-)
मुकदमा नाम : "ब्लाग पाठकों से अनुरोध -सतीश सक्सेना"
ReplyDeleteता : २२ अक्टूबर 2010 का ताऊ अदालत में पेश हुआ. जिस पर समस्त वादी प्रतिवादियों की जिरह सुनने के उपरांत ताऊ अदालत इस निर्णय पर पहुंची है कि : इस मामले में मुल्जिम सतीश सक्सेना को दोषी नही ठहराया जा सकता.
जिन हालातों के मद्देनजर यह गुनाह (इस आलेख का लिखा जाना) किया गया वह सर्वथा उचित और तर्क संगत है लेकिन मुल्जिम सतीश सक्सेना एक बात का दोषी पाया गया है कि महाघाघ ताऊ को सिर्फ़ घाघ की पदवी दी और ताऊ की फ़ोटो सबसे अंत में लगायी. अत: इस मामले में मुल्जिम को दोषी करार दिया जाता है.
ताऊ अदालत मुल्जिम सतीश सक्सेना को यह आदेश देती है कि महाघाघ ताऊ की फ़ोटो सबसे ऊपर प्रथम पूज्य के रूप मे लगाये और दंड स्वरूप महाघाघ शिरोमणी ताऊ का एक अन्य मनपसंद फ़ोटो अपनी अगली ब्लाग पोस्ट मे लगाये. दंड का अनुपालन नही करने पर दंड राशि बढती रहेगी.
अन्य सभी मामलों में मुल्जिम सतीश सक्सेना को ताऊ अदालत बाइज्जत बरी करती है और भविष्य में भी ऐसी तथ्य परक पोस्ट लिखने का आदेश देती है लेकिन किंचित स्पष्टता के साथ.
अब ताऊ अदालत अगले मामले की सुनवाई तक मुल्तवी की जाती है.
रामराम.
मुकदमा नाम : "ब्लाग पाठकों से अनुरोध -सतीश सक्सेना"
ReplyDeleteता : २२ अक्टूबर 2010 का ताऊ अदालत में पेश हुआ. जिस पर समस्त वादी प्रतिवादियों की जिरह सुनने के उपरांत ताऊ अदालत इस निर्णय पर पहुंची है कि : इस मामले में मुल्जिम सतीश सक्सेना को दोषी नही ठहराया जा सकता.
जिन हालातों के मद्देनजर यह गुनाह (इस आलेख का लिखा जाना) किया गया वह सर्वथा उचित और तर्क संगत है लेकिन मुल्जिम सतीश सक्सेना एक बात का दोषी पाया गया है कि महाघाघ ताऊ को सिर्फ़ घाघ की पदवी दी और ताऊ की फ़ोटो सबसे अंत में लगायी. अत: इस मामले में मुल्जिम को दोषी करार दिया जाता है.
ताऊ अदालत मुल्जिम सतीश सक्सेना को यह आदेश देती है कि महाघाघ ताऊ की फ़ोटो सबसे ऊपर प्रथम पूज्य के रूप मे लगाये और दंड स्वरूप महाघाघ शिरोमणी ताऊ का एक अन्य मनपसंद फ़ोटो अपनी अगली ब्लाग पोस्ट मे लगाये. दंड का अनुपालन नही करने पर दंड राशि बढती रहेगी.
अन्य सभी मामलों में मुल्जिम सतीश सक्सेना को ताऊ अदालत बाइज्जत बरी करती है और भविष्य में भी ऐसी तथ्य परक पोस्ट लिखने का आदेश देती है लेकिन किंचित स्पष्टता के साथ.
अब ताऊ अदालत अगले मामले की सुनवाई तक मुल्तवी की जाती है.
रामराम.
yuva kaun hota haen ?????
ReplyDeletekis aayun kaa ???
photos should not have been used . to show proximity to all groups looks like the aim of putting up the post
last but not the least no woman blogger is in the category आदरणीय लोगों के उपलब्ध चित्र, जिनके लेखों का मैं प्रसंशक हूँ , waah
अरे बाप रे यहां तो महायुद्ध होने की तेयारिया चल रही हे, फ़ोजे अपना अपना स्थान ग्रहण कर रही हे, ना बाबा ना हम तो दुर ही भले इन लडाई झगडो से, हमे ओर भी बहुत से काम हे,वेसे हमारे पल्ले पडा कुछ नही कि यह सब हो क्या रहा हे??? कविरा तेरी झोपडी गल कटेयो के पास करेगा सो भरेगा तु क्यो होत उदास....
ReplyDelete.
ReplyDeleteGreat pics !
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Nice post !
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सतीश जी
ReplyDeleteदूसरो का तो नहीं पता पर मुझे आप की सारी बाते समझ में आ रही है | मुझे ब्लॉग जगत में आये एक साल भी नहीं हुए है पर ये मै काफी समय से देख रही हु | पर ऐसा भी है कुछ युवा तो खुद इस तरह के विचार ले कर ही आ रहे है और पुराने लोग उन्हें बढ़ावा दे रहें है ये दोनों तरफ से हो रहा है | कई बार तो ये भी होता है की बिना पूरा प्रसंग जाने सामने लिखी बात पर ही बिना सोचे समझे हर कोई प्रतिक्रिया दे देता है और इसमे सब शामिल है | पर सवाल ये है की इसे रोका कैसे जाये | कुछ उपाय भी बताते तो अच्छा होता |
सतीश जी
ReplyDeleteचिटठा जगत में आपकी पोस्ट पर सिर्फ १८ टिप्पणिया ही क्यों दिख रही है यहाँ तो ३९ है दो मैंने दे दी | अब ये क्या गड़बड़ है |
चिर युवाओं की दर्शनीय तस्वीर लगाकर आपने इस पोस्ट को अविस्मर्णीय बना दिया है -जोड़ की नारियां नहीं मिली क्या ?
ReplyDeleteआपका दोष नहीं कोई भी चिर युवा के पैमाने पर नहीं उतरती -मेरी न मानें तो अली सा से पूछ लें !
सतीश सर,........
ReplyDeleteआप किस चक्कर में पड़ गए........
न तो मुझ मंद बुद्धि को पोस्ट पल्ले पड़ी और न ही विद्वान लोगों के कमेंट्स.....
बहरहाल...फट्टे में टांग अडाने की आदत है.... तो कमेंट्स लिख दिया.
आदरणीय सतीश सर,
ReplyDeleteमेरी तो आजकल कुछ जानबूझ कर कुछ समयाभाव के चलते इस दुनिया से एक निश्चित दूरी बनी हुई है.. एक प्रिय ने लिंक दिया तो इस पोस्ट के बारे में जाना.. अपनी मंदबुद्धि के हिसाब से कह रहा हूँ कि सबसे बड़ी मुसीबत तो ये है कि यहाँ ज्यादातर ऐसी पोस्टों को हर कोई अपने ऊपर लिखी गई मान के चलता है.. जो सुधार के लिए लिखी गई हो या जिसमे कमियाँ गिनाई गईं हों, हर पाठक को लगता है कि ये उसके ऊपर बाण छोड़ा गया है.... और जिस पोस्ट को हर किसी के लिए लिखा जाए उसे कोई भी अपने लिए लिखी गई मान कर नहीं समझता, सबको लगता है कि ये किसी और से कहा गया है.
मुझे ही देख लीजिये.. ये पढ़ कर लग रहा है कि युवाओं से कहा गया है.. मैं तो अभी बच्चा हूँ.. एक कहावत है कि 'जब कर नहीं तो डर काये को' और ये भी है कि 'अपनी कमी देखें नईं और दूसरन की पर-पर टेंट निहारत' अभी सोच रहा हूँ कि बच्चे से जब युवा और फिर प्रोढ़ होऊंगा तो उस समय के लिए अपने लिए कौन सी कहावत सोच कर रखूँ(गलती हो जाने पर)... :)
उस्ताद जी ने सही कहा.. बढ़िया आह्वाहन
ताऊ ,
ReplyDeleteबरी करने के लिए धन्यवाद आपका ! अदालत में अपील की अर्जी नहीं लगाऊंगा ताऊ , तुम्हारी फोटू हर बार अपने ब्लाग पर लगाने को तैयार हूँ, पर सजा समीर लाल, अनूप शुक्ल और संवेदना को भी दी जाए जो मेरी मंशा पर शक कर रहे हैं ...
प्यार के साथ यह सलूक वर्दाश्त नहीं होना चाहिए ! यही अदालत से दरख्वास्त है....
सादर
शुक्रिया अंशुमाला !
ReplyDelete@"दूसरो का तो नहीं पता पर मुझे आप की सारी बाते समझ में आ रही है |
बेहद खेदजनक रवैया है ब्लाग जगत का, बिना किसी मतलब के, शायद ही कोई ध्यान से किसी और को पढता होगा ! सामान्य सी बात भी समझने के लिए किसी के पास समय नहीं है ! यह पोस्ट मैं अपनी लिखी हुई अच्छी पोस्टों में से एक मानता हूँ ! मगर कांव कांव के कारण मुझे अपनी पूरी ईमानदारी के बावजूद अपनी स्पष्टीकरण देना पड़ा ! यही चरित्र है हमारे समाज का और शायद मेरे रूप में छिपे आम आदमी का चाहे मैं कितना ही अच्छा क्यों न होऊं , मगर मुझे अच्छा लगने के लिए, समाज के इन मज़ाक उड़ाते लोगों का, सहारा लेना ही पड़ेगा !
मैं सोंचता हूँ अगर मेरे जैसे निडर के साथ यह हो रहा है तो औरों के साथ क्या हाल होगा .....भयावह है यह सोचना भी...
मेरी गलती बस इतनी है कि टिप्पणियों के विषय के साथ, मैंने ब्लाग समाज के कुछ प्रमुखों को ...जो मेरे अच्छे मित्र भी हैं का चित्र यहाँ लगा दिया..जिससे ब्लाग समाज का प्रतिनधित्व कर सके यह लेख ! !
ताऊ का प्रमोशन बिना हमसे पूछे??
ReplyDeleteक्या वो हमसे बड़े घाघ हो गये कि बड़े युवा?
सख्त आपत्ति है, उनका फोटो हमारे बाद आना चाहिये. :)
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वैसे ऐसी टिप्पणियों से जो इतनी ही नाराजगी है लोगों को, तो उन्हें रखे क्यूँ रहते हैं. डिलिट करने का भी तो एक बटन ब्लॉगर ने दिया हुआ है...
कोई भी कहे-बेहतरीन और आप दबाओ-डिलिट.
दो बार ऐसा करोगे..चौथी बार से वो आना बन्द कर देगा, मामला साफ. इसमें विमर्श कैसा?
@ समीर लाल ,
ReplyDeleteगंभीर शिकायत है आपसे भी ...
न जाना कि दुनिया से जाता है कोई
बड़ी देर की मेहरबाँ , आते आते !!
@ सतीश सक्सेना
ReplyDeleteचिंता नही करें जैसे जैसे ताऊ अदालत के फ़ैसले की कापी मिलती जायेगी सबकी शंका मिटती जायेगी.
रामराम
-महाघाघ शिरोमणी ताऊ
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ReplyDelete.
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आदरणीय सतीश सक्सेना जी,
वैसे मैं आपका आशय व ईशारा समझ गया हूँ परंतु फिर भी आप थोड़ा और स्पष्ट यदि कर देते तो बेहतर रहता... कहीं आप भी भयंकर कोप से भयभीत तो नहीं हैं... :)
थोड़े बहुत रद्दोबदल के साथ आप द्वारा कही कुछ बातों को पुन: दोहरा देना चाहूँगा...
*** किसी भी लेख अथवा रचनाकार के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर, निष्छल मन से तारीफ़ करते यह युवा मन यह नहीं समझ पाते कि वे सामान्य तारीफ़ करने की वजाय,जोश में परम चाटुकारिता की सीमा लांघ चुके हैं !और ऐसा कर वे एक चालाक, अवसरवादी व अस्थिरचित्त कलमकार को घमंड की धार देकर और घातक बना रहे हैं...
वह यह तक नहीं देख पाते कि वहीं पर लेखक की सोच के इतर राय रखने वाले टिप्पणीकारों पर कितने व्यंग्यबाण चलाये जा रहे हैं या किस तरह से सार्वजनिक अपमान किया जा रहा है।
***इन मासूम युवा विद्वानों को, अपने दुश्मनों के खिलाफ प्रेरित करना बड़ा आसान है , केवल अपना रंजिश या ईर्ष्या से दुखता दिल दिखाने की जरूरत भर है , ये युवा लेख़क स्वाभाविक जोश में ,किसी भी ईमानदार को चोर, देशभक्त को गद्दार, विद्वान को मूर्ख और चरित्रवान को लम्पट लिख देने में देर नहीं लगायेंगे !
अब नाम तो नहीं लेना चाहूँगा पर हाल ही में ऐसा खुलेआम हुआ...और विरोध में केवल गिनेचुने स्वर ही उठे... बाकी ने या तो मूक सहमति दी, या अपने पिछले हिसाब किताब निकाले... (विषयान्तर के लिये क्षमा करें... पर मुझे लगता है कि, आदरणीय अरविन्द मिश्र जी का विचारमग्न फोटो आपकी पोस्ट की शोभा कई गुना बढ़ा दे रहा है... आपको धन्यवाद!)
***जहाँ एक तरफ अच्छे और उचित लेखों के लिए पाठकों की प्रतिक्रियाएं, वातावरण में सौहार्दपूर्ण मिठास घोलने कार्य करेंगी वहीँ नाज़ुक विषयों पर अनजाने और बिना सोचे समझे की गयी प्रतिक्रियाएं समाज का सत्यानाश कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है !
और इसी प्रकार तात्कालिक जोश में एक सामान्य उत्साही ब्लागर द्वारा, तालियाँ बजाते हुए की गयी तारीफ़ पर अवसरवादी, चालाक,शब्दाडम्बर युक्त, विरोधाभासों से भरी,पथभ्रष्ट, अल्पज्ञानी और अति उत्साहित-अस्थिर मन-मस्तिष्क द्वारा लिखे आलेख, समाज का वह विनाश करेंगे जिसकी कोई कल्पना भी न कर सके ! आज आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों और मात्र ध्यान आकर्षित करने के लिये वाले लेखों पर प्रतिक्रिया देते समय, लेख़क की निष्पक्षता ,उद्देश्य और ईमानदारी के प्रति सावधान रहें !
ब्लॉगिंग भी हमारे समाज की तरह ही है... काठ की हांडियाँ आखिर कितनी बार चढ़ेंगी... तमाम बुरे दौरों की तरह यह दौर भी गुजर जायेगा... और हरेक को उसका वह स्थान भी आखिरकार मिलेगा, जिसका वह पात्र है... आशावान रहिये...
...
@ Udan Tashtari
ReplyDeleteआपत्ति ओवररूल्ड...ताऊ अदालत ने महाघाघ शिरोमणी का खिताब देदिया सो देदिया. नो अपील नो दलील अगेंस्ट ताऊ अदालत.:)
रामराम
-महाघाघ शिरोमणी ताऊ
अरे सतीश भाई-शिकायत न पालो!!!!
ReplyDeleteयूँ न रहेगा मौसम एक सा हरदम,
चलेगी पवन भी, मगर धीरे धीरे....
पवन =समीर
@ दीपक मशाल ,
ReplyDeleteकुछ लोग जीवन भर दूसरों से पूंछ पूंछ कर, चलते हुए जीवन काटते हैं, इनके पास अपनी बुद्धि नहीं होती ऐसे मूर्ख मेरी नज़र में मात्र नपुंसक होते हैं !
ऐसे लोग धनवान होने के बावजूद,पड़ोसियों के धनी होने पर रोते रहते हैं! इन नकारात्मक सोच से ग्रसित लोगों को मुक्त हास जीवन भर नसीब नहीं होता ! अफ़सोस यह है कि इन कुंद बुद्धि लोगों में कुछ नौजवान भी हैं जिन्हें अनजानों को गाली देना शायद उनके परिवार में ही सिखाया होगा !
बहुत दिन बाद आये दीपक ! बहुत अच्छा लगा !
शुभकामनायें
@ डॉ अमर कुमार ,
ReplyDeleteगुनाहगारों में शामिल हैं गुनाहों से नहीं वाकिफ
सजा को जानते हैं हम खुदा जाने खता क्या है
चाचा जी, आपको किससे दुख पहुँचा है ये तो मुझे नही पता..पर ऐसा मानता हूँ ऐसे शख्स बुद्धिमान नही बल्कि मूर्ख होते है .अपने किसी स्वार्थ के लिए बड़ों के मन को ठेस पहुँचाए.....और हाँ अगर जाने-अंजाने में मुझसे कोई ग़लती हुई तो क्षमा चाहता हूँ..प्रणाम
ReplyDelete@ भाई प्रवीण शाह,
ReplyDeleteउपरोक्त लेख मेरे खुद के व्यक्तिगत अनुभव और अभी हाल के दो या तीन पोस्टों पर छपी हुए कुछ टिप्पणियों से प्रभावित है !मैं अपने आपको व्यक्तिविशेष के खिलाफ लिखने से बहुत बचाने का प्रयत्न करता हूँ मगर अन्याय और गलत बात का खंडन करना मैं नितांत आवश्यक मानता हूँ ! देर सबेर अगर आवश्यक हुआ तो अवश्य खुल कर लिखूंगा !
आपके कथनानुसार यह मेरा भी विश्वास है कि लेखन व्यक्तित्व की पहचान है, देर सबेर पाठक फैसला कर देंगे कि ब्लाग जगत में गाल बजाते लोगों में से समाज के लिए अच्छा कौन है !
यही अर्थ लगायें कि
ReplyDeleteपहले हिन्दी ब्लॉग विश्व युद्ध के
बन रहे हैं आसार
या मेरा अनुमान है निस्सार।
निस्सार ही हो तो अच्छा
ब्लॉग जगत का भला करेगा
हिन्दी सेवक जो भी है सच्चा।
पोस्ट और सारी टिप्पणियाँ पढने के बाद हम तो सिर्फ मुस्करा कर ही जा रहे है |
ReplyDeleteइन नकली उस्ताद जी से पूछा जाये कि ये कौन बडा साहित्य लिखे बैठे हैं जो लोगों को नंबर बांटते फ़िर रहे हैं? अगर इतने ही बडे गुणी मास्टर हैं तो सामने आकर मूल्यांकन करें।
ReplyDeleteस्वयं इनके ब्लाग पर कैसा साहित्य लिखा है? यही इनके गुणी होने की पहचान है। अब यही छदम आवरण ओढे हुये लोग हिंदी की सेवा करेंगे?
:)...
ReplyDeleteमुझे तो अभी तक न कोई घाघ मिला न महाघाघ और न ही कोई गुट. कभी कभी चार बर्तन आपस में खड़खड़ा जाते है. बस, फिर अपनी जगह पहुंचते ही शान्त हो जाते हैं.
ReplyDeleteमान्यवर!
ReplyDeleteब्लॉग जगत की झंडाबरदारों/घाघों/महाघाघों के विषय में नवागंतुक तथाकथित युवा खद्योतगणों के दिग्भ्रमित होने का प्रयोजन शायद "महाजनो येन गतः स पन्थाः" हो सकता है ... :))
हम जैसे बहुत से (अ)युवा ब्लॉगर आज तक नहीं समझ पाए कि हम किस श्रेणी में हैं ... तो मजधार में डूब जाने से अच्छा है कोई एक किनारा पकल्लिया जाए ...
प्रयोजन आपका पक्कम पक्का द्वेष रहित रहा होगा ... किन्तु परन्तु लेकिन ... पोस्ट कुछ गरिष्ठ हो गयी है जो हम जैसे अज्ञानी के एंटीना पहुँच से दूर रह गयी है ... फोटुवें प्रथम दृष्टया भ्रम पैदा करती हैं ...
चलिए एक तुरंती अर्ज कर देता हूँ ,... कृपया इसे खाने के बाद स्वीट डिश के रूप में मानें :)
ब्लॉग जगत के तीर पर भई संतन की भीर
कोई कुल्ली कर रहा कोई कचारे चीर
कोई कचारे चीर कमंडल भर भर जावें
खावें वहीँ,वहीँ पर नित्यक्रिया निपटावें
कहें पद्म यह देख कर मन हो रहा अधीर
जाने कब आये सुदिन ब्लॉगजगत के तीर
कुछ भी समझ नहीं आ रहा ...सब कुछ दिमाग (है भी क्या ??) के ऊपर से निकल गया ...
ReplyDeleteवैसे हम तो पोस्ट देखकर बेबाकी से टिप्पणी करते हैं , तस्वीरें देखकर नहीं इसलिए ...निश्चिंत हैं ...!
hmmm... aglee baar kisi blog pe comment karne ke pahle aapkee baat dhyaan rakhungee... parantu bas ek baat bata dijiye ki yadi koi majhha khiladi koi naya shot khele aur kisi dekhne waale kee samajh mei wo na aaye, to kya sawaal uthana galat ahai... khair, jo bhi hai, blogging kee duniya samajhne mei shayad kuchh waqt lagega mujhe... par ek wasal aur hai... aisa kyoon hota hai ki aap 100 blogs mei jaaye to aapko sirf 10 visit milte hai, ya wo bhi nahi milte???
ReplyDeleteकिस पर निगाहें और किस पर निशाना है प्रभु...ये तो बताएं...
ReplyDeleteनीरज