"Excuse me aunty . . ."
" झूठ मूठ नाम रख लिया वाणी , दुर्वाणी हुई जा रही हो "
यह शब्द हैं वाणी जी की लड़कियों श्रेया और श्रुति के और बोले हैं अपनी माँ से. . . .
मैंने आज इस नोक झोंक का काफी देर आनंद लिया , और कुछ पंक्तियाँ लिख गयीं माँ और बेटियों पर , वे वाकई खुश किस्मत हैं कि उन्हें दो दो पुत्रियाँ मिलीं और वह भी लड़ाका :)
माँ बेटियों में यह स्नेहिल नोक झोंक चलती रहे , मंगलकामनाएं इस प्यारे परिवार को !
" झूठ मूठ नाम रख लिया वाणी , दुर्वाणी हुई जा रही हो "
यह शब्द हैं वाणी जी की लड़कियों श्रेया और श्रुति के और बोले हैं अपनी माँ से. . . .
मैंने आज इस नोक झोंक का काफी देर आनंद लिया , और कुछ पंक्तियाँ लिख गयीं माँ और बेटियों पर , वे वाकई खुश किस्मत हैं कि उन्हें दो दो पुत्रियाँ मिलीं और वह भी लड़ाका :)
माँ बेटियों में यह स्नेहिल नोक झोंक चलती रहे , मंगलकामनाएं इस प्यारे परिवार को !
इकदिन जब,इसकी डोली, इसको ढूँढेगी
ये लाड़ली अपनी कहाँ रुकेगी, यूँ आखिर !
ये आँखें, इनको यहाँ वहां, जब ढूँढेंगीं !
फिर केवल हिचकी याद करेगी यूँ आखिर !
फिर केवल हिचकी याद करेगी यूँ आखिर !
ये प्यार बेटियों का, किसका हो पाया है ,
ये एक जगह फिर,कहाँ मिलेंगीं यूँ आखिर !
माँ की वाणी, तब याद बहुत ही आयेगी !
तब दुर्वाणी भी भली लगेगी यूँ आखिर !
तब दुर्वाणी भी भली लगेगी यूँ आखिर !
हर बेटी को बस विदा एक दिन होना है,
ये सारा जीवन मस्त जियेगी यूँ आखिर !
ये सारा जीवन मस्त जियेगी यूँ आखिर !
बहुत संदर ! सतीश जी . माँ ,बेटियों में तो प्यार भरी नोंक -झोंक होती ही रहती है. मेरी छोटी बहन की दो जुड़वां बेटियों का नाम भी श्रुति और श्रेया है ,जो 9 साल की हैं और पटना में रहती हैं .
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ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति है आदरणीय-
शुभकामनायें-
लगे लड़ाका लड़कियां, निश्चय होवे भोर |
सुनता सुरवाणी सरस, हरस रहा मन मोर |
हरस रहा मन मोर, बात दिल की कह देती |
मैया दिखे प्रसन्न, बलैयाँ सौ सौ लेती |
कह रविकर आशीष, मिले नित दुर्गे माँ का |
पाती वे अधिकार, आज जो लगे लड़ाका ||
१९-२० को दिल्ली में हूँ -सादर
Deleteस्वागत है आपका रविकर जी . .
Deleteआपके यह आशीर्वाद अवश्य फलीभूत होंगे !
आपसे मिलना चाहूँगा , आकर फ़ोन कर दीजियेगा !
Deletejee aadarniy-
Deletesantosh ji ke yahan rukunga-
बढ़िया पंक्तियाँ ...सुबह सुबह फेसबुक पर वाणी जी का स्टेट्स पढ़कर हमें भी मुस्कुराने का मौका मिला :)
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति है आदरणीय,आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल गुरुवार (10-10-2013) को "ब्लॉग प्रसारण : अंक 142"शक्ति हो तुम
ReplyDeleteपर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति...!सतीश जी...बधाई
ReplyDeleteRECENT POST : अपनी राम कहानी में.
Brautifil lines with great emotions and feelings
ReplyDeleteBrautifil lines with great emotions and feelings
ReplyDeleteवाकई खुश किस्मत माँ हैं वाणी जी उन्हें दो- दो प्यारी बेटियां मिलीं…लाजवाब रचना के लिए आभार आपका ...
ReplyDeleteवाकई वाणी जी की बेटियाँ श्रेया और श्रुति की बाते सुनकर मुझे भी हंसी आ गई !
ReplyDeleteआज कल न बेटियों का लड़ाकू होना जरुरी ही नहीं समय की मांग भी है :) !
सुन्दर रचना है !
मेरी बेटियां यूँ तो मुझसे थोड़ी कम लड़ाका है. गुस्से में नहीं , बल्कि मेरे गुस्से को कम करने लिए कहती है , कि आप जब- जब गुस्सा करोगे , मैं आपको आंटी बुलाऊंगी/या दुर्वाणी कहूँगी :) :)
ReplyDeleteशुक्रिया !
लड़ाका शब्द का उपयोग स्नेही मन से किया गया है, यह मैं अपने नोट में स्पष्ट कर चूका हूँ ! बच्चों का यही अंदाज़ तो जीवन भर याद रहेगा !!
Deleteये आँखें, इनको यहाँ वहां, जब ढूँढेंगीं !
ReplyDeleteफिर हिचकी ही, तो याद करेगी यूँ, आखिर ...
बेटियां हमेशा खुशियां बिखेरती हैं चुलबुली रहती हैं ... ओर जाने के बाद ऐसे ही याद आती हैं .... भावपूर्ण अभिव्यक्ति ...
भावपूर्ण प्रस्तुति
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति.......
सादर
अनु
so sweet :) . अब वाणी का स्टेटस पढने जा रहे हैं .
ReplyDeleteशानदार व उत्कृष्ट प्रस्तुती
ReplyDeleteवाणीं को उनकी बच्चियों ने दुर्वाणी कहा -हा हा हा! इस मनोरंजक वाकये को आपने सेंटी कर दिया
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना !
ReplyDeleteलेटेस्ट पोस्ट नव दुर्गा
नई पोस्ट साधू या शैतान
बढ़िया रचना |
ReplyDeleteमेरी नई रचना :- मेरी चाहत
सुन्दर रचना, प्रेम का यही क्रम बना रहे।
ReplyDeleteमनभावन सोच है .सतीश भैया .....
ReplyDeleteवैसे क्या इतेफाक है ...मैं भी इसी सोच पर आज लेख लिखने बैठी थी
माँ-बाप और बच्चों के रिश्ते अब मित्रवत हो गए हैं जिन्हें आपने बडे सुंदर ढंग से शब्दों में पिरो दिया है.
ReplyDeleteदिल से निकली है यह कविता
ReplyDeleteस्वागत है आपका भाई जी . .
Deleteबहुत सुन्दर कविता...
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना .......
ReplyDeleteमाँ बेटियों में यह स्नेहिल नोक झोंक चलती रहे ..बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteआपके गीत ह्रदय से निकलते हैं
ReplyDeleteसटीक भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteबेटियों के दिये ऐसे उपनाम भी मन को आनंदित करते हैं .....वैसे भी आज कल के बच्चे बहुत हाजिर जवाब होते हैं .... वाणी जी की बेटियों को शुभकामनायें और माँ के कटु वचन में भी मिठास होती है ।
ReplyDeleteलड़के से भी बड़ा लड़ाका :-)
ReplyDeleteये हुई ना बात.
ReplyDeleteरामराम.
रोते-रोते हँसना सीखो....हँसते-हँसते रोना
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