गौरव और गरिमा दोनों में होड़ रही कि पापा मेरे एड ऑन कार्ड ( गौरव का अमेक्स प्लेटिनम और गरिमा का अमेक्स गोल्ड कार्ड ) से ही खर्चा करें ! मेरे इन इंटरनॅशनल कार्ड्स को शीघ्र बनवाने में ,मेरी बेटी द्वारा किये गए प्रयत्नों के फलस्वरूप ,यात्रा से ठीक पहले मेरे दोनों बच्चों के द्वारा दिए गए एड ऑन कार्ड्स मेरे हाथ में थे !
शायद यह पहला मौका था जब कभी शांत न बैठने वाला मैं हर तरह से खाली था ! फ्रेंकफर्ट एअरपोर्ट पर रूल को न जानने की सजा उतरते ही मिली जब कस्टम पर,स्कॉच बोतल जो कि फ्लाईट के दौरान खरीदी गयी थी , जब्त कर ली गयी ! कारण बताया गया कि इस बोतल को सर्टिफिकेट के साथ प्लास्टिक बेग में सील्ड कर के लाना था जो कि एयर स्टाफ ने नहीं किया और पहला नुक्सान हमारा सफ़र में ही हुआ ! शुरुआत में ही शकुन अशकुन से आशंकित भारतीय मन कहीं न कहीं बेचैन हो गया था !
फ्रैंकफर्ट से वियना जाते समय प्लेन से खींची एक फोटो दे रहा हूँ , झील नगरी जैसा सुंदर, यह स्थल बेहद मनोहारी लगा ! यह कौन सी जगह है ? शायद राज भाटिया जी इस पर कुछ प्रकाश डाल सकें !
फ्लाईट में यूरोपियन स्टीवर्ड द्वारा सर्व की गयी मुफ्त रेड वाइन की चुस्कियां लेते समय कब बीत गया पता ही नहीं चला ! और प्लेन विएंना में उतरने की तैयारी कर रहा था ! प्रीपेड टेक्सी सर्विस बूथ ने एक लम्बे चौड़े यूरोपियन को हमारा सामान उठाने का निर्देश देते हुए बताया कि यही हमारा ड्राईवर होगा ! ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम युक्त, इस एस यू वी के ड्राईवर को हमारे दिए हुए पते पर पंहुचने के लिए, सिर्फ जीपीएस डिवाइस में इस पते को फीड भर करना था ! हर मोड़ पर मशीन में लगा तीर ड्राईवर को बता रहा था कि अगला मोड़ कितनी दूर और किस दिशा में होगा ! और कुछ ही देर में यह गाड़ी अपने फ्लेट के सामने इंतज़ार करते नवीन के सामने जाकर रुक गयी ! ज्वालामुखी राख से आशंकित, हमें अब जाकर विश्वास हुआ कि अब हम यूरोप पहुँच चुके हैं !
फ्रैंकफर्ट से वियना जाते समय प्लेन से खींची एक फोटो दे रहा हूँ , झील नगरी जैसा सुंदर, यह स्थल बेहद मनोहारी लगा ! यह कौन सी जगह है ? शायद राज भाटिया जी इस पर कुछ प्रकाश डाल सकें !
फ्लाईट में यूरोपियन स्टीवर्ड द्वारा सर्व की गयी मुफ्त रेड वाइन की चुस्कियां लेते समय कब बीत गया पता ही नहीं चला ! और प्लेन विएंना में उतरने की तैयारी कर रहा था ! प्रीपेड टेक्सी सर्विस बूथ ने एक लम्बे चौड़े यूरोपियन को हमारा सामान उठाने का निर्देश देते हुए बताया कि यही हमारा ड्राईवर होगा ! ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम युक्त, इस एस यू वी के ड्राईवर को हमारे दिए हुए पते पर पंहुचने के लिए, सिर्फ जीपीएस डिवाइस में इस पते को फीड भर करना था ! हर मोड़ पर मशीन में लगा तीर ड्राईवर को बता रहा था कि अगला मोड़ कितनी दूर और किस दिशा में होगा ! और कुछ ही देर में यह गाड़ी अपने फ्लेट के सामने इंतज़ार करते नवीन के सामने जाकर रुक गयी ! ज्वालामुखी राख से आशंकित, हमें अब जाकर विश्वास हुआ कि अब हम यूरोप पहुँच चुके हैं !
रोचक यात्रा विवरण, सतीश जी , वैसे फ्रैंकफर्ट जाने की वजह कुछ और रहे होगी ? क्योंकि दिल्ली से वियना की सीधी उड़ान ऑस्ट्रियन एयर लाइंस की रोज जाती है और शायद किराया भी सस्ता पड़ता !
ReplyDeleteचित्र तो एअर पोर्ट का ही है ---नशेदार यात्रा !
ReplyDeleteरोचक संस्मरण...आगे क्या हुआ...
ReplyDeleteनीरज
यात्राओं के विवरणों से हम भी उस में शामिल हो जाते हैं।
ReplyDeleteशुरुवात रोचक...आगे इन्तजार है.
ReplyDeleteआपकी यात्रा मंगलमय हो.
ReplyDeleteतो पहला झटका ऐसे लगा ।
ReplyDeleteचलिए ये सब तो झेलना पड़ता है ।
तस्वीर बहुत खूबसूरत है ।
आगे का हाल सुनने का बेसब्री से इंतजार है।
आपकी यात्रा मंगलमय हो.
ReplyDeleteसतीश जी मै पी.सी.गोदियाल जी की बात से सहमत हुं, शायद आप ने लुफ़थांसा की फ़लाईट ली होगी जो वाया फ़ेंक फ़ोर्ट ओर मुनिख हो कर जाती है, बाकी जहाज मै ही आप को स्कांच फ़िर मै मिलती, फ़िर आप ने क्यो खोली , आप जब फ़ेकं फ़ुर्त से वियाना जा रहे थे तो रास्ते मै हमारा गांव पडता है, ओर यह चित्र किसी शहर का नही है बल्कि किसी केम्पीयं जगहा का है, जहा लोग छुट्टी वाले दिन शहर से दुर शांति से रहते है, ओर यह जगह जरुर किसी पहाडी के बीच बनी होगी, ओर इस पानी मै लोग मच्छलियां वगेरा पाल लेते है,
ReplyDeleteवेसे है कई बार कह चुका हुं कि कोई भी युरोप मै आये तो अपने हेंड बेग मै खाने पीने की कोई भी चीज मत लाये.दुध ओर मासं की भी कोई चीज मत लाये, आप ने जो बोतल खरीदी वो वेसे ही लाते खोली तो ..., वेसे बाहर उस से सस्ती पडती
आगे की यात्रा का विवरण सुनने का इन्तजार है.
ReplyDeleteरोचक संस्मरण
ReplyDeleteआगे क्या हुआ ???
आगाज़ तो मज़ेदार है अन्दाज़ की तरह...
ReplyDeleteहमारे लिये तो बिना पैसे की यह सैर और आपका साथ.... लुफ्त ही लुफ्त....
@हमारी ताजा पोस्ट पर आपकी टिप्पणी के सन्दर्भ में :-
ReplyDeleteधन्यवाद सर! फिल्म,राजनीति,देश,समाज आदि के बारे मे सभी तरह के विचार खुल कर आने चाहिये. यह ब्लोग जगत जागरुक विचारकों से भरा पड़ा है.
हमारी अगली फिल्म समीक्षा में आप साथ रहेंगें न ?
sunder sansmaran
ReplyDeleteसतीश भाई,
ReplyDeleteआपसे बात कर बहुत अच्छा लगा ..........आज जो ज़िम्मेदारी आपने मुझे दी है, मेरी पूरी कोशिश रहेगी कि उस ज़िम्मेदारी को मैं पूरी इमानदारी से निभाऊ ! आपसे संपर्क में बना रहूगा |
संजय व्यास जी के ब्लॉग का लिंक दे रहा हूँ ..........
ReplyDeletehttp://bhav.wordpress.com/
गुरूजी प्रनाम!! तनी बिजी थे..लेकिन ई का!! बन्द लगी होने खुलते ही आपके पोस्ट की मधुशाला... फोन पर त आप का मालूम केतना जगह गिना दिए थे... लेकिन ई पोस्टवा में त कुछ हईये नहीं है...हम त सोचे थे कि आपके पूरा युरोप यात्रा वर्णन का स्कॉच हमकोमिलेगा झूमने के लिए..लेकिन आप त सब जप्त कर लिए... अटल जी के सब्दों में ..ये अच्छी बात नईं है!!!
ReplyDeleteअच्छा है ये यात्रा संस्मरण
ReplyDeleteरोचक यात्रा वृतांत....
ReplyDeleteमेरी हौसला अफज़ाई के लिए आप का बहुत-बहुत शुक्रिया.
ReplyDeleteइसी तरह समय समय पर हौसला अफज़ाई करते रहें ! धन्यवाद !
अच्छा है ये यात्रा संस्मरण
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