Monday, June 21, 2010

आश्चर्यजनक डिवाइस मेरे मोबाईल में - सतीश सक्सेना

                        यूरोप भ्रमण में, हमारी कोच जो कि इंग्लॅण्ड की थी, अलग अलग देशों में विभिन्न स्थानों, होटलों आदि पर ड्राईवर ,बिना रूट पहचाने ,कैसे पंहुच पाता है ? यह प्रश्न कौतूहल का था , ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम से लैस ड्राईवर को सिर्फ जगह का पता , शहर और देश का नाम देना होता था ! उसके बाद बस को रास्ता दिखाने का काम अन्तरिक्ष में घूमते और नीचे इस बस को देखते, सैटेलाईट करते थे ! 
                         मन में आया कि इस बार दिल्ली पंहुच कर इस औजार का उपयोग करके देखना है कि शाहदरा  और नॉएडा की गलियों के बारे में यह सैटेलाईट कितना जानते हैं ! अतः दिल्ली गाज़ियाबाद  सीमा पर  बसे शालीमार गार्डन एक्सटेंशन में अपने विस्तृत परिवार की  एक लडकी  टिन्नी से मिलने का फैसला किया और हम सपरिवार निकल पड़े घर से ! गौरव के नोकिया ई ७२ मोबाइल में यह सुविधा, नोकिया कनेक्ट ( कई आधुनिक तकनीकी सुविधा देने के लिए ) के जरिये फ्री मिली हुई थी  ! 
                     गौरव ने डेस्टिनेशन, जीपीएस में  लिख दिया और विस्तृत मैप में उसे मार्क कर दिया था  ! गाड़ी में बैठते ही , रंगीन सड़क  और उस पर लगा तीर दिखाई देने लगा ! मेरे द्वारा गाड़ी स्टार्ट करते ही वोयस कमांड के जरिये सुनाई पड़ा " आफ्टर ३०० मीटर, टर्न लेफ्ट " आश्चर्य चकित मैं ड्राइविंग व्हील  पर यंत्रचालित, इसका आदेश मानता हुआ अत्यंत शीघ्र  नॉएडा से बाहर, एन एच  २४ पर पंहुच चुका था ! कुछ जगह जान बूझकर मैंने विपरीत दिशा  में गाडी मोड़ दी  ! गलत दिशा में पंहुचते ही  स्क्रीन पर  " कैल्कुलेटिंग"  के साथ कम्पयूटर पुनः ठीक दिशा निर्धारण कर चुका था ! और वाकई हमने इतनी लम्बी दूरी तय करने में कोई गलती नहीं की ! इस मध्य स्क्रीन पर मेरी गाडी की चलती हुई वास्तविक स्पीड , और  अपनी मंजिल की बची हुई दूरी साफ़ साफ़ बताई जा रही थी  ! ऐसा लग रहा था कि हमारे हाथ का मोबाइल फ़ोन, चलती हुई कार में फिट कोई मशीन हो , जो इस कार के अभिन्न अंग की तरह  ही कार्य कर रहा था ! 
ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम ( GPS) एक प्रकार  का रेडिओ नेविगेशन सिस्टम है , जो सारे विश्व में  फैले हुए २४  उपग्रहों  और उनके जमीन पर स्थिति कंट्रोल स्टेशनों की सहायता से कार्य करता है  ! इस स्थिति में हमारे हाथ में मोबाइल फोन या गाड़ियों में फिक्स हार्डवेयर डिवाइस , जीपीएस  रिसीवर का कार्य करने लगता है ! और इन उपग्रहों की सहायता से हमारी लोकेशन , अंतर्राष्ट्रीय WGS-84 कोओर्डिनेट्स सिस्टम्स के जरिये बेहद बारीकी से जानी जा सकती है ! ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम की सुविधा अमेरिकेन सरकार द्वारा दी जाती है  और वे ही इसकी ठीक चलने और सही कार्य करने के प्रति उत्तरदायी हैं ! 

                       नोकिया के कई माडल (५२३०,५२३५,५८००,E-52,E-66,E-71,E-72,N86, N97, और  X6) में इसकी सुविधा है तथा नोकिया से आप इसका मैप डाउनलोड कर सकते हैं ! नोकिया कोंनेक्ट की सुविधा मात्र १९९  रुपये प्रति माह पर उपलब्ध है ! अन्य कोई खर्चा नहीं है !   सुखद आश्चर्य , और अपनी बेवकूफी पर गुस्सा कि मैंने इससे पहले इसका उपयोग क्यों नहीं किया ...शायद हमें यहाँ भरोसा ही नहीं था कि हम भी इतने आगे निकल चुके हैं  !




        
      

20 comments:

  1. Great Sir!!.........

    lekin iske liye cell me GPS hona bhi jaruri hai na, ya saare cell me aisa hota hai....??

    achchhi jaankari aapne di..:)

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  2. जी हाँ , बाहर के देशों में जी पी एस हर गाड़ी में लगा होता है ।
    यदि न हो तो वहां किससे रास्ता पूछेंगे ।
    इसलिए बिना किसी से पूछे आप अपने गंतव्य स्थान पर पहुँच जाते हैं ।

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  3. अभी तो यह हमारी औकात के बाहर होगा.

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  4. मैंने भी रतन सिंह जी से इसके बारे में सुना था की उनके दोस्त के पास भी ये सुविधा है | ये लेकिन महंगे मोबाईल में ही मिलती है | हामारे पास तो केवल गूगल मैप है जिसमे हमारी वर्तमान लोकेशन (मोबाईल टावर )को बताता रहता है |

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  5. बहुत बढ़िया जानकारी दी आपने, आभार !

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  6. अजी यह सिस्टम तो करीब करीब २० साल से है , पहले भी था, लेकिन तब बहुत मंहगा था, ओर यह अमेरिका सरकार का तोहफ़ा नही, युरोप ने भी इस मै बराबर हिस्सा डाला है, मुफ़त मै तो अमेरिका अपने बाप को भी कुछ नही देता, ओर हम लोग सिर्फ़ इसी के सहारे चलते है, ओर अगर दुर्भाग्य से कभी यह खराब हो जाये तो....? बहुत मुश्किल होगी, लेकिन अब तो हम मोबाईल मै यह मिलता है, पेदल, साईकिल से या कार से जाना है हर प्रकार की सेटिंग आप कर सकते है, कार से आप ने हाईवे से जाना है जल्दी वाली सडक से या आम सडक से, अगर आगे जा कर जाम लगा है तो यह आप को नया रास्ता भी जाम से पहले बता देगा, अगर आगे पुलिस का केमरा है तो उस के बारे भी बता देता है( लेकिन यह केमरे वाला मना है ओर इस के लिये भारी जुर्माना भी है) लेकिन हम इसे भी चलाते है, आप स्पीड से ज्यादा चला रहे है तो भी बताता है.... यानि मोजां ही ्मोजा जी
    P.N. Subramanian जी अब यह बिलकुल भी मंहगा नही हर कोई खरीद सकता है किसी जमाने मै यह १२ हजार € मे आता था, फ़िर धीरे धीरे घटता गया ओर आज कल ७५,०० € मै मिल जाता है, ओर इस का साफ़्ट वेयर आप के पास होना चाहिये, ज्यादा तर साथ मै मिल जाता है, भारत के नक्शे का स्फ़ट वेयर नेट पर मिल जाता है मोबाईल के लिये भी ओर आम भी

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  7. घुमक्कड़ों की मौज ही मौज।
    एक बार पाबला जी का बेटा और मेरा बेटा इसी सुविधा की मदद से राजस्थान के एक भूतमहल से बाहर आ सके थे। पाबला जी इस पर पोस्ट भी लिख चुके हैं।

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  8. मुझे शक था की ये दिल्ली जैसे शहर में काम करेगा.. पर आपने प्रयोग कर मेरी शंका दूर कर दी... बेहतरीन है...

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  10. ये बढ़िया पथप्रदर्शक है मेरे एक मित्र ने इसका प्रयोग फरीदाबाद से राजस्थान के नागौर जिले के एक दूरस्थ गांव तक किया था | ये रास्ता बहुत सटीक दिखाता है |
    -एयरटेल जीपीएस आजकल ९९ रु.प्रति माह भी उपलब्ध है |
    -mapmyindia का फोन map व गाड़ियों के लिए डिवाइस आता है उसमे जीपीएस की भी जरुरत नहीं होती

    http://www.mapmyindia.com/

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  11. Very informative post. Specially for the frogs of well like me...Thanks.

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  12. इस चमत्कारी गाइड से संबंधित जानकारी रोचक और उपयोगी है।.......साधु्वाद।

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  13. हाँ यह वरदान तो है, यदि नीयत ऎसी हो... क्योंकि एक कटु सत्य यह भी है कि, पेन्टागन ने 80 के दशक के उत्तरार्ध में, इसे तृतीय विश्वयुद्ध के मद्दे-नज़र विकसित किया था ! इसी के बूते पर ऍरिज़ोना से दागा गया मिसाइल, अफ़गानिस्तान के सूदूरवर्ती इलाके के मकान की छत पर सोते हुये आदमी पर अचूक वार करता है ।
    इसे सम्पूर्णता से परखने के आग्रह में, कदाचित अकेला मैं ही नकारात्मक हो रहा हूँ । गूगल-मैप यदि भारत का राष्ट्रपति-भवन चिन्हित कर देता है.. तो देश में बवाल एवँ शँकाओं का भूचाल आ जाता है । जबकि इस सिस्टम में थोड़ी फेरबदल से राष्ट्रपति भवन की पार्किंग में खड़ी गाड़ियों के नम्बर तक चिन्हित किये जा सकते हैं !
    नीलकँठ के वरदानी को भस्मासुर बनने में कितनी देर ही लगी थी ?

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  14. आईला.. एक पल में टिप्पणी बिल्कु्ल अपने सही जगह पर... !
    आज तो इसका भी GPRS सटीक काम कर रैया है !

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  15. जीपीएस और गूगल मैप ने भूगोल का ही इतिहास बदल कर रख दिया है । अब दुनिया जानी पहचानी सी लगती है ।

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  16. ये चमत्कारित डिवाईस हमारे मोबाईल में भी है कभी उपयोग नहीं किया , जल्द ही करके पूरी रिपोर्ट पेश करते हैं सर ।

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  17. चाचा जी..अपने यूरोप यात्रा के दौरान का यह अनुभव जो आपने हम सब से शेयर किया बहुत बढ़िया लगा..विज्ञान के बढ़ते कदम का एक और उदहारण अभी भारत में उतना प्रचलित नही हुआ है परंतु धीरे धीरे यहाँ भी आ जाएगा..

    बढ़िया संस्मरण..अच्छा लगा..नमस्कार

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  18. चकित करती जानकारी !!!विज्ञान ने सुविधाएं तो बेशक दी हैं लेकिन इसके खतरे भी असंख्य हैं बहुत पहले द्व्विवेदीजी ने इस विषय पर 'विज्ञान और मानव' निबंध लिख कर विस्तार से बताया था.

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  19. सतीश सक्सेना जी आपके मोबाइल पे लिखें "अमन का पैग़ाम" देखिये क्या यह आप को मेरे ब्लॉग तक पहुंचा पता है?

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  20. यह सिस्टम बहुत अच्छा और उपयोगी है!...भाटिया जी ने ठीक ही कहा है कि ये २० साल पुराना है!... आपकी प्रस्तुति उत्तम है, धन्यवाद!

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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