आज नॉएडा स्थिति अपने घर को देखता हूँ जो मैंने अपने पिता द्वारा छोड़ी जमीन बेचकर मिले पैसों से बनाया था ! वही जमीन, जो उन्होंने अपनी जान देकर भी मेरे लिए बचा कर रखी थी, अपने वयस्क होने पर, नॉएडा स्थिति अपने घर में लगाकर मैंने उनकी इच्छा पूर्ति कर दी ! यह घर मुझे हमेशा उनके प्यार की याद दिलाता है !
काश वे अपने इलाज़ के लिए जमीन बेच देते तो शायद आज मेरे पास,उनके रूप में ,मेरे जीवन की सबसे बहुमूल्य अमानत होती !
माँ के असामयिक चले जाने के बाद , पिता शायद बहुत टूट गए थे ! ४ वर्षीय पुत्र के साथ कभी नानी के घर और कभी मेरी बहिन के घर में ,मुझे छोड़ जाते थे ! माँ के न रहने के कारण खाने की बुरी व्यवस्था और पेट के बीमार पिता को उन दिनों संग्रहणी नामक एक लाइलाज बीमारी हो गयी थी जिसके कारण उनका स्वास्थ्य बहुत ख़राब होता चला गया ! लोगो के लाख कहने ने बावजूद उन्होंने अपने इलाज़ के लिए बरेली जाने से मना कर दिया था ! उन्हें एक चिंता रहती थी कि वे बच नहीं पायेंगे और इस लाइलाज बीमारी के लिए वे अपनी जमीन बेचना नहीं चाहते थे ! उनकी अंतिम समय अपनी चिंता न होकर, अपने 6 वर्षीय पुत्र के भविष्य सुरक्षित करने की अधिक थी जो वे अपनी दोनों विवाहित पुत्रियों से ,व्यक्त किया करते थे !
और अंतिम समय, अपनी बेहद कमजोरी की हालत में, मुझे साथ लेकर, वे नानी के घर जाकर रहे थे ! प्यार से अपने बेटे को, अपनी तकिया के नीचे, लिफाफे में रखे पेडे,अपने कांपते हाथों से खिलाते, उनकी मनोदशा आज समझने में समर्थ हुआ हूँ !
और अगले दिन सुबह जब मैंने ,रोती हुई नानी के सामने, अपने पिता को जमीन पर लिटाते हुए देखा तो छोटा होने के बावजूद, मैं कुछ कुछ समझ चुका था कि मेरे साथ दुबारा क्या घटना घटी है !
काश वे अपने इलाज़ के लिए जमीन बेच देते तो शायद आज मेरे पास,उनके रूप में ,मेरे जीवन की सबसे बहुमूल्य अमानत होती !
और अंतिम समय, अपनी बेहद कमजोरी की हालत में, मुझे साथ लेकर, वे नानी के घर जाकर रहे थे ! प्यार से अपने बेटे को, अपनी तकिया के नीचे, लिफाफे में रखे पेडे,अपने कांपते हाथों से खिलाते, उनकी मनोदशा आज समझने में समर्थ हुआ हूँ !
और अगले दिन सुबह जब मैंने ,रोती हुई नानी के सामने, अपने पिता को जमीन पर लिटाते हुए देखा तो छोटा होने के बावजूद, मैं कुछ कुछ समझ चुका था कि मेरे साथ दुबारा क्या घटना घटी है !
सर जी! कोई अछूता नहीं इस सत्य से... और शायद जीवन का सबसे कड़वा सच है ये... मैं कोलकाता में था, और रात उनसे बात हुई थी... तबियत सुधर गई है, जानकर ही मैं पत्नी और बिटिया को छोड़कर कोलकाता लौट गया… सुबह फोन आया कि पापा नहीं रहे... सम्पत्ति तो बहुत दे गए, लेकिन जो सबसे बड़ी दौलत उन्होंने दी, वो आज आप लोगो से बाँट रहा हूँ... और लगता है ये दौलत मेरे जीते जी तो समाप्त नहींहोने वाली... बेटे ने भी दस साल की उम्र से इस दौलत मे इजाफा करना शुरू कर दिया है... पिछ्ली पीढी ने जो मुझे दिया, वो अगली पीढी के हाथों सुरक्षित है… आपा लोगों का आशीष रहा तो कलम पीढी दर पीढी चलती रहेगी...
ReplyDeleteसतीश भाई, सिर्फ़ एक बात कह सकता हूँ जो बचपन से अपने पापा से सुनता आया हूँ ......."बाप, बाप ही होता है !"
ReplyDeleteअपवादों को छोड़ दें तो अधिकांश माता-पिता अपनी संतानों के लिए बहुत कुछ त्याग करते हैं।
ReplyDeleteआप सौभाग्यशाली हैं कि आप को ऐसे पिता मिले उनकी स्म्रति को नमन....
ReplyDeleteपिछली पोस्ट पढ़ कर समझ में आ गया कि इंदिरा जी का लल्ला इटली से ही दुल्हन क्यों लाया और सोनिया भाभी ने भारत इतनी जल्दी भारत आत्मसात् कैसे कर लिया......
ReplyDeleteआपके पिता जी का त्याग अतुलनीय है ।
ReplyDeleteमाँ बाप का त रोम रोम पर एह्सान है… लेकिन दुनिया में बहुत सा कपूत लोगों का भी कमी नहीं है... हमरे पड़ोसी थे एगो इलाहाबाद में… उनको उनके बाप रेलवे का नौकरी में लगवा दिए थे… बाप भी रेलवे में थे... बाप के रिटायर होने के बाद बेटा को क्वार्टर मिल गया ( रेल्वे में ई परिपाटी परम्परा बन चुका है)… बेटवा बाप को घर से निकाल दिया, अऊर जो बात बोला सुनिएगा त दंग रह जाइएगा, “आप ई समझ जाइए कि आप हमको पैदा करके कोई एह्सान नहीं किए हैं. हम पैदा होकर एह्सान किए है, नहीं त लोग आपको निपूता अऊर निर्बंस कहता.”
ReplyDeleteई त मालूम नहीं कि कऊन बबूल बोए थे ऊ बाप, जे अईसन धथुरा पईदा हुआ. इससे त निर्बंस कहलाना ठीक था..
दुत्त्त! हम भी कहाँ का बात लेकर बईठ गए... गुरू जी आपके बाबूजी बरगद का पेड़ लगाए थे, जिसका छाया हम लोग पा रहे हैं...
bahut hi bda balidan diya papa ne....
ReplyDeleteहमारी श्रद्धांजलि. बड़ों के त्याग के कारण ही तो हमलोग आज इस स्थिति में हैं.
ReplyDeleteपितृ दिवस पर बहुत भावुक करती पोस्ट ।
ReplyDeleteआपने जिंदगी में बड़ी मेहनत की है ।
सेल्फ मेड पर्सन । ब्रेवो !
इसे ही प्यार कहते हैं जिसका कोई मोल नहीं है.
ReplyDeleteसतीश सक्सेना जी आपने अपने पिता के प्यार को महसूस किया , यह एक बड़ी बात है. पिता का प्यार होता ही ऐसा है. अआप के पिता एक नेक और अच्छे इंसान थे.
ReplyDeleteSatish Saxena ji Pranaam.!
ReplyDeleteAaj pita diwas par apne pita ko yaad karke unki aatma ko bahut sukunn kar diye. you were deprieved of your parents love from childhood days, but today what you are is because of their love which is unseen, You can only feel.You have a family wife children who are giving you love & affection.This is only due to your pita's sacrifice to see you as you are today.you are a proud son, & also a very good human like your father.Always available for the needy.My deep respects to his soul.
sateesh jee jeevan aur mratyu ye insaan ke hath me nahee lakh ilaj ke bavjood samay aane par koi nahee bacha sakta.kai salo bister pakde intzar karte hai par mout nahee aatee.......
ReplyDeleteAap kp jo sneh kee dharohar milee hai bus use lutaiye din doonee rat chougunee badtee jaegee yakeen maniye.
aasheesh .
Satish ji,
ReplyDeleteYou are a wonderful person, because you were blessed with so kind and loving parents.
Now it is your turn to love your family / friends and society.
Let the magnificent love overflow.
सतीश जी ,
ReplyDeleteपिता के किए गए त्याग के महत्व को कोई पुत्र याद रख सके और समझ सके इससे बडी बात और कोई भी नहीं होती है उसके लिए । दिल को छूता हुआ संस्मरण
बहुत भावुक कर गया आपका संस्मरण पिता जी का त्याग अतुलनीय है जिसका कोई मोल नहीं है.
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