आओ खेलें खेल देश में नफरत और हिफाज़त का
जो जीतेगा वही करेगा शासन सिर्फ हिकारत का !
टेलीविज़न पर नेताओं को, काले धन की चिंता है !
जो जीतेगा वही करेगा शासन सिर्फ हिकारत का !
जनता साली क्या जानेगी,किला जीतना भारत का !
टेलीविज़न पर नेताओं को, काले धन की चिंता है !
कैसे भी, सत्ता हथियानी, लक्ष्य पुराना हज़रत का !
ऐसा लगता बदन रंगाये,बिल्ला जमीं पर उतरा है !
लगता वही डालडा डब्बा,बजे चुनावी कसरत का !
तरस, दया, हमदर्दी खाकर ,हाथ फेरना बुड्ढों का !
यह तो वही पुराना फंडा,उस्तादों की फितरत का !
यह तो वही पुराना फंडा,उस्तादों की फितरत का !
पढ़े लिखे क्या समझ सकेंगे,मक्कारों की बस्ती में !
कितने भेद छिपाए बैठा , एक दुपट्टा, औरत का !
बहुत ही सच्ची प्रभावशाली गहन अभिव्यक्ति ....सतीश जी
ReplyDeleteपहली बात—एक पुराना गीत याद आया—'हवा में उडता जाये मेरा लाल डुपटटा' हालांकि इस रचना से कोई तअल्लुक नहीं है उसका, मगर याद आगया तो आगया
ReplyDeleteदूसरी बात — जब भी आपकी रचना पढता हूं हरीओम पवांर की याद आती है क्यों आती है नहीं पता।
———कोई भी हो शासन नफरत का ही होगा—निश्चित है।
—जनता को साली शब्द उचित ही प्रयोग किया गया है
—मतलब चोरों से सत्ता हथियाते क्यों? आपने स्पष्ट कर दिया
—सभी रंगे सियार है और कहें तो गिरगिट है
—महिलाओं और बुजुर्गो का सम्मान इस पर क्या अर्ज करुं
—पढे लिखे क्या समझ सकेंगे पर से याद आया—
'मस्लहत आमेज होते हैं सियासत के कदम
तू न समझेगा सियासत तू अभी इन्सान है।''
बहुत प्यारी, सच्ची, कडुवी,मीठी भी ररचना पढी— मीठे शब्द पर आपको आश्चर्य हो सकता है।
वाह वाह ! सटीक सुंदर गजल लिखने के लिए बधाई ! सतीश जी ...
ReplyDeleteRECENT POST : - एक जबाब माँगा था.
बहुत सही कहा..सुन्दर रचना..
ReplyDeleteक्या बात है !
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन कुछ खास है हम सभी में - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteजोरदार
ReplyDeletesachmuch ....kitna bhi wayakt karen kam hai .......sundar aur sahaj aakrosh .....
ReplyDeleteबहुत दिनों बाद आया बड़े भाई! देख रहा हूँ कितना परिवर्तन आ गया आप में भी.. इस तरह की पोस्टों पर आप कमेन्ट भी नहीं करना चाहते थे और अब इतना ज़बरदस्त गीत लिख डाला.. खैर, देर आयद दुरुस्त आयद!! खरी कहरी बात कही है आपने!!
ReplyDeleteवाह बहुत खूब !
ReplyDeleteदमदार गीत |
ReplyDeleteनई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)
latest post महिषासुर बध (भाग २ )
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल {रविवार} 20/10/2013 है जिंदगी एक छलावा -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा अंक : 30 पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
ललित चाहार
देश की स्थिति का सटीक चित्रण किया है सतीश जी ..
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट रचना की चर्चा कल 20/10/2013, रविवार ‘ब्लॉग प्रसारण’ http://blogprasaran.blogspot.in/ पर भी ... कृपया पधारें ..
बढिया है....
ReplyDeleteजबरदस्त चोट. अति सुन्दर.
ReplyDeleteबहुत सही कहा सर आपने,सुन्दर रचना आभार।
ReplyDeleteआज के संदर्भ में यथार्थ परक रचना है !
ReplyDeleteआज कल आपकी हर रचना कुछ ना कुछ सोचने पर मजबूर करती है भाई जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सटीक व्यंग करती ग़ज़ल
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना .
ReplyDeleteनई पोस्ट : धन का देवता या रक्षक
बहुत सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकार करे.
ReplyDeleteSACH SE RUBRU KARATI SASHAKT RACHNA HETU AABHAR
ReplyDeleteबहुत बढ़िया... सहज परन्तु गंभीर ...
ReplyDeleteSACH KO BAYAAN KARATI BEHATARIN GEET
ReplyDeleteआज के हालात का सुन्दर चित्रण ..
ReplyDeleteवाह, बहुत ही सशक्त रचना.
ReplyDeleteसमसामयिक चुनावी माहौल के साथ साथ आपने अन्य मुद्दों पर भी बड़ी सुन्दरता से लिखा है |
ReplyDeletesarthak...sundar...
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