Thursday, August 5, 2010

पारब्रह्म परमेश्वर के गुण गाते ये ज्ञानी जन -सतीश सक्सेना

इस आधुनिक,प्रगतिशील और खूबसूरत देश में ये बबूल क्यों बोये जा रहे हैं  ? 
                           काश इन चालाक महा ज्ञानियों की समझ आ जाये जो सारे संसार को समझाने के लिए, ५० फूट ऊंचे तख़्त पर चढ़ कर, रोज प्रवचन कर, अपने आपको विश्व गुरु स्थापित किये बैठे हैं ! जिनका काम अपने और दूसरे धर्म में तुलना कर, दूसरों की मान्यताओं को तुच्छ साबित कर, अपने धर्म को अच्छा बताना मात्र है !
                           जिन्होंने न इतिहास से कोई सबक लिया, न वर्तमान में अपनी स्थिति जाननें की, कोई इच्छा और समझ है ! मंदबुद्धि, अनपढ़ चाटुकारों से घिरे, दुनियां को अपनी तुच्छ और संकीर्ण बुद्धि से तौलते यह लोग, मानव समाज के लिए कोढ़ हैं !
                           पूरे समय, पारब्रह्म परमेश्वर की बात करते यह ढोंगी लोग, इस खूबसूरत दुनिया और आने वाली नस्ल को बर्बाद करने पर कमर कसे हैं ....ईश्वर बच्चों को, इनके द्वारा फैलाई हुई बदबू से बचाए !

21 comments:

  1. यही प्रार्थना, दुआ मैं भी इन लोगों के लिये करता हूं।

    प्रणाम

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  2. सरथ सोच ...मैं भी यही दुआ करती हूँ ..

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  3. ईश्वर बच्चों को इनके द्वारा फैलाई हुई बदबू से बचाए !!

    वहीं बचा रहे हैं अबतक सबों को !!

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  4. यह है आपकी कलम की सर्वोच्छ 'पोईंटेड' धार

    दुर्भावनाओं का शिघ्र खुल्ला हो जाना सभी के हित में है।
    समभाव के नाम पर दुर्भावनाओं से पल्ला झाडना भी अपराध है।

    आभार आपका,स्पष्ठ प्रस्तूति!

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  5. सतीश जी हम अपनी ईश्वर प्रदत्त सहज बुद्धि का प्रयोग कर अपने बच्चो को इन बुराईयों से बचा सकते हैं. हिन्दू धर्म सहज बुद्धि का प्रयोग करने पर प्रतिबन्ध नहीं लगता.

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  6. sateeshjee aaj kee peedee ko le naa jane kyo par mai
    pooree tour par aashvast hoo .
    ve pahilee baat to lakeer ke fakeer nahee............
    doosaree bhagtee doudatee jindagee me unke paas
    samay nahee.........
    aadambar bhee inko choo nahee gaya.........
    aane walee peedee se mujhe bahut aashae hai........
    Unhe changul me fansana mahatmao ke bus me nahee..........
    kamjor mansikta wale ya har taraf se dukhee , hare hue pranee hee inkee giraft me aa jate hai............

    jindgee ke dukho ka bhee swayam ko hee samna karana hota hai....koi kisee ka dukh har nahee sakta ...ye samay bhee nikal hee jata hai par dhairy kanha....?

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  7. ईश्वर बच्चों को इनके द्वारा फैलाई हुई बदबू से बचाए...अब तो हम भी बच कर रहेगें.


    ________________________
    'पाखी की दुनिया' में 'लाल-लाल तुम बन जाओगे...'

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  8. सतीश जी, दरअसल चन्द धर्मांध लम्पटों नें मिलकर ब्लागजगत में जो उत्पात मचा रखा है, ओर धर्म की आड लेकर अपने घिनोने षडयन्त्रों को अंजाम देने के जिन मन्सूबों को अंजाम देने में लगे हैं...उसे देखकर आप ही की भान्ती किसी भी सदह्रदय व्यक्ति का आहत होना निश्चित है. सच कहूँ, ये सब देखकर कभी कभी तो लगने लगता है कि कहाँ नाहक ही ऎसे माहौल में फँसे बैठे हैं..
    लेकिन एक बात जो कि मैं बिना किसी झिझक के कहना चाहता हूँ, वो ये कि दरअसल कहीं न कहीं हम लोग ही इसके असली कसूरवार भी हैं.
    देखिए एक व्यक्ति जिसकी फितरत से पिछले दो वर्षों से समूचा ब्लागजगत भली भान्ती परिचित है---जिसका कार्य येन केन प्रकारेण सिर्फ मजहबी जनून पैदा करना है--उसमें किसी को कौन सा ऎसा विशेष गुण दिखाई दिया कि उसे आयोजन समितियों में संयोजक-समन्वयन सलाहकार जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ दी जा रही हैं. बताईये ऎसे लोगों से किस प्रकार के समन्वयन की उम्मीद की जा सकती हैं ओर तो ओर उनके सदकार्यों को देखते हुए उन्हे पुरूस्कृ्त तक भी किया गया है.
    अलाणी-फलाणी ऎसोसियशन बनाकर स्वयं ही उसके कर्ता धर्ता बने ये लोग उस ब्लाग पर क्या गुल खिला रहे हैं...क्या उस ऎसोसियशन से जुडने वाले लोगों की आँखों में मोतियाबिन्द उतर आया है कि उन्हे दिखाई नहीं दे रहा कि वो कैसे व्यक्ति(यों) के साथ जुड रहे हैं.
    इन धर्मांधों के ब्लाग पर फालोवर लिस्ट में टंगें मूर्खों को ये बात क्यूँ नहीं समझ में आती कि इस प्रकार वे अप्रत्यक्ष रूप से ऎसे लोगों को बढावा ही दे रहे हैं......
    लेकिन नहीं....यहाँ सबके दिखाने वाले दाँत अलग हैं और खाने वाले अलग....हर कोई बस दूसरों की नजर में खुद को भला सिद्ध करने में जुटा है..

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  9. आभार आपका,स्पष्ठ प्रस्तूति!

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  10. सक्सेना साहब जरूर आइयेगा इस लिंक पर...कुछ खास टिपण्णी लिखी है आप पर....

    आप की रचना 06 अगस्त, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपने सुझाव देकर हमें प्रोत्साहित करें.
    http://charchamanch.blogspot.com

    आभार

    अनामिका

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  11. इन धर्म गुरुओं का नाम भी लिख देते तो हम भी सावधान हो जाते ।
    वैसे धर्म के नाम पर द्वेष फैलाना अच्छी बात नहीं है ।

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  12. सत्य लिखा आपने.

    रामराम.

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  13. इन धर्म गुरुओं का नाम भी लिख देते तो हम भी सावधान हो जाते ??????

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  14. मेरी टिप्पणी में सरथ नहीं सार्थक सोच पढ़ा जाये ....

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  15. बिल्कुल सही कहा।

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एक निवेदन !
आपके दिए गए कमेंट्स बेहद महत्वपूर्ण हो सकते हैं, कई बार पोस्ट से बेहतर जागरूक पाठकों के कमेंट्स लगते हैं,प्रतिक्रिया देते समय कृपया ध्यान रखें कि जो आप लिख रहे हैं, उसमें बेहद शक्ति होती है,लोग अपनी अपनी श्रद्धा अनुसार पढेंगे, और तदनुसार आचरण भी कर सकते हैं , अतः आवश्यकता है कि आप नाज़ुक विषयों पर, प्रतिक्रिया देते समय, लेखन को पढ़ अवश्य लें और आपकी प्रतिक्रिया समाज व देश के लिए ईमानदार हो, यही आशा है !


- सतीश सक्सेना

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