
आज उन्होंने अपनी माँ के रिटायर होने के अवसर पर एक पुत्र की ओर से एक भावुक पोस्ट लिखी है ! अधिकतर हम लोग देखते हैं कि रिटायर होते ही, देर सवेर घर के अन्य सदस्य , उन्हें घर के मुखिया पोस्ट से भी रिटायर करने की तैयारी करने लगते हैं ! बेहद पीड़ा दायक यह स्थिति, आज सामान्यतः अधिकतर घरों में देखी जा सकती है ! "रिटायर" शब्द का प्रभाव, प्रभावित व्यक्ति पर तथा समाज पर इतना गहरा पड़ता है कि रिटायरमेंट के बाद अक्सर उन्हें बुद्धि हीन, धनहीन और हर प्रकार से अयोग्य समझ लिया जाता है ! छोटे बच्चे को खिलाने घुमाने के अलावा, दूध सब्जी लाना और घर की चौकीदारी जैसे कार्य आम तौर पर उनके लिए सही और उचित मान लिए जाते हैं ! प्रवीण जी को मेरे द्वारा दी गयी सप्रेम प्रतिक्रिया निम्न है....
"अपने बच्चों को मजबूत बना कर, सेवानिवृत्त होतीं वे आज अपने आपको शक्तिशाली मान रहीं होंगी प्रवीण जी ! उनकी पूरी जीवन की मेहनत का फल, आप तीनों के रूप में, उनके सामने है ! उन्होंने अपना काम पूरा कर लिया !
अब आप लोगों की बारी है ...
आप तीनों साथ बैठकर कुछ अभूतपूर्व निर्णय आज लें .....
कि यह भावनाएं जो आपने व्यक्त कीं हैं पूरे जीवन नहीं भूलेंगे ......
कि उन्हें कभी यह महसूस नहीं होने देंगे कि वे अब बेकार हैं .......
कि उन्हें कभी यह महसूस नहीं होने देंगे कि वे अब रिटायर हो चुकी हैं ...
कि अब इस घर में उनकी सलाह की जरूरत नहीं है ...
और अंत में जो सुख़ वे न देख सकीं हों या उन्हें न मिल पाया हो उसके लिए कुछ प्रयत्न कर वह उपलब्ध कराने की चेष्टा ...
मैं अगर अपनी सीमा लांघ गया होऊं तो आप लोग क्षमा करें आशा है बुरा नहीं मानेंगे ! आपकी माँ को भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनायें !"